रांची: रिम्स में जूनियर डॉक्टरों की गुंडागर्दी के मामले कई बार देखे गए हैं. जिसकी शिकायतें थाने से लेकर जिले और राज्य के आला अधिकारी तक भी जा चुके हैं. लेकिन उसके बावजूद भी रिम्स के जूनियर डॉक्टर अपनी दबंगई और गुंडई से बाज नहीं आते.
इलाज के अभाव में मौत
कुछ ऐसा ही मामला रिम्स में देखने को मिला. दरअसल, हजारीबाग के शिवपुरी कॉलोनी के रहने वाले एक परिवार अपने 23 वर्ष के बेटे को इलाज कराने के लिए रिम्स के मेडिसिन आईसीयू वार्ड में भर्ती कराए थे, जहां कि उसके बेटे की स्थिति गंभीर होती जा रही थी और वह आईसीयू वार्ड में तैनात महिला चिकित्सक और अन्य डॉक्टरों से जांच करने और उसका इलाज करने की बार-बार अपील कर रहे थे. लेकिन मरीज की हालत गंभीर होने के बावजूद भी ना तो कोई चिकित्सक पहुंचा और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मी के इंतजार में 23 वर्ष के रेशवराज सिन्हा ने दम तोड़ दिया.
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जूनियर डॉक्टरों ने की मारपीट
वार्ड में तैनात नोविया फरहीन नाम की मेडिकल छात्रा जो उस वक्त ड्यूटी में थी. वह पहुंचती है जिसको देख परिजन थोड़े आक्रोशित हो जाते हैं और वह डॉक्टर को बार-बार बाहर जाने के लिए कहने लगते हैं, दरमियान डॉक्टर के चेहरे पर थोड़ी चोट लग जाती है और उसका चश्मा नीचे गिर जाता है. जिससे फर्स्ट ईयर की छात्रा नोबिया फरहीन गुस्से में आ जाती है और अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर मृतक मरीज के भाई ऋतुराज, मृतक के पिता दिलीप सिन्हा और उसके साथ आए कई महिलाओं के साथ जूनियर डॉक्टरों की टीम मारपीट करने लगती है.
परिजनों ने मांगी माफी
इतना ही नहीं मारपीट के बाद डॉक्टरों ने थाने में शिकायत भी करा दिया. मामला बिगड़ता देख मृतक के भाई ऋतुराज सिन्हा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद मृतक के पिता दिलीप सिन्हा और परिजनों ने ही डॉक्टरों से माफी मांगी और बेटे को छुड़वाने की गुहार लगाने लगे. तब जाकर मामला शांत हुआ और डॉक्टरों ने अपनी शिकायत वापस ली. उसके बाद ही परिजन अपने मृतक बेटे का शव हजारीबाग ले जा सके.
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'शराब के नशे में थे जूनियर डॉक्टर'
हालांकि, पूरे मामले पर डॉक्टरों की ओर से कोई भी सफाई मीडिया के सामने नहीं दी गई है. लेकिन पीड़ित परिजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि रिम्स के जूनियर डॉक्टर नशे में थे. सभी शराब पीकर उनके साथ मारपीट करने लगे.