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अन्नदाता और राजनीति: धान का MSP 1868, जानिए क्यों 1100 में बेचने को मजबूर हैं झारखंड के किसान

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Published : Dec 9, 2020, 6:02 AM IST

Updated : Dec 9, 2020, 8:44 AM IST

झारखंड में किसान परेशान हैं. धान क्रय केंद्र पर धान की खरीदारी नहीं हो रही है. इस कारण किसानों को अपने धान बिचौलिए के हाथों बेचना पड़ रहा है. पूरे देश में नए कृषि कानून को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है. खुद हेमंत सरकार भी किसानों की भलाई के लिए इस आंदोलन का समर्थन कर रही है, लेकिन अपने राज्य के मजबूर किसानों पर सरकार की नजर नहीं पड़ रही. ये राजनीति नहीं तो फिर क्या है?

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रांची: झारखंड में इस बार बारिश अच्छी होने के कारण किसानों के खेत में धान की पैदावार बंपर हुई है. सरकार ने भी किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समर्थन मूल्य तय किया है. इसको लेकर रांची जिले में 23 धान क्रय केंद्र भी खोले गए हैं, लेकिन इनमें से एक भी धान क्रय केंद्र में धान की खरीदारी नहीं हो रही है. इस कारण किसानों को अपनी फसल बिचौलियों के हाथों बेचना पर रहा है.

देखिए पूरी खबर

कब खरीदी जाएगी धान

राज्य सरकार ने धान क्रय केंद्र खोलने के साथ ही 1 दिसंबर से धान खरीदने का निर्देश दिया था, लेकिन धान क्रय केंद्र में अब तक धान खरीदने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है. किसान अपने धान का सैंपल लेकर धान क्रय केंद्र पहुंच रहे हैं और अपने धान की नमी चेक करवा रहे हैं. किसानों का कहना है कि धान क्रय केंद्र में धान की नमी जांच की जा रही है और जांच में सब कुछ सही पाने के बाद भी धान नहीं खरीदा जा रहा है. धान क्रय केंद्र से स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि आखिर उनकी धान कब खरीदी जाएगी. इसका नतीजा ये हो रहा है कि किसानों को बिचौलिए के हाथों 1100 से 1200 रुपये क्विंटल धान बेचना पर रहा है.

धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित

सरकार ने इस बार धान खरीद को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जो कि साधारण धान पर 1868 रुपये प्रति क्विंटल, ग्रेड ए धान पर 1888 रुपए तय की गई है. इसके साथ ही 182 रुपया पर क्विंटल किसानों को बोनस भी तय किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीद की गई थी. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद पूरे राज्य में की गई थी और रांची जिले में 1 लाख 73 हजार क्विंटल धान खरीदी गई थी. वहीं, इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.

धान बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

वहीं, धान क्रय केंद्र में अपनी धान बिक्री को लेकर पंजीकरण कराने पहुंचे किसान प्रदीप कुमार सिन्हा की माने तो इस वक्त किसानों को सबसे ज्यादा पैसे की आवश्यकता है. इसलिए अपने धान को बेचने के उद्देश्य से पंजीकरण कराने पहुंचे हैं. वहीं, प्रगतिशील किसान नकुल महतो ने राज्य सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए धान में नमी बताते हुए अभी धान खरीदने से मना कर दिया है. किसान अभी धान नहीं बेचेगा तो कब बेचेगा.

ये भी पढे़ं: जानिए 20 वर्षों में राजनीतिक रूप से कितना मेच्योर हुआ झारखंड

सरकार ने नहीं किया स्पष्ट

कांके धान क्रय केंद्र के प्रभारी मनोज रजवार ने बताया कि अभी विभाग के द्वारा स्पष्ट नहीं है कि धान क्रय केंद्र में किसानों का धान खरीदना है कि नहीं खरीदना है. मीडिया में जिस तरीके से खाद आपूर्ति विभाग के मंत्री रामेश्वर उरांव ने बयान दिया था उसके बाद से ही धान की खरीदारी बंद है. जैसे ही निर्णय आएगा उसके बाद धान की खरीदारी की जाएगी.

रांची: झारखंड में इस बार बारिश अच्छी होने के कारण किसानों के खेत में धान की पैदावार बंपर हुई है. सरकार ने भी किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समर्थन मूल्य तय किया है. इसको लेकर रांची जिले में 23 धान क्रय केंद्र भी खोले गए हैं, लेकिन इनमें से एक भी धान क्रय केंद्र में धान की खरीदारी नहीं हो रही है. इस कारण किसानों को अपनी फसल बिचौलियों के हाथों बेचना पर रहा है.

देखिए पूरी खबर

कब खरीदी जाएगी धान

राज्य सरकार ने धान क्रय केंद्र खोलने के साथ ही 1 दिसंबर से धान खरीदने का निर्देश दिया था, लेकिन धान क्रय केंद्र में अब तक धान खरीदने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है. किसान अपने धान का सैंपल लेकर धान क्रय केंद्र पहुंच रहे हैं और अपने धान की नमी चेक करवा रहे हैं. किसानों का कहना है कि धान क्रय केंद्र में धान की नमी जांच की जा रही है और जांच में सब कुछ सही पाने के बाद भी धान नहीं खरीदा जा रहा है. धान क्रय केंद्र से स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि आखिर उनकी धान कब खरीदी जाएगी. इसका नतीजा ये हो रहा है कि किसानों को बिचौलिए के हाथों 1100 से 1200 रुपये क्विंटल धान बेचना पर रहा है.

धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित

सरकार ने इस बार धान खरीद को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जो कि साधारण धान पर 1868 रुपये प्रति क्विंटल, ग्रेड ए धान पर 1888 रुपए तय की गई है. इसके साथ ही 182 रुपया पर क्विंटल किसानों को बोनस भी तय किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2.27 लाख टन धान की खरीद की गई थी. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3.24 लाख टन धान की खरीद पूरे राज्य में की गई थी और रांची जिले में 1 लाख 73 हजार क्विंटल धान खरीदी गई थी. वहीं, इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य में 4.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है.

धान बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

वहीं, धान क्रय केंद्र में अपनी धान बिक्री को लेकर पंजीकरण कराने पहुंचे किसान प्रदीप कुमार सिन्हा की माने तो इस वक्त किसानों को सबसे ज्यादा पैसे की आवश्यकता है. इसलिए अपने धान को बेचने के उद्देश्य से पंजीकरण कराने पहुंचे हैं. वहीं, प्रगतिशील किसान नकुल महतो ने राज्य सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए धान में नमी बताते हुए अभी धान खरीदने से मना कर दिया है. किसान अभी धान नहीं बेचेगा तो कब बेचेगा.

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सरकार ने नहीं किया स्पष्ट

कांके धान क्रय केंद्र के प्रभारी मनोज रजवार ने बताया कि अभी विभाग के द्वारा स्पष्ट नहीं है कि धान क्रय केंद्र में किसानों का धान खरीदना है कि नहीं खरीदना है. मीडिया में जिस तरीके से खाद आपूर्ति विभाग के मंत्री रामेश्वर उरांव ने बयान दिया था उसके बाद से ही धान की खरीदारी बंद है. जैसे ही निर्णय आएगा उसके बाद धान की खरीदारी की जाएगी.

Last Updated : Dec 9, 2020, 8:44 AM IST
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