रांचीः कथित तौर पर भूख से मौतों और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले झारखंड की राजनीति में एक नया मुद्दा जुड़ गया है. वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से राज्य में अब 'फेस मास्क पॉलिटिक्स' शुरू हो गई है. इस नए इश्यू को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. विवाद का विषय राज्य सरकार द्वारा हाल में ही पारित किया गया झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश, 2020 है. 22 जुलाई को हुई स्टेट कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने इस अध्यादेश से जुड़े प्रस्ताव पर अध्यादेश के प्रावधानों में स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है कि इसका उल्लंघन करने पर कैद का प्रावधान किया गया है. जिसे अधिकतम 2 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ ही अर्थ दंड का भी प्रावधान किया गया है जो, अधिकतम एक लाख तक हो सकता है.
इसको लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी का साफ कहना है कि राज्य सरकार इस अध्यादेश के बहाने हिटलरशाही करना चाह रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस अध्यादेश को निरस्त करने की मांग रखी है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार इस अध्यादेश को लेकर कंफ्यूजन क्रिएट कर रही है. उन्होंने कहा कि 1 लाख रुपये का फाइन अजीबोगरीब निर्णय है. उन्होंने कहा कि केरल जैसे राज्य में बार-बार कानून का उल्लंघन करने पर 5 हजार रुपये का फाइन है, जो देश में अधिकतम है. जबकि झारखंड सरकार ने उस से 20 गुना अधिक लेने का मन बनाया है. यह जनता के साथ अन्याय हैं शाहदेव ने साफ तौर पर कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार प्रशासन को एक विंडो दे रही है ताकि करप्शन के लिए रास्ता खुल सके. उन्होंने कहा कि अभी अध्यादेश आया नहीं है, लेकिन जैसे ही लागू होगा परिस्थितियां बदल जाएंगी. उन्होंने कहा कि जब भी ऐसी जन विरोधी कानून आएंगा विपक्ष हमेशा उसका विरोध करेगा.
कांग्रेस का पलटवार, अधूरी जानकारी है विपक्ष को
वहीं, दूसरी तरफ जेवीएम छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले प्रदीप यादव ने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष को अधूरी चीजों की जानकारी है. जब तक अधूरी जानकारी रहेगी तब तक स्थितियां ऐसी ही रहेगी. उन्होंने कहा कि दरअसल राज्य सरकार एक मैसेज देना चाहती है. प्रदीप यादव ने कहा कि जिस तरह से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है उससे बचने के लिए मास्क लगाना जरूरी है. लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अभी तो अध्यादेश से जुड़ा रेगुलेशन बनेगा. उसके बाद गवर्नर की सहमति ली जाएगी, तब अध्यादेश अस्तित्व में आएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता की भावना के विरुद्ध कोई काम नहीं करेगी.
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आखिर क्या प्रावधान है अध्यादेश में
आधिकारिक सूत्रों की माने तो अध्यादेश के जरिए संक्रामक रोग से बचाव हेतु कई सुरक्षात्मक उपाय किए जा सकेंगे. इसके तहत सार्वजनिक/धार्मिक गतिविधियों पर नियंत्रण, सार्वजनिक एवं निजी वाहनों के परिवहन पर नियंत्रण, दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के कार्यकलाप पर नियंत्रण के अलावा आवश्यक एवं आपातकालीन सेवाओं के नियंत्रण हेतु रेगुलेशन जारी किए जा सकेंगे. सूत्रों के अनुसार अध्यादेश के माध्यम से राज्य सरकार गजट नोटिफिकेशन कर किसी भी बीमारी को संक्रामक रोग घोषित कर सकती है.
तेजी से बढ़ रही है कोरोना संक्रमितों की संख्या
झारखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 8457 कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं. जिनमें से 3,704 स्वस्थ हुए हैं. फिलहाल राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स समेत राजधानी में पांच अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था की गई है. वहीं होटवार स्थित खेलगांव और धुर्वा के कूटे में 3,000 बेड के कोविड-19 को तैयार करने का भी राज्य सरकार ने निर्देश दिया है. बता दें कि रविवार को प्रदेश में 547 कोर्णाक संक्रमित मामले सामने आए हैं.