ETV Bharat / city

उत्तरी छोटानागपुर ने राज्य को दिया पहला CM, झारखंड की राजनीति में इस प्रमंडल का है बड़ा रोल

झारखंड के पांच प्रमंडलों में से एक है उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल. इस प्रमंडल में सबसे ज्यादा 7 जिला और 25 विधानसभा सीट है. झारखंड को पहला मुख्यमंत्री भी इसी प्रमंडल से मिला था. झारखंड गठन के बाद बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे. फिलहाल उत्तरी छोटानागपुर में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. यहां के 18 सीटों पर एनडीए का कब्जा है.

author img

By

Published : Oct 30, 2019, 6:18 PM IST

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल

रांची: झारखंड राज्य पांच प्रमंडलों में बंटा है. जिला और सीटों की सख्या के लिहाज से उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की जमीन सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है. इसकी वजह है प्रमंडल की 25 सीटें. इस प्रमंडल में सबसे ज्यादा सात जिले हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

2009 के चुनाव में यहां बीजेपी की करारी शिकस्त हुई थी. सिर्फ तीन सीटें आई थी, लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी ने कम बैक किया और आज यहां बीजेपी का 16 सीटों पर कब्जा है. जबकि सहयोगी आजसू का दो सीटों पर कब्जा है. यानी इस प्रमंडल की 25 सीटों में से 18 सीटों पर एनडीए काबिज है. खास बात है कि 2009 के चुनाव के वक्त सात सीटों के साथ जेवीएम सबसे बड़ी पार्टी थी, जबकि 6 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी जो अब दो सीटों में सिमट कर रह गयी है.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

बाबूलाल मरांडी अपनी डूबती राजनैतिक नैया को यहीं से बेड़ा पार लगाने में जुटे हैं. बरही और बड़कागांव में कांग्रेस के जो दो विधायक हैं वह भी अपने बूते चुनाव जीतने की ताकत रखते हैं, लेकिन जब परंपरागत रूप से सीटों पर पकड़ की बात की जाए तो बीजेपी और जेएमएम में कोई अंतर नहीं दिखता. बीजेपी सिर्फ झरिया सीट पर पिछले तीन चुनावों से जीतती आ रही है. वहीं, गिरिडीह की डुमरी सीट पर जेएमएम और रामगढ़ सीट पर आजसू. बेशक अभी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन 2009 के नतीजों पर गौर करें तो जेवीएम, कांग्रेस, जेएमएम और राजद की कुल सीटें 18 थीं. इसलिए सभी पार्टियां मौके की तलाश में हैं कि किन मुद्दों को गरमाकर हथौड़ा मारा जाए.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

चुनाव के लिहाज से खासियत
उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में एक भी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है. अलबत्ता यहां सबसे ज्यादा चार सीटें एससी के लिए हैं. 2014 में एससी की चार सीटों में दो पर बीजेपी का कब्जा था. जेवीएम की टिकट पर चंदनकियारी और सिमरिया सीट जीतने वाले विधायकों को बीजेपी में शामिल होने से अब एससी की सभी सीटों पर कब्जा है. एक और खास बात है कि इस क्षेत्र में दबदबा के बावजूद बीजेपी का एक भी विधायक को रघुवर मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. इसकी वजह चंदकियारी सीट को माना जाता है. जेवीएम से बीजेपी में शामिल होने पर अमर बाउरी को मंत्री बनाया गया. दूसरी तरफ आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी को. हालांकि, गिरिडीह से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पिछले दिनों सीपी चौधरी मंत्री पद छोड़ चुके हैं.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

उत्तरी छोटानागपुर ने राज्य को दिया था पहला मुख्यमंत्री
क्या आप जानते हैं कि 15 नवंबर 2000 को गठित झारखंड को पहला मुख्यमंत्री उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल ने दिया था. जी हां जब राज्य का गठन हुआ तब बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाया. उस वक्त बाबूलाल बीजेपी के सांसद थे. उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा का चुनाव जीतना था. इसी बीच रामगढ़ सीट से सीपीआई के विधायक रहे शब्बीर अहमत कुरैशी का असमय निधन हो गया. इसी उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी बीजेपी की टिकट पर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी. हालांकि डोमिसाइल विवाद के कारण उन्हें 18 मार्च 2003 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. बाद में पार्टी में अलग-थलग पड़ने पर उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली.

ये भी पढे़ं:रांची की बेटी गया में चढ़ी दहेज दानवों की बलि, जल्लाद पति ने गर्भवती पत्नी को पीट-पीटकर मार डाला
आर्थिक रूप से सबसे मजबूत
झारखंड का उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा संपन्न है. इसकी वजह है धनबाद, चतरा और रामगढ़ की कोयला खदानें. दूसरी तरफ बोकारो स्टील प्लांट इसे अलग पहचान दिलाता है. चतरा और गिरिडीह जिले में कभी नक्सलियों की पैठ हुआ करती थी जो अब बैकफुट पर हैं.

रांची: झारखंड राज्य पांच प्रमंडलों में बंटा है. जिला और सीटों की सख्या के लिहाज से उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की जमीन सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है. इसकी वजह है प्रमंडल की 25 सीटें. इस प्रमंडल में सबसे ज्यादा सात जिले हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

2009 के चुनाव में यहां बीजेपी की करारी शिकस्त हुई थी. सिर्फ तीन सीटें आई थी, लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी ने कम बैक किया और आज यहां बीजेपी का 16 सीटों पर कब्जा है. जबकि सहयोगी आजसू का दो सीटों पर कब्जा है. यानी इस प्रमंडल की 25 सीटों में से 18 सीटों पर एनडीए काबिज है. खास बात है कि 2009 के चुनाव के वक्त सात सीटों के साथ जेवीएम सबसे बड़ी पार्टी थी, जबकि 6 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी जो अब दो सीटों में सिमट कर रह गयी है.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

बाबूलाल मरांडी अपनी डूबती राजनैतिक नैया को यहीं से बेड़ा पार लगाने में जुटे हैं. बरही और बड़कागांव में कांग्रेस के जो दो विधायक हैं वह भी अपने बूते चुनाव जीतने की ताकत रखते हैं, लेकिन जब परंपरागत रूप से सीटों पर पकड़ की बात की जाए तो बीजेपी और जेएमएम में कोई अंतर नहीं दिखता. बीजेपी सिर्फ झरिया सीट पर पिछले तीन चुनावों से जीतती आ रही है. वहीं, गिरिडीह की डुमरी सीट पर जेएमएम और रामगढ़ सीट पर आजसू. बेशक अभी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन 2009 के नतीजों पर गौर करें तो जेवीएम, कांग्रेस, जेएमएम और राजद की कुल सीटें 18 थीं. इसलिए सभी पार्टियां मौके की तलाश में हैं कि किन मुद्दों को गरमाकर हथौड़ा मारा जाए.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

चुनाव के लिहाज से खासियत
उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में एक भी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है. अलबत्ता यहां सबसे ज्यादा चार सीटें एससी के लिए हैं. 2014 में एससी की चार सीटों में दो पर बीजेपी का कब्जा था. जेवीएम की टिकट पर चंदनकियारी और सिमरिया सीट जीतने वाले विधायकों को बीजेपी में शामिल होने से अब एससी की सभी सीटों पर कब्जा है. एक और खास बात है कि इस क्षेत्र में दबदबा के बावजूद बीजेपी का एक भी विधायक को रघुवर मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. इसकी वजह चंदकियारी सीट को माना जाता है. जेवीएम से बीजेपी में शामिल होने पर अमर बाउरी को मंत्री बनाया गया. दूसरी तरफ आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी को. हालांकि, गिरिडीह से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पिछले दिनों सीपी चौधरी मंत्री पद छोड़ चुके हैं.

North Chhotanagpur division, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

उत्तरी छोटानागपुर ने राज्य को दिया था पहला मुख्यमंत्री
क्या आप जानते हैं कि 15 नवंबर 2000 को गठित झारखंड को पहला मुख्यमंत्री उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल ने दिया था. जी हां जब राज्य का गठन हुआ तब बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाया. उस वक्त बाबूलाल बीजेपी के सांसद थे. उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा का चुनाव जीतना था. इसी बीच रामगढ़ सीट से सीपीआई के विधायक रहे शब्बीर अहमत कुरैशी का असमय निधन हो गया. इसी उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी बीजेपी की टिकट पर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी. हालांकि डोमिसाइल विवाद के कारण उन्हें 18 मार्च 2003 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. बाद में पार्टी में अलग-थलग पड़ने पर उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली.

ये भी पढे़ं:रांची की बेटी गया में चढ़ी दहेज दानवों की बलि, जल्लाद पति ने गर्भवती पत्नी को पीट-पीटकर मार डाला
आर्थिक रूप से सबसे मजबूत
झारखंड का उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा संपन्न है. इसकी वजह है धनबाद, चतरा और रामगढ़ की कोयला खदानें. दूसरी तरफ बोकारो स्टील प्लांट इसे अलग पहचान दिलाता है. चतरा और गिरिडीह जिले में कभी नक्सलियों की पैठ हुआ करती थी जो अब बैकफुट पर हैं.

Intro:Body:

equation of North Chotanagpur division

 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.