रांची: जिले की सात विधानसभा सीटों में सिर्फ कांके विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. इस सीट पर पिछले तीन दशक से बीजेपी का कब्जा है. 1985 के चुनाव तक कांके सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था.
रामचंद्र बैठा ने दिलाई बीजेपी को पहली जीत
1985 के चुनाव में कांग्रेस के हरि राम जीते थे. उस वक्त उनका मुकाबला सीपीआई के बीडी राम से हुआ था. तब बीजेपी प्रत्याशी रामचंद्र नायक को महज 8.29 प्रतिशत वोट मिले थे. खास बात है कि इस चुनाव में रामचंद्र बैठा लोकदल की टिकट पर मैदान में उतरे थे जो बाद में लंबे समय तक बीजेपी के विधायक रहे. फिर 1990 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी बनकर मैदान में उतरे रामचंद्र बैठा ने बीजेपी के लिए जीत का जो सिलसिला शुरू किया वह आज तक जारी है. उन्होंने जनता दल के समरी लाल को हराकर जीत की नींव रखी थी.
1995 में भी बीजेपी के रामचंद्र बैठा का मुकाबला जनता दल के समरी लाल से ही हुआ, लेकिन समरी लाल फिर नहीं टिक पाए. खास बात है कि 1985 में बीजेपी के प्रत्याशी रहे रामचंद्र नायक इस चुनाव में निर्दलीय उतरे थे, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी.
2000 चुनाव में रामचंद्र नायक ने जीता भरोसा
जब साल 2000 का चुनाव आया तो बीजेपी ने अपने पुराने कार्यकर्ता रामचंद्र नायक को 15 साल बाद टिकट देकर मैदान में उतारा. इस उम्मीद पर नायक खरा भी उतरे. उन्होंने इस बार आरजेडी की टिकट पर लड़ रहे समरी लाल को बड़े अंतर से मात दे दी. बीजेपी की जीत का सिलसिला जारी रहा. सिर्फ रामचंद्र नायक और रामचंद्र बैठा प्रत्याशी के रूप में बदलते रहे. क्योंकि 2005 में फिर रामचंद्र बैठा को बीजेपी की कमान मिली. उन्होंने फिर जीत दर्ज की. फर्क सिर्फ इतना था कि पिछले तीन चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे समरी लाल झारखंड आंदोलनकारी पार्टी जेएमएम की टिकट पर उतरे थे.
जीतू चरण राम की हो गई थी जमानत जब्त
इसी चुनाव में कांके के वर्तमान बीजेपी विधायक डॉ. जीतू चरण राम भी उतरे थे. उस वक्त उन्हें यूजीडीपी ने टिकट दिया था तब जीतू की जमानत जब्त हो गई थी. हालांकि, 2009 का चुनाव भी बीजेपी के रामचंद्र बैठा ही जीते थे, लेकिन इसबार उन्हीं की जाति के सुरेश बैठा को कांग्रेस ने मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया. सुरेश बैठा ने बीजेपी प्रत्याशी को टक्कर भी दी, लेकिन 4,571 वोट के अंतर से हार गए.
ये भी पढे़ं: झारखंड में विधानसभा चुनाव का ऐलान, जानें कितनी सीटों पर कब पड़ेंगे वोट
2014 में बीजेपी को मिला जितू का सहारा
अब बारी थी 2014 के चुनाव की. मोदी लहर का यहां जबरदस्त असर दिखा. बीजेपी ने भी अपने पूर्व के दो विधायकों रामचंद्र बैठा और रामचंद्र नायक की जगह रविदास समाज से आने वाले होम्योपैथी के डॉक्टर जीतू चरण राम पर दाव आजमाया. पिछले मुकाबले को देखते हुए कांग्रेस ने फिर सुरेश बैठा को टिकट दिया, लेकिन मोदी लहर में सारी पार्टियां बिखर गईं. बीजेपी के जीतू चरण राम ने रिकॉर्ड 59,408 वोट के अंतर से एकतरफा जीत दर्ज की.