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कोरोना काल में परेशानियों से डटकर लड़ रहे बुजुर्ग, गार्जियन का निभा रहे फर्ज - रांची के बुजुर्ग की खबरें

कोरोना वायरस, बच्चे और बुजुर्गों पर ज्यादा घातक होने की बात सामने आते ही उनके स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती रही है. ऐसे में बुजर्गों को कई परेशानियों से लड़ना पड़ा और लड़ रहे हैं. इस विकट परिस्थिति में उन्होंने अभिभावक होने का पूरा परिचय दिया और घरों पर ही रहना मुनासिब समझा.

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Published : Jun 16, 2020, 9:15 PM IST

रांची: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण हर वर्ग को परेशानी हुई. लेकिन सबसे अधिक मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हुए राज्य के बुजुर्ग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील के बाद बुजुर्गों ने घर से निकलना बंद कर दिया. ऐसे में शारीरिक गतिविधियां उनकी रुक सी गई. परेशानियां तो थी, लेकिन देश की भलाई और इस महामारी से बचने के लिए उन्होंने घर में रहना ही मुनासिब समझा. हालांकि उन्हें लॉकडाउन पीरियड में कई परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ा.

देखें पूरी खबर
सरकार के पास चुनौती
झारखंड में काफी संख्या में बुजुर्ग रहते हैं. समाज और सरकार के लिए उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई जब कोरोना वायरस, बच्चे और बुजुर्गों पर ज्यादा घातक होने की बात सामने आई. समाज और परिवार के साथ चुनौती थी कि वह अपने बुजुर्गों का ख्याल कैसे रखें, तो सरकार के पास चुनौती यह थी कि बुजुर्गों के लिए क्या कुछ अलग व्यवस्था किया जाए. क्योंकि ऐसे भी सैकड़ों बुजुर्ग दंपती हैं जो अपने घरों में अकेले ही रहते हैं. उन बुजुर्गों के समक्ष कोरोना महामारी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं थी.
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बुजुर्गों को ज्यादा परेशानी

ये भी पढ़ें- AJSU सुप्रीमो सुदेश महतो से मिले सीएम हेमंत सोरेन, बीजेपी खेमे में बढ़ी बेचैनी

घरों पर ही रहना मुनासिब समझा

हालांकि, प्रधानमंत्री के अपील और उनकी ओर से टेलीविजन के माध्यम से बार-बार बुजुर्गों को सलाह दिए जाने से कुछ हद तक परेशानी कम हुई. यह बातें झारखंड के बुजुर्ग भी कहते हैं. सामान्य दिनों में बुजुर्ग अपने समाज के साथियों के साथ पार्क में टहलते हैं, घर परिवार के साथ सैर सपाटा पर निकलते हैं. तो इवनिंग और मॉर्निंग वॉक करने के उद्देश्य से हर दिन निकलने की दिनचर्या रहती है. लेकिन जैसे ही कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी बढ़ा बुजुर्गों की मानो दिनचर्या ही थम गई. उन्हें कई परेशानियों का लगातार सामना करना पड़ा. ऐसे में बैंकों से रुपयों की निकासी हो, बाजार से सामान खरीदना हो या फिर कोई अन्य आवश्यक चीजों की जरूरत पूरी करनी हो, इसमें समस्या उन्हें जरूर हुई. हालांकि, इन परेशानियों से बुजुर्गों ने भी डट कर लड़ा और इस विकट परिस्थिति में उन्होंने अभिभावक होने का पूरा परिचय दिया और घरों पर ही रहना मुनासिब समझा.

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लाठी के सहारे सड़क पर चलता बुजुर्ग

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत की मौत से आहत प्रशंसक ने की आत्महत्या, फंदे से झूलती मिली लाश



झारखंड में बढ़ रही बुजुर्गों की संख्या
झारखंड में 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वर्ष 2011 में 24 लाख से अधिक बुजुर्ग हैं और इनकी संख्या बढ़ रही है. एक आंकड़ा बताता है कि आने वाले समय में 2022 तक इनकी संख्या 35 लाख तक होगी. वर्ष 2031 में 44 लाख और वर्ष 2041 में 60 लाख हो जाएंगे. इस आंकड़े को सामने रखने की वजह यह है कि कोरोना वायरस सबसे अधिक बुजुर्गों को ही प्रभावित कर रहा है. कोरोना वायरस से पीड़ित, मृत्यु दर में भी बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में समाज और सरकार को भी इन बुजुर्गों की हिफाजत करनी होगी. नहीं तो आने वाला समय भयावह हो सकता है .

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सावधानी बरत रहे बुजुर्ग
पेंशन को लेकर नहीं हुई ज्यादा परेशानी
वहीं, इस कोरोना महामारी के दौरान अगर हम पेंशन से संबंधित परेशानियों की बात करें तो बुजुर्गों को कोई खास परेशानी इसमें नहीं आई है. क्योंकि तमाम व्यवस्थाएं केंद्र सरकार की तरफ से ऑनलाइन की गई है. ऑनलाइन ही पेंशन धारियों को पेंशन उनके बैंक खाते में डाला जा रहा है. हां कुछ बैंकों ने भी कोरोना महामारी के दौरान व्यवस्था की थी. अगर किन्ही भी बुजुर्ग को पेंशन का रुपया उनके आवास में चाहिए तो उन्हें मुहैया कराया जा रहा था. इसकी जानकारी बुजुर्गों ने ही खुद शेयर की है.

ये भी पढ़ें- प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही रोजगार से जोड़ने के लिए कांग्रेस तैयार कर रही डेटाबेस, हुई बैठक

झारखंड पेंशनर कल्याण समाज ने किया बेहतर काम
बुजुर्गों के लिए काम करने वाली झारखंड पेंशनर कल्याण समाज की कुल 36 संस्था का काम करती है. जो जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर भी संचालित हो रही है. इन शाखाओं के जरिए भी पेंशन से संबंधित तमाम परेशानियां दूर की जाती रही है. इस कोरोना काउंट में भी यह कल्याण समाज बेहतर तरीके से पेंशनर की समस्याओं को निष्पादित किया है. रांची जिले के डीसी ऑफिस में स्थित पेंशनर कल्याण समाज के कार्यालय में सिर्फ 60 हजार पेंशनर रजिस्टर्ड हैं और उन्हें समय पर पेंशन मिल रहा है. इसकी जानकारी इस कार्यालय से मिली है. इनकी माने तो 1 लाख 60 हजार पेंशनर को प्रतिमाह वृद्धा पेंशन दी जा रही है. हालांकि, वृद्धों के लिए देने वाले ऐसे कई पेंशन हैं जो दिए जाते हैं और बुजुर्गों की संख्या ऐसे पेंशन का लाभ लेने के लिए लाखों में है. कोरोना काल में पेंशनर कल्याण समाज की ओर से इनके लिए बेहतरीन काम किए गए हैं.

रांची: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण हर वर्ग को परेशानी हुई. लेकिन सबसे अधिक मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हुए राज्य के बुजुर्ग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील के बाद बुजुर्गों ने घर से निकलना बंद कर दिया. ऐसे में शारीरिक गतिविधियां उनकी रुक सी गई. परेशानियां तो थी, लेकिन देश की भलाई और इस महामारी से बचने के लिए उन्होंने घर में रहना ही मुनासिब समझा. हालांकि उन्हें लॉकडाउन पीरियड में कई परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ा.

देखें पूरी खबर
सरकार के पास चुनौती
झारखंड में काफी संख्या में बुजुर्ग रहते हैं. समाज और सरकार के लिए उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई जब कोरोना वायरस, बच्चे और बुजुर्गों पर ज्यादा घातक होने की बात सामने आई. समाज और परिवार के साथ चुनौती थी कि वह अपने बुजुर्गों का ख्याल कैसे रखें, तो सरकार के पास चुनौती यह थी कि बुजुर्गों के लिए क्या कुछ अलग व्यवस्था किया जाए. क्योंकि ऐसे भी सैकड़ों बुजुर्ग दंपती हैं जो अपने घरों में अकेले ही रहते हैं. उन बुजुर्गों के समक्ष कोरोना महामारी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं थी.
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बुजुर्गों को ज्यादा परेशानी

ये भी पढ़ें- AJSU सुप्रीमो सुदेश महतो से मिले सीएम हेमंत सोरेन, बीजेपी खेमे में बढ़ी बेचैनी

घरों पर ही रहना मुनासिब समझा

हालांकि, प्रधानमंत्री के अपील और उनकी ओर से टेलीविजन के माध्यम से बार-बार बुजुर्गों को सलाह दिए जाने से कुछ हद तक परेशानी कम हुई. यह बातें झारखंड के बुजुर्ग भी कहते हैं. सामान्य दिनों में बुजुर्ग अपने समाज के साथियों के साथ पार्क में टहलते हैं, घर परिवार के साथ सैर सपाटा पर निकलते हैं. तो इवनिंग और मॉर्निंग वॉक करने के उद्देश्य से हर दिन निकलने की दिनचर्या रहती है. लेकिन जैसे ही कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी बढ़ा बुजुर्गों की मानो दिनचर्या ही थम गई. उन्हें कई परेशानियों का लगातार सामना करना पड़ा. ऐसे में बैंकों से रुपयों की निकासी हो, बाजार से सामान खरीदना हो या फिर कोई अन्य आवश्यक चीजों की जरूरत पूरी करनी हो, इसमें समस्या उन्हें जरूर हुई. हालांकि, इन परेशानियों से बुजुर्गों ने भी डट कर लड़ा और इस विकट परिस्थिति में उन्होंने अभिभावक होने का पूरा परिचय दिया और घरों पर ही रहना मुनासिब समझा.

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लाठी के सहारे सड़क पर चलता बुजुर्ग

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत की मौत से आहत प्रशंसक ने की आत्महत्या, फंदे से झूलती मिली लाश



झारखंड में बढ़ रही बुजुर्गों की संख्या
झारखंड में 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वर्ष 2011 में 24 लाख से अधिक बुजुर्ग हैं और इनकी संख्या बढ़ रही है. एक आंकड़ा बताता है कि आने वाले समय में 2022 तक इनकी संख्या 35 लाख तक होगी. वर्ष 2031 में 44 लाख और वर्ष 2041 में 60 लाख हो जाएंगे. इस आंकड़े को सामने रखने की वजह यह है कि कोरोना वायरस सबसे अधिक बुजुर्गों को ही प्रभावित कर रहा है. कोरोना वायरस से पीड़ित, मृत्यु दर में भी बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में समाज और सरकार को भी इन बुजुर्गों की हिफाजत करनी होगी. नहीं तो आने वाला समय भयावह हो सकता है .

Elders are fighting with difficulties in Corona period in ranchi, elderly group troubles during Corona in Ranchi, news of elderly section from Ranchi, रांची में कोरोना काल में बुजुर्ग कठिनाइयों से लड़ रहे, रांची के बुजुर्ग की खबरें, रांची में कोरोना से बुजुर्ग वर्ग को परेशानी
सावधानी बरत रहे बुजुर्ग
पेंशन को लेकर नहीं हुई ज्यादा परेशानी
वहीं, इस कोरोना महामारी के दौरान अगर हम पेंशन से संबंधित परेशानियों की बात करें तो बुजुर्गों को कोई खास परेशानी इसमें नहीं आई है. क्योंकि तमाम व्यवस्थाएं केंद्र सरकार की तरफ से ऑनलाइन की गई है. ऑनलाइन ही पेंशन धारियों को पेंशन उनके बैंक खाते में डाला जा रहा है. हां कुछ बैंकों ने भी कोरोना महामारी के दौरान व्यवस्था की थी. अगर किन्ही भी बुजुर्ग को पेंशन का रुपया उनके आवास में चाहिए तो उन्हें मुहैया कराया जा रहा था. इसकी जानकारी बुजुर्गों ने ही खुद शेयर की है.

ये भी पढ़ें- प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही रोजगार से जोड़ने के लिए कांग्रेस तैयार कर रही डेटाबेस, हुई बैठक

झारखंड पेंशनर कल्याण समाज ने किया बेहतर काम
बुजुर्गों के लिए काम करने वाली झारखंड पेंशनर कल्याण समाज की कुल 36 संस्था का काम करती है. जो जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर भी संचालित हो रही है. इन शाखाओं के जरिए भी पेंशन से संबंधित तमाम परेशानियां दूर की जाती रही है. इस कोरोना काउंट में भी यह कल्याण समाज बेहतर तरीके से पेंशनर की समस्याओं को निष्पादित किया है. रांची जिले के डीसी ऑफिस में स्थित पेंशनर कल्याण समाज के कार्यालय में सिर्फ 60 हजार पेंशनर रजिस्टर्ड हैं और उन्हें समय पर पेंशन मिल रहा है. इसकी जानकारी इस कार्यालय से मिली है. इनकी माने तो 1 लाख 60 हजार पेंशनर को प्रतिमाह वृद्धा पेंशन दी जा रही है. हालांकि, वृद्धों के लिए देने वाले ऐसे कई पेंशन हैं जो दिए जाते हैं और बुजुर्गों की संख्या ऐसे पेंशन का लाभ लेने के लिए लाखों में है. कोरोना काल में पेंशनर कल्याण समाज की ओर से इनके लिए बेहतरीन काम किए गए हैं.

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