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स्कूलों के अन्य फीस माफ, सिर्फ ट्यूशन फीस लेंगे राज्य के निजी स्कूल

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और स्कूल एसोसिएशन के बीच बैठक हुई. बता दें कि इस बैठक में ट्यूशन फीस छोड़कर तमाम फीस माफी को लेकर सहमति बनी है.

Education Minister Jagarnath Mahto, Education Minister and School Association meeting in Ranchi, meeting in Ranchi regarding school fees, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, रांची में शिक्षा मंत्री और स्कूल एसोसिएशन की बैठक, स्कूल फीस को लेकर रांची में बैठक
बैठक करते जगरनाथ महतो
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Published : Jun 9, 2020, 6:57 PM IST

रांची: शिक्षा मंत्री और स्कूल एसोसिएशन के बीच हुई बैठक में ट्यूशन फीस छोड़कर तमाम फीस माफी को लेकर सहमति बनी है. हालांकि इससे पहले अभिभावक मंच के साथ हुई बैठक के दौरान यह कहा गया था कि 3 महीने तक किसी भी तरीके का फीस वसूली नहीं होगा. लेकिन स्कूल एसोसिएशन के साथ बैठक करने के बाद निर्णय में बदलाव आया है.

देखें पूरी खबर
शिक्षा मंत्री ने की बैठकशिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार, प्रोजेक्ट बिल्डिंग में शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव और अभिभावक संघ के साथ-साथ निजी स्कूल एसोसिएशन के बीच त्रिस्तरीय बैठक करने पर सहमति बनी थी. लेकिन ऐन मौके पर निर्णय बदला और अलग-अलग बैठकें आयोजित की गई. पहली बैठक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अभिभावक मंच के बीच हुई. वहीं दूसरी बैठक शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव और स्कूल एसोसिएशन के बीच आयोजित की गई .बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशानुसार फैसला लिया गया है. अभिभावक मंच के अलावा निजी स्कूलों की दलीलें भी सुनी गई हैं.

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'नहीं तो विभाग कार्रवाई करेगी'
हालांकि, अभिभावक मंच की मांगों को दरकिनार कर ही शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है. शिक्षा विभाग के अनुसार, ट्यूशन फीस फिलहाल लिया जाएगा. लेकिन अन्य मद में कोई भी राशि अभिभावकों से वसूली नहीं की जाएगी. इसमें बस भाड़ा के अलावे डेवलपमेंट फीस और भी कई मदों के स्कूल फीस शामिल हैं. हालांकि शिक्षा मंत्री और निजी स्कूलों के बीच का बयान में अभी भी विरोधाभास है. लेकिन फिर भी शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि अगले आदेश तक निजी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वह अभिभावकों पर दबाव न डालें और ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी फीस को लेकर अभिभावकों से पैसों की मांग न करें, नहीं तो विभाग कार्रवाई करेगी.

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ट्यूशन फीस लेना मजबूरी
निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राम सिंह का कहना है कि अभिभावकों पर कभी भी स्कूल प्रबंधक दबाव नहीं बनाते हैं. हालांकि, अभी परिस्थिति को देखते हुए किसी भी मद में स्कूल प्रबंधन पैसा नहीं लेंगे. लेकिन ट्यूशन फीस लेना मजबूरी है. क्योंकि शिक्षकों को सैलरी भी स्कूल प्रबंधकों को देना है.

रांची: शिक्षा मंत्री और स्कूल एसोसिएशन के बीच हुई बैठक में ट्यूशन फीस छोड़कर तमाम फीस माफी को लेकर सहमति बनी है. हालांकि इससे पहले अभिभावक मंच के साथ हुई बैठक के दौरान यह कहा गया था कि 3 महीने तक किसी भी तरीके का फीस वसूली नहीं होगा. लेकिन स्कूल एसोसिएशन के साथ बैठक करने के बाद निर्णय में बदलाव आया है.

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शिक्षा मंत्री ने की बैठकशिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार, प्रोजेक्ट बिल्डिंग में शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव और अभिभावक संघ के साथ-साथ निजी स्कूल एसोसिएशन के बीच त्रिस्तरीय बैठक करने पर सहमति बनी थी. लेकिन ऐन मौके पर निर्णय बदला और अलग-अलग बैठकें आयोजित की गई. पहली बैठक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अभिभावक मंच के बीच हुई. वहीं दूसरी बैठक शिक्षा मंत्री शिक्षा सचिव और स्कूल एसोसिएशन के बीच आयोजित की गई .बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशानुसार फैसला लिया गया है. अभिभावक मंच के अलावा निजी स्कूलों की दलीलें भी सुनी गई हैं.

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'नहीं तो विभाग कार्रवाई करेगी'
हालांकि, अभिभावक मंच की मांगों को दरकिनार कर ही शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है. शिक्षा विभाग के अनुसार, ट्यूशन फीस फिलहाल लिया जाएगा. लेकिन अन्य मद में कोई भी राशि अभिभावकों से वसूली नहीं की जाएगी. इसमें बस भाड़ा के अलावे डेवलपमेंट फीस और भी कई मदों के स्कूल फीस शामिल हैं. हालांकि शिक्षा मंत्री और निजी स्कूलों के बीच का बयान में अभी भी विरोधाभास है. लेकिन फिर भी शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि अगले आदेश तक निजी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वह अभिभावकों पर दबाव न डालें और ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी फीस को लेकर अभिभावकों से पैसों की मांग न करें, नहीं तो विभाग कार्रवाई करेगी.

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ट्यूशन फीस लेना मजबूरी
निजी स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राम सिंह का कहना है कि अभिभावकों पर कभी भी स्कूल प्रबंधक दबाव नहीं बनाते हैं. हालांकि, अभी परिस्थिति को देखते हुए किसी भी मद में स्कूल प्रबंधन पैसा नहीं लेंगे. लेकिन ट्यूशन फीस लेना मजबूरी है. क्योंकि शिक्षकों को सैलरी भी स्कूल प्रबंधकों को देना है.

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