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स्कूल फीस मामले को लेकर जारी है निजी स्कूल और शिक्षा विभाग में विवाद, अब तक नहीं निकला कोई हल

सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने एक बार फिर निजी स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि वह लॉकडाउन अवधि की फीस और बस भाड़ा की वसूली न करें. ऐसा करने पर कार्रवाई की भी बात कही. इधर, पिछली सरकार की स्थनीय नीति को त्रूटिपूर्ण बताते हुए 1932 या 1964 के खतियान की वकालत की.

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जगरनाथ महतो, मंत्री
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Published : May 6, 2020, 6:53 PM IST

Updated : May 6, 2020, 11:56 PM IST

रांची: राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने एक बार फिर निजी स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि वह लॉकडाउन अवधि की फीस और बस भाड़ा ना लें. ऐसा करनेवाले स्कूलों पर कार्रवाई जरूर होगी. जबकि निजी स्कूल प्रबंधकों ने यह कहा है कि अगर बच्चों से फीस नहीं लेंगे तो शिक्षकों और कर्मचारियों को कैसे वेतन भुगतान करेंगे. हालांकि मामले को लेकर लगातार माथापच्ची का दौर जारी है, शिक्षा विभाग द्वारा एक कमिटी भी इसे लेकर गठित की गई है और भी कई मामलों को लेकर शिक्षा मंत्री ने विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

मंत्री से किया विचार विमर्श का आग्रह

राज्य के शिक्षा मंत्री लगातार यह कह रहे हैं कि निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान की अवधि की फीस वसूली अभिभावकों से ना करें. लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन इसे मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अगर बच्चों से फीस नहीं लेंगे तो कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन कैसे देंगे. इसे लेकर तमाम निजी स्कूल प्रबंधकों ने भी शिक्षा मंत्री से इस दिशा में विचार विमर्श करने का आग्रह किया है. इस पूरे मामले पर रिपोर्ट देने को लेकर एक कमिटी भी गठित की गई है. कमेटी द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद ही इस दिशा में कदम बढ़ाए जाने का संकेत मिल रहा है.

मंत्री ने की 1932 या 1964 के खतियान की वकालत

वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के करीब 23 हजार पद खाली हैं. लॉकडाउन समाप्त होने के बाद पदों को भरने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी और नियुक्ति प्रक्रिया में स्थानीय युवाओं को ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी दी जाएगी. इसे लेकर नियमावली के तहत काम किया जाएगा, नए सिरे से स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिले इसे लेकर स्थानीय नीति को लेकर भी विचार-विमर्श लगातार किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री ने रघुवर सरकार के स्थानीय नीति को सही नहीं बताया है. उनकी माने तो इस स्थानीय नीति के कारण झारखंड के लोगों को नियुक्ति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है. शिक्षा मंत्री 1932 या 1964 के खतियान की भी वकालत की है.

ये भी पढ़ें- गोल्फ ग्राउंड में बस ड्राइवरों ने किया हंगामा, खराब खाना देने का लगाया आरोप

जेपीएससी मामले पर भी रखी राय

इधर, शिक्षा मंत्री ने जेपीएससी की छठी सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम के कट ऑफ मार्क्स में त्रुटि का मामला सामने आने के बाद इसकी जांच कराने की बात भी कही है. उन्होंने कहा है कि परीक्षार्थी सीधे उनसे संपर्क करें जेपीएससी मामले को लेकर लगातार सीएम से भी विचार विमर्श किया जा रहा है. बता दें कि इन दिनों शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो तमाम जिला मुख्यालयों का निरीक्षण भी कर रहे हैं और संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ-साथ निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के परेशानियों को भी जाने की कोशिश कर रहे हैं.

रांची: राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने एक बार फिर निजी स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि वह लॉकडाउन अवधि की फीस और बस भाड़ा ना लें. ऐसा करनेवाले स्कूलों पर कार्रवाई जरूर होगी. जबकि निजी स्कूल प्रबंधकों ने यह कहा है कि अगर बच्चों से फीस नहीं लेंगे तो शिक्षकों और कर्मचारियों को कैसे वेतन भुगतान करेंगे. हालांकि मामले को लेकर लगातार माथापच्ची का दौर जारी है, शिक्षा विभाग द्वारा एक कमिटी भी इसे लेकर गठित की गई है और भी कई मामलों को लेकर शिक्षा मंत्री ने विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं.

मंत्री से किया विचार विमर्श का आग्रह

राज्य के शिक्षा मंत्री लगातार यह कह रहे हैं कि निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान की अवधि की फीस वसूली अभिभावकों से ना करें. लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन इसे मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अगर बच्चों से फीस नहीं लेंगे तो कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन कैसे देंगे. इसे लेकर तमाम निजी स्कूल प्रबंधकों ने भी शिक्षा मंत्री से इस दिशा में विचार विमर्श करने का आग्रह किया है. इस पूरे मामले पर रिपोर्ट देने को लेकर एक कमिटी भी गठित की गई है. कमेटी द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद ही इस दिशा में कदम बढ़ाए जाने का संकेत मिल रहा है.

मंत्री ने की 1932 या 1964 के खतियान की वकालत

वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के करीब 23 हजार पद खाली हैं. लॉकडाउन समाप्त होने के बाद पदों को भरने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी और नियुक्ति प्रक्रिया में स्थानीय युवाओं को ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी दी जाएगी. इसे लेकर नियमावली के तहत काम किया जाएगा, नए सिरे से स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिले इसे लेकर स्थानीय नीति को लेकर भी विचार-विमर्श लगातार किया जा रहा है. शिक्षा मंत्री ने रघुवर सरकार के स्थानीय नीति को सही नहीं बताया है. उनकी माने तो इस स्थानीय नीति के कारण झारखंड के लोगों को नियुक्ति में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है. शिक्षा मंत्री 1932 या 1964 के खतियान की भी वकालत की है.

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जेपीएससी मामले पर भी रखी राय

इधर, शिक्षा मंत्री ने जेपीएससी की छठी सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम के कट ऑफ मार्क्स में त्रुटि का मामला सामने आने के बाद इसकी जांच कराने की बात भी कही है. उन्होंने कहा है कि परीक्षार्थी सीधे उनसे संपर्क करें जेपीएससी मामले को लेकर लगातार सीएम से भी विचार विमर्श किया जा रहा है. बता दें कि इन दिनों शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो तमाम जिला मुख्यालयों का निरीक्षण भी कर रहे हैं और संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ-साथ निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के परेशानियों को भी जाने की कोशिश कर रहे हैं.

Last Updated : May 6, 2020, 11:56 PM IST
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