रांची: बारिश नहीं होने से किसानों को अब सूखे का डर सताने लगा है. इस बार झारखंड में मानसून देर से सक्रिय हुआ, जिसके बाद वो फिर कमजोर पड़ गया. इस वजह से खरीफ की बुवाई काफी पिछड़ गई है. इसका असर अगली फसल में भी साफ देखने को मिल सकता है. खरीफ फसल की देरी के कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखने को मिल रही है.
राजधानी में इस बार पिछले साल की तुलना में सबसे कम बारिश हुई है. जुलाई महीने के शुरुआती दिनों में बारिश ने किसानों के मन में एक आस जगाई, जिसके बाद किसानों ने खेतों में बिचड़े का छिड़काव कर दिया. हालांकि रोपाई के समय मानसून ने किसानों के साथ पूरी तरह से दगा कर दिया. प्रगतिशील किसान नकुल महतो की मानें, तो 15 जुलाई तक धान की रोपाई पूरी हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. अब सुखाड़ की स्थिति से कोई नहीं बचा सकता.
इसके साथ ही बगोदर में भी किसान बारिश नहीं होने से खेतों में दरार पड़ने लगी है व धान का बीचड़ा मुरझाने लगा और मंडुवा, मकई आदि की फसलें भी दम तोड़ने लगी हैं. सूख रहे फसलों को बचाने की कवायद में किसान जुट गए हैं. जहां पानी की व्यवस्था है वहां पटवन कर मुरझा रही फसलों को बचाने की जदोजहद में किसान जुटे हुए हैं.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एके वादूद ने माना कि झारखंड में इस बार बहुत ही भयावह स्थिति बनी हुई है. जून के महीने में लगभग 50 से 60 प्रतिशत बारिश में कमी देखी गई. वहीं, जुलाई के महीने में 40 फीसदी बारिश में कमी देखने को मिली, जिसके कारण फसलों का अक्षादान नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि अभी भी किसान आकाश मिक खेती को अपनाकर नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.