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अकाल के मुहाने पर झारखंड: 120 दिन से ज्यादा का समय लेने वाले धान के बीज की बिक्री पर लगी रोक

झारखंड में कम बारिश से स्थिति चिंताजनक हो गई है. पिछले 10 सालों में सबसे कम बारिश होने से खेतों में लगी धान की फसल सूखने के कगार पर आ गई है. धान के सूखते फसल को देखते हुए राज्य कृषि निदेशक ने धान के बीजों को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं.

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झारखंड में सूखे का संकट
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Published : Jul 22, 2022, 11:33 AM IST

Updated : Jul 22, 2022, 12:07 PM IST

रांची: कम बारिश की वजह से झारखंड में सूखे का संकट मंडरा रहा है. प्रदेश में जुलाई महीने से अब तक पिछले 10 सालों की अपेक्षा सबसे कम बारिश हुई है. इसके कारण खेतों में लगे धान के पौधे सूख रहे हैं. कृषि विभाग ने जहां सभी जिलों से धान की रोपाई और बारिश की रिपोर्ट मांगी है वहीं कृषि निदेशक ने जिलों को लॉन्ग डूयरेशन के धान की फसल के बीज की बिक्री नहीं हो इसको सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

ये भी पढे़ं:- झारखंड में कम बारिश ने बढ़ाई सरकार की चिंता, कृषि मंत्री ने सभी जिलों के उपायुक्तों के साथ की बात

काफी कम हुई बारिश: झारखंड में इस साल मानसून ने किसानों के साथ दगाबाजी की है. राज्य में अब तक सामान्य से 51 फीसदी कम बारिश हुई है. जिसकी वजह से राज्य में 10 प्रतिशत से भी कम बुआई हुई है.जबकि 65% बिचड़ा किसानों ने लगाया गया था. पहुंचे झारखंड के अलग-अलग जिलों में सूखे के क्या हालात हैं उसके लिए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सभी जिलों के डीसी से जानकारी ली है.

झारखंड में स्थिति चिंताजनक: राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में कम बारिश से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है, विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले एक सप्ताह तक राज्य में बारिश की स्थिति यह तय करेगा कि आगे हालात कैसे होंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि अगर अब बारिश हो भी तब भी धान की उपज पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

धान के बीज को लेकर निर्देश: सूखे की स्थिति और कम बारिश को देखते हुए राज्य कृषि निदेशक निशा उरांव ने सभी जिलों के अधिकारियों को धान की वैसी फसल की बीजों की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया है जो काफी समय तक पानी के आभाव में खेतों में रही थी. निदेशक के अनुसार इन फसलों की बीजों से किसानों उसके पैदावार का लाभ नहीं मिलेगा. निदेशक ने कहा कि 120 दिन से ज्यादा के बाद पैदा होने वाले धान के बीजों की बिक्री नहीं हो इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

रांची: कम बारिश की वजह से झारखंड में सूखे का संकट मंडरा रहा है. प्रदेश में जुलाई महीने से अब तक पिछले 10 सालों की अपेक्षा सबसे कम बारिश हुई है. इसके कारण खेतों में लगे धान के पौधे सूख रहे हैं. कृषि विभाग ने जहां सभी जिलों से धान की रोपाई और बारिश की रिपोर्ट मांगी है वहीं कृषि निदेशक ने जिलों को लॉन्ग डूयरेशन के धान की फसल के बीज की बिक्री नहीं हो इसको सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

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काफी कम हुई बारिश: झारखंड में इस साल मानसून ने किसानों के साथ दगाबाजी की है. राज्य में अब तक सामान्य से 51 फीसदी कम बारिश हुई है. जिसकी वजह से राज्य में 10 प्रतिशत से भी कम बुआई हुई है.जबकि 65% बिचड़ा किसानों ने लगाया गया था. पहुंचे झारखंड के अलग-अलग जिलों में सूखे के क्या हालात हैं उसके लिए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सभी जिलों के डीसी से जानकारी ली है.

झारखंड में स्थिति चिंताजनक: राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में कम बारिश से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है, विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले एक सप्ताह तक राज्य में बारिश की स्थिति यह तय करेगा कि आगे हालात कैसे होंगे. कृषि मंत्री ने कहा कि अगर अब बारिश हो भी तब भी धान की उपज पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

धान के बीज को लेकर निर्देश: सूखे की स्थिति और कम बारिश को देखते हुए राज्य कृषि निदेशक निशा उरांव ने सभी जिलों के अधिकारियों को धान की वैसी फसल की बीजों की बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया है जो काफी समय तक पानी के आभाव में खेतों में रही थी. निदेशक के अनुसार इन फसलों की बीजों से किसानों उसके पैदावार का लाभ नहीं मिलेगा. निदेशक ने कहा कि 120 दिन से ज्यादा के बाद पैदा होने वाले धान के बीजों की बिक्री नहीं हो इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

Last Updated : Jul 22, 2022, 12:07 PM IST
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