रांची: झारखंड विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान जल संसाधन विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की अनुदान मांगों पर सदन में स्वीकृति मिली. शुक्रवार को सेकंड हाफ में जल संसाधन विभाग के 13,31,59,39000 रुपए, विभाग के तहत लघु सिंचाई प्रभाग के 2,27,40,06000 रुपए समेत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के लिए 30,89,05,24000 अनुदान मांगों पर स्वीकृति मिली.
सदन में जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि विभाग जल का उत्तम प्रबंधन कैसे कर सके इसका ध्यान रखा जाएगा. इसके साथ ही झारखंड के संपदा को किसी को लूटने नहीं दिया जाएगा. अपने जवाब में सरकार ने कहा कि मूर्ति विसर्जन पर इको फ्रेंडली सिस्टम को लेकर भी सरकार कदम आगे बढ़ाएगी. नाली में बहने वाले पानी को प्यूरिफाई कर नदी में सप्लाई किया जाएगा.
भाकपा माले के विनोद सिंह ने रखा कटौती प्रस्ताव
इससे पहले कटौती प्रस्ताव लाते हुए विनोद सिंह ने कहा कि सिंचाई की योजनाएं काफी पुरानी हैं. योजनाओं का प्रारूप 12 करोड़ और अब बढ़ते-बढ़ते 2500 करोड़ हो गया है. इसके साथ ही चूहे बांध में सेंध लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में शौचालय निर्माण में गिरिडीह को पुरस्कार भले मिल गया, लेकिन उनके गांव में कई ऐसे घर है, जहां शौचालय निर्माण का पैसा नहीं मिला.
झामुमो विधायक ने विस्थापन का मुद्दा उठाया
वहीं, झामुमो के मथुरा महतो ने कहा कि दो दशक में किसान के लिए योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी. पंचेत और कोनार डैम तो बना, लेकिन विस्थापितों को कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक विरोध होने पर जनप्रतिनिधियों को जेल भेज दिया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पैक्स बंद हो गया है. किसानों को संरक्षण जरूरी है. धनबाद के करमाटांड़ में कई गांव विस्थापित हुए हैं. वहीं, 1982 में पुनासी योजना शुरू हुई, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला. धनबाद में तोपचांची झील के गहरीकरण के नाम पर भी पैसों की निकासी हो गई.
बीजेपी के चंद्रवंशी ने सरकार को घेरा
बीजेपी के रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं और योजनाओं को पूरा करने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने श्वेत पत्र का जिक्र किया और कहा खजाना खाली है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति होती है तो चेक डैम कैसे बन गए होते.
कांग्रेस ने शौचालय को लेकर खड़े किए सवाल
कांग्रेस के राजेश कच्छप ने कहा कि बहुत सारे शौचालय अभी भी अधूरे हैं. पैसे के अभाव में उनका निर्माण नहीं हो पा रहा है. इसके साथ ही खेत खलिहान में जाने को लोग विवश हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक झरनों को बांधकर सिंचाई व्यवस्था डेवलप किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने डोभा खोदा, लेकिन उससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिला.
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अन्य विधायकों ने भी लिया हिस्सा
वहीं, दिनेश विलियम मरांडी ने कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत किसी भी नदी का पानी गंगा में आता है तो वहां बांध नहीं बन सकता है. उन्होंने कहा कि उनके इलाके में जलस्तर नीचे जा रहा है. वहीं, बीजेपी के अमित मंडल ने कहा कि सरकार का खजाना कभी खाली नहीं होता. 2014 में भी सरकार पर कर्ज था और 2019 में भी सरकार पर कर्ज है. उन्होंने कहा कि राज्य में 3800000 हेक्टेयर जमीन में महज 20% में ही सिंचाई की व्यवस्था है. हालांकि, अनुदान मांगों पर चर्चा के बाद माले विधायक ने अपना कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया.