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झारखंड में वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर न हों परेशान लेकिन आने वाली है बड़ी चुनौती

झारखंड में कोरोना की वैक्सीन करीब-करीब खत्म हो चुकी है. संभव है कि गुरुवार के बाद टीकाकरण अभियान ही रूक जाए. फिलहाल जिस जिले में ज्यादा डिमांड है वहां के लिए कम डिमांड वाले जिलों से वैक्सीन मंगवाकर हालात को मैनेज किया जा रहा है.

dr prabhat kumar on corona vaccine in jharkhand
dr prabhat kumar on corona vaccine in jharkhand
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Published : Apr 7, 2021, 6:37 PM IST

रांची: झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में फिलहाल कोविशील्ड वैक्सीन दी जा रही है. दूसरे जिलों से कोवैक्सीन का कुछ डोज मंगवाया गया है. लेकिन सच यह है कि कल कोवैक्सीन की दूसरी डोज लेने पहुंचे कई लोगों को रांची के सदर अस्पताल और रिम्स से खाली हाथ लौटना पड़ा था. अब सवाल है कि ऐसी नौबत क्यों आई. जिनको दूसरा डोज नहीं मिला उनके सामने किस तरह की चुनौती होगी. ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने रिम्स में कोविड-19 टास्क फोर्स के को-ऑर्डिनेटर डॉ प्रभात कुमार से बात की.

डॉ प्रभात कुमार से खास बातचीत

ये भी पढ़ें-वैक्सीन का टोटा! किसकी बात पर करें विश्वास, मंत्री और सचिव कह रहें अलग-अलग बात

डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि कोवैक्सीन का दूसरा डोज 4 से छह सप्ताह पूरे होने पर लेना है. अगर किसी ने 7 मार्च को पहला डोज लिया था और उसे 7 अप्रैल को दूसरा डोज लेने का समय दिया गया था और किसी कारणवश उनको टीका नहीं मिला तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनके पास अभी भी दूसरा डोज लेने के लिए 12 दिन हाथ में है. संभव है कि तबतक दूसरी खेप आ जाए. डॉ प्रभात कुमार से यह पूछा गया कि अगर छह सप्ताह पूरे होने तक किसी को कोवैक्सीन का दूसरा डोज नहीं मिल पाता है तो फिर क्या होगा. इसपर उन्होंने कहा कि इस बारे अभी तक किसी तरह का एसओपी नहीं आया है. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि 42 दिन पूरे होने के बाद दूसरा डोज दिया जा सकता है या नहीं.

टीका अभियान पर संकट क्यों?

हमारा दूसरा सवाल था कि वैक्सीनेशन के लिए एक प्रोटोकॉल तय था. इसके मुताबिक जितने लोगों को पहला डोज दिया जाता रहा, उसी अनुपात में दूसरा डोज रिजर्व कर लेना था. अगर ऐसा होता तो फिर दूसरा डोज लैप्स होने की नौबत नहीं आती. खासकर कोवैक्सीन को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती. इसके जवाब में डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि रिम्स में इस प्रोटोकॉल का पालन हुआ है. लेकिन यह सच है कि हर जगह प्रोटोकॉल का पालन होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती. उन्होंने माना कि इस मामले में चूक जरूर हुई है.

ये भी पढ़ें-रांची के कई इलाकों का ईटीवी भारत की टीम ने लिया जायजा, लोगों में नहीं दिखा कोरोना का खौफ

कोरोना की नई लहर बड़ी चुनौती

अब सवाल है कि जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है क्या इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसके जवाब में डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पिछले वेव की तुलना में इसबार की स्थिति बिल्कुल अलग है. उन्होंने आशंका जतायी कि अगर लोग नहीं चेते तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इसबार का कोरोना पिछले बार के वायरस से ज्यादा घातक है.

उन्होंने कहा कि बचाव का एक मात्र उपाय है मास्क लगाना और वैक्सीन लेना. उनके यह भी पूछा गया कि कि एक तरह सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है और दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां चुनावी राज्यों में भीड़ जुटा रही हैं. क्या यह जायज है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि डॉक्टर होने के नाते सिर्फ इतना कहूंगा कि यह सही नहीं है. लोगों को सजग होना होगा. किसी कारणवश भीड़ का हिस्सा भी बनते हैं तो मास्क लगाना ही होगा.

रांची: झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में फिलहाल कोविशील्ड वैक्सीन दी जा रही है. दूसरे जिलों से कोवैक्सीन का कुछ डोज मंगवाया गया है. लेकिन सच यह है कि कल कोवैक्सीन की दूसरी डोज लेने पहुंचे कई लोगों को रांची के सदर अस्पताल और रिम्स से खाली हाथ लौटना पड़ा था. अब सवाल है कि ऐसी नौबत क्यों आई. जिनको दूसरा डोज नहीं मिला उनके सामने किस तरह की चुनौती होगी. ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने रिम्स में कोविड-19 टास्क फोर्स के को-ऑर्डिनेटर डॉ प्रभात कुमार से बात की.

डॉ प्रभात कुमार से खास बातचीत

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डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि कोवैक्सीन का दूसरा डोज 4 से छह सप्ताह पूरे होने पर लेना है. अगर किसी ने 7 मार्च को पहला डोज लिया था और उसे 7 अप्रैल को दूसरा डोज लेने का समय दिया गया था और किसी कारणवश उनको टीका नहीं मिला तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनके पास अभी भी दूसरा डोज लेने के लिए 12 दिन हाथ में है. संभव है कि तबतक दूसरी खेप आ जाए. डॉ प्रभात कुमार से यह पूछा गया कि अगर छह सप्ताह पूरे होने तक किसी को कोवैक्सीन का दूसरा डोज नहीं मिल पाता है तो फिर क्या होगा. इसपर उन्होंने कहा कि इस बारे अभी तक किसी तरह का एसओपी नहीं आया है. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि 42 दिन पूरे होने के बाद दूसरा डोज दिया जा सकता है या नहीं.

टीका अभियान पर संकट क्यों?

हमारा दूसरा सवाल था कि वैक्सीनेशन के लिए एक प्रोटोकॉल तय था. इसके मुताबिक जितने लोगों को पहला डोज दिया जाता रहा, उसी अनुपात में दूसरा डोज रिजर्व कर लेना था. अगर ऐसा होता तो फिर दूसरा डोज लैप्स होने की नौबत नहीं आती. खासकर कोवैक्सीन को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती. इसके जवाब में डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि रिम्स में इस प्रोटोकॉल का पालन हुआ है. लेकिन यह सच है कि हर जगह प्रोटोकॉल का पालन होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती. उन्होंने माना कि इस मामले में चूक जरूर हुई है.

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कोरोना की नई लहर बड़ी चुनौती

अब सवाल है कि जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है क्या इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसके जवाब में डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पिछले वेव की तुलना में इसबार की स्थिति बिल्कुल अलग है. उन्होंने आशंका जतायी कि अगर लोग नहीं चेते तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इसबार का कोरोना पिछले बार के वायरस से ज्यादा घातक है.

उन्होंने कहा कि बचाव का एक मात्र उपाय है मास्क लगाना और वैक्सीन लेना. उनके यह भी पूछा गया कि कि एक तरह सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है और दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां चुनावी राज्यों में भीड़ जुटा रही हैं. क्या यह जायज है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि डॉक्टर होने के नाते सिर्फ इतना कहूंगा कि यह सही नहीं है. लोगों को सजग होना होगा. किसी कारणवश भीड़ का हिस्सा भी बनते हैं तो मास्क लगाना ही होगा.

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