रांची: कोकर स्थित पगला बाबा आश्रम को मुक्तेश्वर धाम भी कहा जाता है. यहां एक कुत्ते की समाधि है, जिसका आशीर्वाद लेकर ही भक्त आश्रम में भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं. यहां कुत्ते की समाधि की पूजा होती है. मंदिर परिसर में सैकड़ों कुत्ते रहते हैं. लोगों का कहना है कि इस मंदिर परिसर में रह रहे सारे कुत्ते भगवान भैरवनाथ और भोलेनाथ की आराधना करते हैं.
मंदिर के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि इस मंदिर को सैकड़ों साल पहले बंगाल के रहने वाले पंचानन मित्रा ने बनाया था. इस मंदिर परिसर में कई साल तपस्या करने बाद उन्होंने यहां समाधि ले ली. लोग उन्हें आज भी याद करके उनकी समाधि स्थल को पूजते हैं. मंदिर के जानकारों का कहना है कि पंचानन मित्रा इस मंदिर में जब तपस्या करने पहुंचे तो उनकी वेशभूषा से लोग उन्हें पगला बाबा कहने लगे. उनके साथ एक कुत्ता भी रहा करता था, जिन्हें पगला बाबा बहुत प्यार करते थे. एक दिन पगला बाबा की गैर-मौजूदगी में उस कुत्ते की मौत हो गई. जिसके बाद मंदिर में कुत्ते की समाधि बनायी गयी.
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इसके बाद पगला बाबा कुत्ते की समाधि स्थल पर रोज भोग लगाने के बाद ही अपना भोजन ग्रहण किया करते थे. इस वजह से आज भी कुत्तों की आस्था इस मंदिर के प्रति सार्वजनिक रूप से दिखती है. जब आप इस मंदिर में प्रवेश करेंगे, तो कई कुत्ते आपके आगे पीछे आपको मंदिर के अंदर लेकर जाते हैं और मंदिर के अंदर में भी सैकड़ों की संख्या में कुत्ते मौजूद रहते हैं. कोकर स्थित पगला बाबा के आश्रम में छोटे-बड़े कुल 35 मंदिरों का निर्माण किया गया है, जिसे पगला बाबा ने खुद बनाया था. इसमें ज्यादातर भगवान भोलेनाथ के मंदिर बनाए गए हैं.