रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ रही तेज रफ्तार ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. खासकर स्वास्थ्य के लिए आफत बढ़ गयी है. कुछ लोग कोरोना को देखते हुए झारखंड में लॉकडाउन और प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग में भी प्रतिबंध को लेकर सुझाव दिया था ताकि जिस तरह से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसमें कमी लाई जा सके. चिकित्सकों ने इस सुझाव का समर्थन किया है.
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राजधानी के विभिन्न चिकित्सकों का कहना है कि प्रतिबंध और पाबंदियां जरूरी है. क्योंकि कोरोना की पिछली लहर में देखा गया था कि झारखंड में लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हो पाया था. वहीं कुछ चिकित्सकों का कहना है कि पूर्ण लॉकडाउन तो नहीं लेकिन कई क्षेत्रों में पाबंदियां बेहद जरूरी हैं.
राजधानी के वरिष्ठ चिकित्सक और सर्जन डॉ. आरजी बाखला बताते हैं कि लॉकडाउन होने से आमजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसीलिए फिलहाल पाबंदियां बरती जाएं, जैसे लोगों को भीड़ जमा नहीं करना चाहिए, जो भी लोग घर से बाहर निकल रहे हैं वो मास्क पहनकर निकलें. इसके साथ ही शादी-विवाह, श्राद्ध, बर्थ-डे पार्टी जैसे आयोजन में लोग शामिल होने से परहेज करें. इसके बाद ही आकलन करके लॉकडाउन या फिर सेमी लॉकडाउन पर विचार करना चाहिए.
राजधानी के वरिष्ठ सर्जन शीतल मलूवा बताते हैं कि इस संक्रमण की दर को रोकने के लिए लॉकडाउन एक उपाय नहीं है बल्कि इसके अलावा भी कई उपाय हैं, जैसे लोग अपने आप पर नियंत्रण रखें, ज्यादा से ज्यादा लोग खुद को वैक्सीनेटेड करें, साथ ही कोविड के अनुरुप व्यवहार का पालन करें. इस बार के संक्रमण के बारे में बताया जा रहा है कि इसमें मृत्यु दर काफी कम है, लोग जल्द स्वस्थ हो रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद भी परहेज आवश्यकता है अगर लोग नियमों का पालन करें तो संक्रमण का दायरा घट सकता है.
सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और कोविड इंचार्ज डॉ. बिमलेश सिंह बताते हैं कि जिस तरह से इनफेक्टिविटी रेट बढ़ते जा रही है, ऐसे में जरूरी है कि सरकार सख्त कदम उठाए. उन्होंने कहा कि फिलहाल पूर्ण लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है. लेकिन जो भी क्षेत्र ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके हैं, जैसे मॉल, सिनेमा हॉल जैसी जगहों पर रोक लगाना जरूरी है. अगर अभी से ही सख्ती बरती जाएगी तो आने वाला समय भयावह नहीं होगा.
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रांची के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभसाचि मंडल बताते हैं कि लॉकडाउन से लोगों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है. इसीलिए पूर्ण लॉकडाउन नहीं हो सकता तो कम से कम आंशिक लॉकडाउन करना जरूरी है. नया साल बीतने के बावजूद भी बाजारों में भीड़ कम नहीं हो रही है. इसको देखते हुए अगर नया गाइडलाइंस जारी किया जाए तो लोग थोड़ा सचेत जरूर होंगे.
सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक एके खेतान बताते हैं कि जो भी संक्रमण का वेरिएंट फिलहाल मिल रहे हैं उन्हें कम ना आंका जाए. जहां तक ओमीक्रोन वेरिएंट की बात है तो वह फिलहाल झारखंड में नहीं पाया गया है. लेकिन झारखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट का एक भी मरीज मिलता है तो फिर संक्रमण की दर तुरंत बढ़ जाएगी. इसीलिए लॉकडाउन पर कोई फैसला लेना है तो सरकार अभी ही लेना चाहिए. जिससे आने वाले समय में संक्रमण की बढ़ती गति पर तुरंत नियंत्रण किया जा सकेगा.
पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने भी आपदा प्रबंधन विभाग को पत्र लिखते हुए पाबंदिया लागू करने पर विचार करने की बात कही थी. उन्होंने एक पत्र के माध्यम से सुझाव देते हुए कहा था कि 15 जनवरी तक राज्य के सभी पार्क, स्टेडियम, जिम, स्विमिंग पूल, पूजा स्थलों, स्कूल कॉलेजों को बंद रखा जाए ताकि संक्रमण के बढ़ते दायरे को कम किया जा सके. वहीं सचिव के सुझाव के बाद कई डॉक्टरों ने भी पाबंदियों को लागू करने का सुझाव दिया है. वहीं कुछ डॉक्टर्स पूर्ण लॉकडाउन की बात ना कहते हुए आंशिक लॉकडाउन पर विचार करने का सुझाव जरूर देते नजर आ रहे हैं.