रांचीः नेशनल डॉक्टर्स डे के अवसर पर प्रोजेक्ट भवन सभागार में आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य सेवा अरुण कुमार सिंह ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अलावा आयुष पद्धति के 112 के करीब चिकित्सकों को सम्मानित किया. रिम्स के निदेशक पद्मश्री डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि covid19 से अभी मुक्ति नहीं मिली है और शायद पूरी तरह मिलेगी भी नहीं. ऐसे मे हमें हमेशा सतर्क और सचेत रहना है.
इस मौके पर रिम्स निदेशक ने कहा कि उनकी जिंदगी में एक क्षण ऐसा भी आया जब हम डॉक्टर बनें या इंजीनियर बनें ये फैसला लेने की दुविधा थी. ऐसे में दुःख की घड़ी के दौरान अपने पिता का इलाज करने वाले डॉक्टर का चेहरा मेरे सामने था और मैंने डॉक्टर बनने की राह पकड़ ली. इसलिए डॉक्टर्स सिर्फ मरीजों का इलाज नहीं करते बल्कि न जाने कितने युवाओं का जाने-अनजाने आदर्श भी बन जाते हैं. ऐसे में चिकित्सक पर एक बड़ी जवाबदेही आ जाती है.
अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि महामारी के दौरान राज्य के डॉक्टर्स के समर्पण और आचरण को स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा. इतिहास जब लिखा जाएगा तब उस समय हमारे चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किये बिना मानवता की जो सेवा की उस भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स वास्तव में हीरोज इन वाइट कोर्ट हैं. स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था ठीक करने की इच्छा पहले से थी, जब कोरोना का सेकेंड वेब आया उस समय विकट स्थिति में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग का प्रभार संभाला और आज संतोष है कि राज्य के चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से स्थिति संभाल लिया.
राज्य के स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि डॉ विधानचंद्र राय के बताएं आदर्शों पर चलने के संकल्प के साथ साथ अपने योद्धाओं का सम्मान कर रहे हैं. बन्ना गुप्ता ने कहा कि जिस तरह हम अपने वीर सैनिकों का सम्मान करते हैं उसी तरह हमारे चिकित्सकों का भी सम्मान होना चाहिए. जहां खून के रिश्ते कमजोर हो जाते हैं, लोग अपने परिवार के सदस्यों को अस्पताल में छोड़ जाते थे, वैसे कोरोना के दूसरे फेज में डॉक्टरों ने मां भारती के सपूत की तरह काम किया. राज्य में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था थी. जहां संसाधनों की कमी थी, बावजूद इसके चुनौती का सामना करते हुए हमने विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाई. चिकित्सकों की कई समस्याएं हैं. क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट और मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग अक्सर डॉक्टर्स करते हैं. सरकार ने एक बार MPA लाया भी परंतु कैबिनेट में पास नहीं हो पाया. आगे फिर कोशिश करेंगे. व्यक्तिगत रूप से वह चाहते हैं कि क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट में कुछ बदलाव की जरूरत है क्योंकि वह काफी जटिल है. इसके लिए जल्द विभाग में बैठक होगी. जब जब विज्ञापन निकालते हैं वरीय चिकित्सक रुचि नहीं दिखाते हैं. बन्ना गुप्ता ने कहा कि वह डॉक्टरों के चेहरे पर मुस्कान लाना चाहते हैं.
सम्मानित होने वाले डॉक्टरों ने सरकार के इस कदम को प्रोत्साहित करने वाला बताया. वहीं यह भी कहा कि कोरोना काल में चिकित्सकों को इलाज के दौरान सहयोग करने वाली नर्सें, मेडिकल स्टाफ की भी अहम भूमिका है. इसलिए उनका भी सम्मान होना चाहिए.