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National Doctors Day: सेवा हमारा धर्म तो हमारी सुरक्षा सरकार का दायित्व, तभी राज्य रहेगा स्वस्थ

झारखंड में भी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors Day) मनाया जा रहा है. कोरोना काल में झारखंड के चिकित्सकों ने लगातार मेहनत की और जान हथेली पर रखकर मरीजों की जान बचाई. इस दौरान प्रदेश से कई डॉक्टर्स कोरोना की भेंट चढ़ गए.

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Published : Jul 1, 2021, 4:23 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 8:05 PM IST

रांचीः 1 जुलाई को पूरे देश में डॉक्टर्स-डे (Doctors Day) मनाया जा रहा है. डॉक्टर्स-डे के मौके पर ईटीवी भारत (Etv Bharat) की टीम की ओर से भी प्रदेश के सभी चिकित्सकों को डॉक्टर्स-डे की बहुत शुभकामनाएं. डॉक्टर्स-डे पर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के कई चिकित्सकों से उनका अनुभव साझा किया.

इसे भी पढ़ें- जानिएः 1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है DOCTORS DAY, झारखंड से है कनेक्शन


डॉक्टर्स कहते हैं कि हमारे लिए सबसे जरूरी सुरक्षा है, क्योंकि कई बार हम मरीज को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं, पर संसाधन के अभाव में कभी-कभी मरीज की जान चली जाती है, ऐसे वक्त में परिजन डॉक्टर्स को दोषी मानकर उनसे मारपीट करते हैं. ऐसी हिंसात्मक घटना (Violent Incident) में आए दिन हमारे डॉक्टर्स घायल होते रहते हैं.

National Doctors Day: जानिए झारखंड सरकार से क्या है मांग

अपनी जान की फिक्र किए बगैर सेवा देते रहेंगे

राज्य के नामचीन चिकित्सक और रिम्स न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. सीबी सहाय बताते हैं कि हम डॉक्टरों में असीम सेवा भावना होती है. हम किसी भी हालत में अपने मरीज की जान बचाए और उनकी पूरी सेवा करें. कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान हमें भी डर लग रहा था कि हम संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी हमने अपनी जान की फिक्र किए बगैर ही मरीजों की सेवा की और आगे भी करते रहेंगे.

चिकित्सकों की सुरक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं

चर्म रोग विभाग (Department of Dermatology) के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार (Dr. Prabhat Kumar) बताते हैं कि आज की तारीख में झारखंड में डॉक्टर्स की सुरक्षा (Doctors' Safety) को लेकर कोई विशेष और बेहतर व्यवस्था नहीं है. ऐसे में कई ऐसे डॉक्टर्स हैं जो मरीज के परिजनों के हिंसात्मक हमले का शिकार होते हैं. इसीलिए हम डॉक्टर्स-डे पर सरकार से यह मांग करना चाहेंगे कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाए.

इसे भी पढ़ें- DOCTORS DAY: स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बन्ना गुप्ता ने चिकित्सकों को किया सम्मानित, कहा- सरकार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट पर कर रही विचार

डॉक्टर्स और संसाधन की कमी

सर्जरी विभाग (Surgery Department) की चिकित्सक डॉ. रीना (Dr. Reena) बताती हैं कि झारखंड के परिदृश्य में अगर बात करें तो यहां पर अभी-भी डॉक्टर्स की घोर कमी (Shortage of doctors in jharkhand) है, सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि संसाधनों की भी कमी से हमें प्रतिदिन जूझना पड़ता है. इसकी वजह से हम मरीजों को अच्छा इलाज देने के बावजूद कई बार संसाधन के अभाव में मरीज की जान बचाने में नाकाम साबित होते हैं. हम डॉक्टर्स-डे के मौके पर यह मांग करेंगे कि राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था सरकार की तरफ से मुहैया कराई जाए, ताकि चिकित्सकों का प्रयास बेहतर संसाधनों के साथ सफल हो सके.

डॉक्टर्स को सुरक्षा मिले

रिम्स में कार्यरत रेजिडेंट चिकित्सक (RIMS Resident Doctor) डॉक्टर विद्या बालन मुर्मू (Vidya Balan Murmu) बताती हैं कि हम चिकित्सक अपनी जान की फिक्र किए बगैर ही मरीजों की सेवा में दिन-रात जुटे रहते हैं. जिसका हमने कोरोना काल (Corona Period) के अलावा भी कई बार प्रमाण दिया है. लेकिन उसके बावजूद भी हम चिकित्सकों को सही सम्मान नहीं मिल पाता है. हम आए दिन देखते हैं कि मरीजों की सेवा करने के बावजूद भी हम डॉक्टर्स के साथ मारपीट (Assault with doctors) जैसी घटनाएं होती हैं, जो हमारे मनोबल को कमजोर करता है. इसीलिए हम डॉक्टर्स-डे के मौके पर सरकार से मांग करते हैं कि चिकित्सकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, तभी समाज और देश स्वस्थ रह पाएगा.

झारखंड में डॉक्टर्स की सुरक्षा (Doctors' Safety in Jharkhand) एक अहम मुद्दा रहा है. राज्य के डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार से मांग करते नजर आते हैं और डॉक्टर्स के साथ हो रही मारपीट की घटना का कई बार विरोध करते देखे जा सकते हैं. कुल मिलाकर देखें तो ये कहा जा सकता है कि सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि डॉक्टर्स बेखौफ होकर राज्य को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दे सके.

इसे भी पढ़ें- डॉक्टर्स डे पर विशेष: आज भी मात्र 5 रुपए में मरीजों को देखते हैं पद्मश्री डॉ एसपी मुखर्जी

बुढ़मू सीएचसी कर्मियों ने सीएचसी प्रभारी को दी बधाई

डाक्टर्स-डे के अवसर पर रांची से सटे बुढ़मू सीएचसी (Budhmu CHC) कर्मियों ने सीएचसी प्रभारी डॉक्टर मुकेश कुमार मिश्रा (Dr. Mukesh Kumar Mishra) और डॉ. पूनम कुमारी (Dr. Poonam Kumari) को पुष्प गुच्छ देकर डॉक्टर्स-डे की मुबारकबाद दी. इस दौरान सेवानिवृत्त एएनएम एआर डुंगडुंग (Retired ANM AR Dungdung) को डॉ. मुकेश और डॉ. पूनम की ओर से पुष्प गुच्छ देकर विदाई दी गई और उनके सफल जीवन की कामना की. इस कार्यक्रम में डॉक्टर मुकेश कुमार मिश्रा ने कहा कि फिलहाल कोरोना के संक्रमण से हम और हमारे देश के लोगों को बहुत परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, पर संक्रमण अभी-भी टला नहीं है, सावधानी बरतने की जरूरत है.

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बुढ़मू में चिकित्सक सम्मानित

झारखंड में बहुत से डॉक्टर कोरोना संक्रमितों (Corona Infected) का इलाज करते हुए खुद भी संक्रमित हुए, जिसमें कई चिकित्सक साथियों ने अपनी जान भी गंवा दी और कइयों ने कोरोना को मात देकर फिर से अपने काम में लग गए. हम उन बलिदानी डॉक्टर्स को आज के दिन श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद करते हैं. एएनएम डुंगडुंग ने कहा बुढ़मू सीएचसी में अपने कार्यकाल के दौरान सभी स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टर्स का सहयोग हमें मिला. इस मौके पर एएनएम बालमणी कुमारी, मनोरमा मिश्रा, रोहित मुंडा, रेहाना प्रवीण, जितेंद्र कुमार, विनोद कुशवाहा, सुडालेन केरकेट्टा, कृति कुमारी, अमानत समेत कई लोग उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें- राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

महामारी के दौरान डॉक्टरों की भूमिका

डॉक्टरों को एक 'महान पेशा' का अभ्यास करने के लिए जाना जाता है. हालांकि, कोविड-19 महामारी ने हमें एक बार फिर निस्वार्थ और असाधारण कड़ी मेहनत दिखाई है जो चिकित्सा पेशेवर लोगों को इस कठिन समय में प्रदान कर रहे हैं. बड़ी संख्या में आने वाले रोगियों की देखभाल के लिए कई डॉक्टरों को 16 घंटे और उससे अधिक समय तक शिफ्ट करना पड़ा है. कई अन्य डॉक्टर कोविड रोगियों की देखभाल कर रहे हैं और महामारी से लड़ने के लिए खुद को अपने परिवार से अलग कर रहे हैं.

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कोरोना काल में डॉक्टर्स-डे की भूमिका

डॉक्टर कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की प्रभावी प्रतिक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. निदान, रोकथाम और उपचार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है और व्यक्तिगत जोखिम बढ़ने के बावजूद इलाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक है. स्वास्थ्य सेवा की असाधारण मांगों को पूरा करने के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ता उच्च कार्य मात्रा, व्यक्तिगत जोखिम और सामाजिक दबाव का अनुभव कर रहे हैं. इसके बावजूद पारंपरिक सार्वजनिक स्वास्थ्य नैतिकता ने डॉक्टरों के अधिकारों की सुरक्षा पर बहुत कम ध्यान दिया है.

कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की मौत

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने मंगलवार को कहा कि देश भर में कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान 798 डॉक्टरों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतम 128 डॉक्टरों ने दिल्ली में अपनी जान गंवाई, इसके बाद बिहार में 115 और उत्तर प्रदेश में 79. कोविड ​​​​-19 के डेल्टा प्लस संस्करण की व्यापकता बढ़ रही है. साथ ही दोहरे अंकों में डॉक्टरों की मौत भी हुई है. महाराष्ट्र में 23 डॉक्टरों की मौत हुई और केरल में 24 लोगों की मौत हुई.

IMA के अनुसार महामारी की पहली लहर में 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी. आईएमए से जुड़े एक डॉक्टर ने कहा कि पिछले साल भारत भर में 748 डॉक्टरों ने कोविड ​​-19 के कारण दम तोड़ दिया, जबकि दूसरी लहर में कम समय में हमने 730 डॉक्टरों को खो दिया है. हाल ही में आईएमए ने यह भी कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान आठ गर्भवती डॉक्टरों की जान चली गई. आईएमए ने कहा कि दो गर्भवती महिला डॉक्टरों ने तमिलनाडु में कोविड​​-19 से दम तोड़ दिया. दो तेलंगाना से तीन उत्तर भारत से और एक महाराष्ट्र से हैं.

इसे भी पढ़ें- National Doctor's Day 2021: कैसे हुई नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत, जानें महत्व!

क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

भारत हर साल 1 जुलाई को महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) की जयंती और पुण्यतिथि के सम्मान में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाता है. यह दिन व्यक्तिगत जीवन और समुदायों में चिकित्सकों के योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस प्रत्येक देश में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है.

डॉक्टर बिधान चंद्र राय का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही 1 जुलाई को होती है, इसलिए इस दिन उनके सम्मान में ये दिन मनाया जाता है. राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctors Day) मनाने के पीछे के महत्व की बात करें, तो इस दिन डॉक्टर्स के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. साथ ही हमारे जीवन में डॉक्टर्स का क्या योगदान है इस बात को सराहा जाता है. ये विशेष दिन सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित है जो अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं.

कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर लोगों को डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दिए गए योगदान और बलिदान की याद करवाया है. जानिए इस दिन से जुड़ा इतिहास और महत्व.

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National Doctors Day

डॉक्टर दिवस 2021 की थीम:

इस साल यानि 2021 में नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम कोरोना वायरस से जोड़ कर ही रखी गई है- परिवार के डॉक्टरों के साथ भविष्य का निर्माण.

कौन हैं डॉ बिधान चंद्र रॉय

डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था और उसी तारीख को वर्ष 1962 में उनका निधन हो गया था. उन्हें चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 4 फरवरी, 1961 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्हें अभी भी पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा मुख्यमंत्री और राज्य को विकसित करने का एक दूरदर्शी माना जाता है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद राज्य में बहुत सारे औद्योगिक विकास हुए.

रांचीः 1 जुलाई को पूरे देश में डॉक्टर्स-डे (Doctors Day) मनाया जा रहा है. डॉक्टर्स-डे के मौके पर ईटीवी भारत (Etv Bharat) की टीम की ओर से भी प्रदेश के सभी चिकित्सकों को डॉक्टर्स-डे की बहुत शुभकामनाएं. डॉक्टर्स-डे पर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के कई चिकित्सकों से उनका अनुभव साझा किया.

इसे भी पढ़ें- जानिएः 1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है DOCTORS DAY, झारखंड से है कनेक्शन


डॉक्टर्स कहते हैं कि हमारे लिए सबसे जरूरी सुरक्षा है, क्योंकि कई बार हम मरीज को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं, पर संसाधन के अभाव में कभी-कभी मरीज की जान चली जाती है, ऐसे वक्त में परिजन डॉक्टर्स को दोषी मानकर उनसे मारपीट करते हैं. ऐसी हिंसात्मक घटना (Violent Incident) में आए दिन हमारे डॉक्टर्स घायल होते रहते हैं.

National Doctors Day: जानिए झारखंड सरकार से क्या है मांग

अपनी जान की फिक्र किए बगैर सेवा देते रहेंगे

राज्य के नामचीन चिकित्सक और रिम्स न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. सीबी सहाय बताते हैं कि हम डॉक्टरों में असीम सेवा भावना होती है. हम किसी भी हालत में अपने मरीज की जान बचाए और उनकी पूरी सेवा करें. कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान हमें भी डर लग रहा था कि हम संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी हमने अपनी जान की फिक्र किए बगैर ही मरीजों की सेवा की और आगे भी करते रहेंगे.

चिकित्सकों की सुरक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं

चर्म रोग विभाग (Department of Dermatology) के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार (Dr. Prabhat Kumar) बताते हैं कि आज की तारीख में झारखंड में डॉक्टर्स की सुरक्षा (Doctors' Safety) को लेकर कोई विशेष और बेहतर व्यवस्था नहीं है. ऐसे में कई ऐसे डॉक्टर्स हैं जो मरीज के परिजनों के हिंसात्मक हमले का शिकार होते हैं. इसीलिए हम डॉक्टर्स-डे पर सरकार से यह मांग करना चाहेंगे कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाए.

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डॉक्टर्स और संसाधन की कमी

सर्जरी विभाग (Surgery Department) की चिकित्सक डॉ. रीना (Dr. Reena) बताती हैं कि झारखंड के परिदृश्य में अगर बात करें तो यहां पर अभी-भी डॉक्टर्स की घोर कमी (Shortage of doctors in jharkhand) है, सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि संसाधनों की भी कमी से हमें प्रतिदिन जूझना पड़ता है. इसकी वजह से हम मरीजों को अच्छा इलाज देने के बावजूद कई बार संसाधन के अभाव में मरीज की जान बचाने में नाकाम साबित होते हैं. हम डॉक्टर्स-डे के मौके पर यह मांग करेंगे कि राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था सरकार की तरफ से मुहैया कराई जाए, ताकि चिकित्सकों का प्रयास बेहतर संसाधनों के साथ सफल हो सके.

डॉक्टर्स को सुरक्षा मिले

रिम्स में कार्यरत रेजिडेंट चिकित्सक (RIMS Resident Doctor) डॉक्टर विद्या बालन मुर्मू (Vidya Balan Murmu) बताती हैं कि हम चिकित्सक अपनी जान की फिक्र किए बगैर ही मरीजों की सेवा में दिन-रात जुटे रहते हैं. जिसका हमने कोरोना काल (Corona Period) के अलावा भी कई बार प्रमाण दिया है. लेकिन उसके बावजूद भी हम चिकित्सकों को सही सम्मान नहीं मिल पाता है. हम आए दिन देखते हैं कि मरीजों की सेवा करने के बावजूद भी हम डॉक्टर्स के साथ मारपीट (Assault with doctors) जैसी घटनाएं होती हैं, जो हमारे मनोबल को कमजोर करता है. इसीलिए हम डॉक्टर्स-डे के मौके पर सरकार से मांग करते हैं कि चिकित्सकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, तभी समाज और देश स्वस्थ रह पाएगा.

झारखंड में डॉक्टर्स की सुरक्षा (Doctors' Safety in Jharkhand) एक अहम मुद्दा रहा है. राज्य के डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार से मांग करते नजर आते हैं और डॉक्टर्स के साथ हो रही मारपीट की घटना का कई बार विरोध करते देखे जा सकते हैं. कुल मिलाकर देखें तो ये कहा जा सकता है कि सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि डॉक्टर्स बेखौफ होकर राज्य को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दे सके.

इसे भी पढ़ें- डॉक्टर्स डे पर विशेष: आज भी मात्र 5 रुपए में मरीजों को देखते हैं पद्मश्री डॉ एसपी मुखर्जी

बुढ़मू सीएचसी कर्मियों ने सीएचसी प्रभारी को दी बधाई

डाक्टर्स-डे के अवसर पर रांची से सटे बुढ़मू सीएचसी (Budhmu CHC) कर्मियों ने सीएचसी प्रभारी डॉक्टर मुकेश कुमार मिश्रा (Dr. Mukesh Kumar Mishra) और डॉ. पूनम कुमारी (Dr. Poonam Kumari) को पुष्प गुच्छ देकर डॉक्टर्स-डे की मुबारकबाद दी. इस दौरान सेवानिवृत्त एएनएम एआर डुंगडुंग (Retired ANM AR Dungdung) को डॉ. मुकेश और डॉ. पूनम की ओर से पुष्प गुच्छ देकर विदाई दी गई और उनके सफल जीवन की कामना की. इस कार्यक्रम में डॉक्टर मुकेश कुमार मिश्रा ने कहा कि फिलहाल कोरोना के संक्रमण से हम और हमारे देश के लोगों को बहुत परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, पर संक्रमण अभी-भी टला नहीं है, सावधानी बरतने की जरूरत है.

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बुढ़मू में चिकित्सक सम्मानित

झारखंड में बहुत से डॉक्टर कोरोना संक्रमितों (Corona Infected) का इलाज करते हुए खुद भी संक्रमित हुए, जिसमें कई चिकित्सक साथियों ने अपनी जान भी गंवा दी और कइयों ने कोरोना को मात देकर फिर से अपने काम में लग गए. हम उन बलिदानी डॉक्टर्स को आज के दिन श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद करते हैं. एएनएम डुंगडुंग ने कहा बुढ़मू सीएचसी में अपने कार्यकाल के दौरान सभी स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टर्स का सहयोग हमें मिला. इस मौके पर एएनएम बालमणी कुमारी, मनोरमा मिश्रा, रोहित मुंडा, रेहाना प्रवीण, जितेंद्र कुमार, विनोद कुशवाहा, सुडालेन केरकेट्टा, कृति कुमारी, अमानत समेत कई लोग उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें- राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

महामारी के दौरान डॉक्टरों की भूमिका

डॉक्टरों को एक 'महान पेशा' का अभ्यास करने के लिए जाना जाता है. हालांकि, कोविड-19 महामारी ने हमें एक बार फिर निस्वार्थ और असाधारण कड़ी मेहनत दिखाई है जो चिकित्सा पेशेवर लोगों को इस कठिन समय में प्रदान कर रहे हैं. बड़ी संख्या में आने वाले रोगियों की देखभाल के लिए कई डॉक्टरों को 16 घंटे और उससे अधिक समय तक शिफ्ट करना पड़ा है. कई अन्य डॉक्टर कोविड रोगियों की देखभाल कर रहे हैं और महामारी से लड़ने के लिए खुद को अपने परिवार से अलग कर रहे हैं.

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कोरोना काल में डॉक्टर्स-डे की भूमिका

डॉक्टर कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की प्रभावी प्रतिक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. निदान, रोकथाम और उपचार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है और व्यक्तिगत जोखिम बढ़ने के बावजूद इलाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक है. स्वास्थ्य सेवा की असाधारण मांगों को पूरा करने के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ता उच्च कार्य मात्रा, व्यक्तिगत जोखिम और सामाजिक दबाव का अनुभव कर रहे हैं. इसके बावजूद पारंपरिक सार्वजनिक स्वास्थ्य नैतिकता ने डॉक्टरों के अधिकारों की सुरक्षा पर बहुत कम ध्यान दिया है.

कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की मौत

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने मंगलवार को कहा कि देश भर में कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान 798 डॉक्टरों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतम 128 डॉक्टरों ने दिल्ली में अपनी जान गंवाई, इसके बाद बिहार में 115 और उत्तर प्रदेश में 79. कोविड ​​​​-19 के डेल्टा प्लस संस्करण की व्यापकता बढ़ रही है. साथ ही दोहरे अंकों में डॉक्टरों की मौत भी हुई है. महाराष्ट्र में 23 डॉक्टरों की मौत हुई और केरल में 24 लोगों की मौत हुई.

IMA के अनुसार महामारी की पहली लहर में 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी. आईएमए से जुड़े एक डॉक्टर ने कहा कि पिछले साल भारत भर में 748 डॉक्टरों ने कोविड ​​-19 के कारण दम तोड़ दिया, जबकि दूसरी लहर में कम समय में हमने 730 डॉक्टरों को खो दिया है. हाल ही में आईएमए ने यह भी कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान आठ गर्भवती डॉक्टरों की जान चली गई. आईएमए ने कहा कि दो गर्भवती महिला डॉक्टरों ने तमिलनाडु में कोविड​​-19 से दम तोड़ दिया. दो तेलंगाना से तीन उत्तर भारत से और एक महाराष्ट्र से हैं.

इसे भी पढ़ें- National Doctor's Day 2021: कैसे हुई नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत, जानें महत्व!

क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

भारत हर साल 1 जुलाई को महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) की जयंती और पुण्यतिथि के सम्मान में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाता है. यह दिन व्यक्तिगत जीवन और समुदायों में चिकित्सकों के योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस प्रत्येक देश में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है.

डॉक्टर बिधान चंद्र राय का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही 1 जुलाई को होती है, इसलिए इस दिन उनके सम्मान में ये दिन मनाया जाता है. राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctors Day) मनाने के पीछे के महत्व की बात करें, तो इस दिन डॉक्टर्स के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है. साथ ही हमारे जीवन में डॉक्टर्स का क्या योगदान है इस बात को सराहा जाता है. ये विशेष दिन सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित है जो अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं.

कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर लोगों को डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दिए गए योगदान और बलिदान की याद करवाया है. जानिए इस दिन से जुड़ा इतिहास और महत्व.

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National Doctors Day

डॉक्टर दिवस 2021 की थीम:

इस साल यानि 2021 में नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम कोरोना वायरस से जोड़ कर ही रखी गई है- परिवार के डॉक्टरों के साथ भविष्य का निर्माण.

कौन हैं डॉ बिधान चंद्र रॉय

डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था और उसी तारीख को वर्ष 1962 में उनका निधन हो गया था. उन्हें चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 4 फरवरी, 1961 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उन्हें अभी भी पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा मुख्यमंत्री और राज्य को विकसित करने का एक दूरदर्शी माना जाता है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद राज्य में बहुत सारे औद्योगिक विकास हुए.

Last Updated : Jul 1, 2021, 8:05 PM IST
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