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रांची की दिव्यांग राखी मिश्रा बनी बूढ़े मां-बाप का सहारा, समाज के लिए बनी मिसाल - Divyang Rakhi Mishra

रांची के धुर्वा इलाके में रहने वाली दिव्यांग राखी मिश्रा आज कई लोगों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी राखी अपने जिम्मेदारियों को निभाने के लिए मोतियों से बना सामान बनाकर समाज के लिए एक मिसाल बन गई.

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Published : Aug 11, 2019, 10:27 PM IST

Updated : Aug 11, 2019, 11:02 PM IST

रांची: राजधानी के धुर्वा इलाके में रहने वाली दिव्यांग राखी मिश्रा आज कई लोगों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. दिव्यांग होने के बावजूद वह अपने माता-पिता और घर का खर्च चलाने के लिए मोती के समान बनाकर बाजार में बेचने का काम कर रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

समाज के लिए बनी एक मिसाल

राखी बताती हैं कि भले ही वो हाथ-पैर से लाचार हैं लेकिन वह मन से बिल्कुल स्वस्थ हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने माता-पिता की मदद के लिए मोती के समान बनाकर बाजार में बेचने का काम शुरू किया. राखी बताती हैं कि तीन साल पहले एचईसी से उसके पिता के रिटायर होने के बाद घर में पैसों का अभाव होने लगा. जिस कारण उन्होंने मोती से बनाए सामानों को बाजार में बेचने का काम शुरू किया.

ये भी पढ़ें- जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी का बड़ा बयान, कहा- जेवीएम से BJP को लगता है डर

राखी के जज्बे से सीखें लोग

दरअसल, महिला इस्पात विकास समिति के द्वारा आयोजित मेले में राखी मिश्रा ने अपना स्टॉल लगाया है. महिला इस्पात विकास समिति मेले की अध्यक्ष नूपुर भट्ट बताती हैं कि राखी मिश्रा को उनकी समिति की तरफ से मुफ्त में स्टॉल मुहैया कराया जाता है. ताकि यहां पर आए लोगों को राखी मिश्रा के जज्बे से एक बेहतर संदेश मिले और राखी मिश्रा को भी कुछ आर्थिक लाभ हो सके.

राज्यपाल से हो चुकी हैं सम्मानित

राखी मिश्रा की मां ने बताया कि उनकी बेटी के सराहनीय काम के लिए राज्य की राज्यपाल ने भी उन्हें सम्मानित किया है. लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई है. राखी मिश्रा की मां ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांग लड़के-लड़कियों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

रांची: राजधानी के धुर्वा इलाके में रहने वाली दिव्यांग राखी मिश्रा आज कई लोगों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. दिव्यांग होने के बावजूद वह अपने माता-पिता और घर का खर्च चलाने के लिए मोती के समान बनाकर बाजार में बेचने का काम कर रही है.

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समाज के लिए बनी एक मिसाल

राखी बताती हैं कि भले ही वो हाथ-पैर से लाचार हैं लेकिन वह मन से बिल्कुल स्वस्थ हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने माता-पिता की मदद के लिए मोती के समान बनाकर बाजार में बेचने का काम शुरू किया. राखी बताती हैं कि तीन साल पहले एचईसी से उसके पिता के रिटायर होने के बाद घर में पैसों का अभाव होने लगा. जिस कारण उन्होंने मोती से बनाए सामानों को बाजार में बेचने का काम शुरू किया.

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राखी के जज्बे से सीखें लोग

दरअसल, महिला इस्पात विकास समिति के द्वारा आयोजित मेले में राखी मिश्रा ने अपना स्टॉल लगाया है. महिला इस्पात विकास समिति मेले की अध्यक्ष नूपुर भट्ट बताती हैं कि राखी मिश्रा को उनकी समिति की तरफ से मुफ्त में स्टॉल मुहैया कराया जाता है. ताकि यहां पर आए लोगों को राखी मिश्रा के जज्बे से एक बेहतर संदेश मिले और राखी मिश्रा को भी कुछ आर्थिक लाभ हो सके.

राज्यपाल से हो चुकी हैं सम्मानित

राखी मिश्रा की मां ने बताया कि उनकी बेटी के सराहनीय काम के लिए राज्य की राज्यपाल ने भी उन्हें सम्मानित किया है. लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई है. राखी मिश्रा की मां ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि दिव्यांग लड़के-लड़कियों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

Intro:राजधानी के धुर्वा इलाके में रहने वाली दिव्यांग राखी मिश्रा आज कई लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है, हाथ पैर से लाचार होने के बावजूद भी अपने माता-पिता एवं घर का खर्च चलाने के लिए मोती के समान बना कर बाजार में बेचने का काम कर रही है।

दिव्यांग राखी बताती है कि भले ही हमारे हाथ पैर लाचार हो लेकिन हम मन से बिल्कुल स्वस्थ हैं इसीलिए स्वावलंबी और अपने माता पिता की मदद करने के लिए हमने मोती के समान बनाकर बाजार में बेचने का काम शुरू किया।


Body:राखी बताती हैं कि तीन वर्ष पूर्व एचईसी से पिताजी के रिटायर होने के बाद घर में पैसे का अभाव होने लगा जिस कारण घर की आमदनी को बढ़ाने और माता-पिता की जिम्मेदारी को निभाने के लिए मोती से बनाए सामानों को बाजार में बेचने का काम शुरू किया।

हाथ और पैर से लाचार होने के बावजूद भी राखी अपने जिम्मेदारियों को निभाने के लिए छोटे-छोटे मोतियों से सामान बनाकर समाज के लिए एक मिसाल बन गई है।

दरअसल महिला इस्पात विकास समिति के द्वारा तीन दिवस आयोजित मेले में अपना स्टॉल लगाने पहुंची राखी मिश्रा सिर्फ इस मेले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन एक संदेश दे रही है ताकि शरीर से लाचार लोगों को ऊर्जा मिल सके।

महिला इस्पात विकास समिति मेले की अध्यक्ष नूपुर भट्ट बताती हैं कि राखी मिश्रा को हमारी समिति की तरफ से मुफ्त में स्टॉल मुहैया कराया जाता है ताकि यहां पर आए लोगों को राखी मिश्रा के जज्बे से एक बेहतर संदेश मिले एवं राखी मिश्रा को भी कुछ आर्थिक लाभ हो सके।


Conclusion:वही राखी मिश्रा की मां ने बताया कि हमारी बेटी को सराहनीय काम के लिए राज्य की राज्यपाल के द्वारा सम्मानित भी किया गया है, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई है।

ईटीवी भारत के माध्यम से राखी मिश्रा की मां ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि राखी मिश्रा की तरह दिव्यांग लड़के लड़कियों को सरकार ध्यान दें ताकि दिव्यांग भी अपनी कला से समाज में बेहतर सहयोग दें सके।

वही राखी मिश्रा ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि व्यक्ति शरीर से नहीं मन से लाचार होता है अगर इंसान का मन बुलंदियों को छूने का हो तो उन्हें सफलता जरूर मिलती है।

गौरतलब है कि अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए राखी मिश्रा अपने जज्बे से लोगों के लिए एक मिसाल बनी है।

बाइट- राखी मिश्रा,दिव्यांग।
बाइट- राखी मिश्रा की मां।
बाइट- नूपुर भट्ट,अध्यक्ष,महिला इस्पात विकास समिति
Last Updated : Aug 11, 2019, 11:02 PM IST
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