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वारदात के बाद DGP को भी गलत जानकारी देते हैं अफसर, समीक्षा के दौरान पकड़ी गड़बड़ी

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Published : Nov 4, 2020, 7:33 PM IST

झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने आपराधिक वारदातों की समीक्षा के दौरान स्वयं गड़बड़ियां पकड़ी हैं. इसके बाद उन्होंने सभी जिलों के एसपी को कई दिशा- निर्देश दिया और कहा कि आपराधिक वारदात के बाद पहले उसे स्वीकार किया जाना चाहिए उसके बाद ऐसी घटना दोबारा न हो इसका ध्यान रखने की जरूरत है.

DGP MV Rao
एमवी राव, डीजीपी

रांची: आपराधिक वारदातों के बाद डीजीपी तक को पुलिस के अधिकारी गलत जानकारी देते हैं. हाल ही में आपराधिक वारदातों की समीक्षा के दौरान डीजीपी एमवी राव ने स्वयं गड़बड़ियां पकड़ी है. इसके बाद इस संबंध में जिलों के एसपी को निर्देशित किया कि कहीं पर भी कोई आपराधिक वारदात होता है तो सर्वप्रथम उसे स्वीकार किया जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो.

किन मामलों में डीजीपी को दी गई गलत जानकारी
रांची के सुखदेवनगर थाना कैंपस के पास दो गूटों में चाकूबाजी हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. घटनास्थल के बारे में बताया गया कि वारदात बाहरी क्षेत्र में हुआ है. जहां बलों की प्रतिनियुक्ति नहीं थी. लेकिन वास्तव में घटना थाना के पास ऐसे जगह पर हुई थी, जहां भारी संख्या में पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति थी. डीजीपी ने समीक्षा के बाद आदेश जारी किया है कि ऐसी वारदात होने पर सबसे पहले इसे स्वीकार किया जाए, ऐसी वारदातों को रोकने की आवश्यकता है.

बगैर जांच एसपी ने बताया डूबने से हुई महिला की मौत
समीक्षा के दौरान डीजीपी को गुमराह करने का एक और मामला सामने आया. समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के एसपी के द्वारा मैसेज किया गया कि 25 अक्टूबर को 19 साल की एक लड़की गुम हो गई है, दूसरे दिन शव कुएं से बरामद हुआ. एसपी ने बताया कि डूबने से मौत हुई है. हालांकि एसपी ने स्वयं मामले की जांच नहीं करवायी थी. बगैर जांच एसपी ने पानी में डूबकर मौत की सूचना दी.

ये भी पढ़ें- DSPMU के कुलपति ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात, दी विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी

अपराधिक वारदातों से निपटने के लिए सीआईडी ने तैयार किया एसओपी
राज्य में आपराधिक वारदातों के बाद वरीय अधिकारियों को एसपी या जिलों के पुलिस अधिकारी गुमराह न कर सकें, इसके लिए एसओपी तैयार किया गया है. जिलों के एसपी की जिम्मेदारी तय की गई है कि वह घटना की प्रारंभिक जानकारी बगैर समय गवाएं पुलिस मुख्यालय के साथ वरीय अधिकारियों को देंगे. एसपी स्वयं फोरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर जाएंगे. इसके साथ ही जल्द से जल्द सुपरविजन रिपोर्ट स्वयं ही समर्पित करेंगे और केस में निष्कर्ष निकलने तक स्वयं केस की मॉनिटरिंग भी करेंगे. ऐसे मामलों में किसी अधीनस्थ अधिकारी पर इसकी जिम्मेदारी नहीं होगी.

रांची: आपराधिक वारदातों के बाद डीजीपी तक को पुलिस के अधिकारी गलत जानकारी देते हैं. हाल ही में आपराधिक वारदातों की समीक्षा के दौरान डीजीपी एमवी राव ने स्वयं गड़बड़ियां पकड़ी है. इसके बाद इस संबंध में जिलों के एसपी को निर्देशित किया कि कहीं पर भी कोई आपराधिक वारदात होता है तो सर्वप्रथम उसे स्वीकार किया जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो.

किन मामलों में डीजीपी को दी गई गलत जानकारी
रांची के सुखदेवनगर थाना कैंपस के पास दो गूटों में चाकूबाजी हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. घटनास्थल के बारे में बताया गया कि वारदात बाहरी क्षेत्र में हुआ है. जहां बलों की प्रतिनियुक्ति नहीं थी. लेकिन वास्तव में घटना थाना के पास ऐसे जगह पर हुई थी, जहां भारी संख्या में पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति थी. डीजीपी ने समीक्षा के बाद आदेश जारी किया है कि ऐसी वारदात होने पर सबसे पहले इसे स्वीकार किया जाए, ऐसी वारदातों को रोकने की आवश्यकता है.

बगैर जांच एसपी ने बताया डूबने से हुई महिला की मौत
समीक्षा के दौरान डीजीपी को गुमराह करने का एक और मामला सामने आया. समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के एसपी के द्वारा मैसेज किया गया कि 25 अक्टूबर को 19 साल की एक लड़की गुम हो गई है, दूसरे दिन शव कुएं से बरामद हुआ. एसपी ने बताया कि डूबने से मौत हुई है. हालांकि एसपी ने स्वयं मामले की जांच नहीं करवायी थी. बगैर जांच एसपी ने पानी में डूबकर मौत की सूचना दी.

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अपराधिक वारदातों से निपटने के लिए सीआईडी ने तैयार किया एसओपी
राज्य में आपराधिक वारदातों के बाद वरीय अधिकारियों को एसपी या जिलों के पुलिस अधिकारी गुमराह न कर सकें, इसके लिए एसओपी तैयार किया गया है. जिलों के एसपी की जिम्मेदारी तय की गई है कि वह घटना की प्रारंभिक जानकारी बगैर समय गवाएं पुलिस मुख्यालय के साथ वरीय अधिकारियों को देंगे. एसपी स्वयं फोरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर जाएंगे. इसके साथ ही जल्द से जल्द सुपरविजन रिपोर्ट स्वयं ही समर्पित करेंगे और केस में निष्कर्ष निकलने तक स्वयं केस की मॉनिटरिंग भी करेंगे. ऐसे मामलों में किसी अधीनस्थ अधिकारी पर इसकी जिम्मेदारी नहीं होगी.

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