रांची: तबादले के चार-पांच साल बाद भी पुलिसकर्मी को विरमित नहीं करने के मामले में राज्य के डीजीपी एमवी राव ने जमशेदपुर एसएसपी की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है. डीजीपी ने इस मामले में जमशेदपुर एसएसपी डॉ एम तमिलवाणन को पत्र लिखा है. इसके साथ ही तबादले के आदेश के बावजूद पुलिसकर्मी को विरमित नहीं करने के दोषी पुलिस अफसर को चिन्हित कर उसके संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है.
क्या है मामला
पत्र में डीजीपी ने लिखा है कि पुलिस मुख्यालय की तरफ से 12 जून 2015 को आरक्षी भरत सिंह का स्थानांतरण जमशेदपुर जिला बल से गिरिडीह जिला बल में हुआ था. परंतु उन्हें स्थानांतरित जिला में योगदान के लिए विरमित नहीं किया गया. फिर पुलिस मुख्यालय ने 02 सितंबर 2017 भरत सिंह का स्थानांतरण लातेहार जिला किया गया. लेकिन दूसरी बार भी उसे स्थानांतरण जिला हेतू विरमित नहीं किया गया. पुलिस मुख्यालय द्वारा करीब दो माह पूर्व भी एक आदेश पारित किया गया था कि पूर्व में जितने भी पुलिस पदाधिकारी/ कर्मियों का स्थानांतरण हुआ है लेकिन विरमित नहीं किया गया है उन्हें अविलंब स्थानांतरण जिला के लिए विरमित कर प्रतिवेदित देने का स्पष्ट आदेश दिया गया था. बावजूद इसके उक्त आरक्षी को विरमित नहीं किया गया था, फिर पुलिस मुख्यालय ने 24 घंटा के अंदर उक्त आरक्षी को विरमित करने संबंधी आदेश दिनांक 15 सितंबर 2020 को दिया गया. लेकिन आरक्षी इतने आदेशों के बाद भी विरमित नहीं हुआ.
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डीजीपी ने लिखा यह भ्रष्टाचार का प्रतीक
डीजीपी ने जमशेदपुर एसएसपी को लिखा है कि वर्ष 2015 और फिर 2017 में स्थानांतरण के पश्चात अभी तक विरमित नहीं करना अत्यंत ही निंदनीय है और गलत कार्य संस्कृति, संभवतः भ्रष्टाचार का प्रतीक है. ऐसा प्रतीत होता है कि अनुचित लाभ उठाने हेतू मिलीभगत से यह कार्रवाई की गई है. यह बिल्कुल भी बर्दाश्त करने योग्य नहीं है. इसके लिए दोषी पदाधिकारी/कर्मियों की जिम्मेवारी निर्धारित करते हुए एक स्पष्ट प्रतिवेदन से पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया जाए.