रांची: राष्ट्रीय आदिवासी समाज, सरना धर्म रक्षा अभियान के प्रतिनिधिमंडल ने संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम से मुलाकात की. उन्होंने सरकार की ओर से जारी संकल्प से आदिवासी/सरना धर्म कोड में से आदिवासी शब्द को हटाकर सरना धर्म कोड सदन में प्रारित कराने की मांग रखी.
राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा और डॉ करमा उरांव ने मंत्री को बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार आदिवासियों को शेड्यूल ट्राइब का दर्जा प्राप्त है. आदिवासी समाज के अंतर्गत पूरे देश में 781 जनजाति समुदाय हैं, जिसमें से कुछ लोगों ने ईसाई, बौद्ध, हिंदू और मुस्लिम इत्यादि धर्म को अंगीकृत कर लिया है.
वहीं, आज भी आदिवासी बहुसंख्यक समाज अपने मूल धर्म सरना धर्म में कायम है, जो कि धर्म कोड नहीं मिलने के बावजूद 2011 की जनगणना प्रपत्र के अन्य के कॉलम में अपना धर्म सरना दर्ज किया है.
झारखंड- 4131283, ओडिशा- 403550, प. बंगाल- 403250, बिहार- 10407, छत्तीसगढ़- 8057
इसी प्रकार अन्य राज्यों में भी सरना धर्म लिखने वालों की संख्या अत्याधिक है. सभी राज्यों को मिलाकर देश में सरना धर्म लिखने वालों की संख्या 49 लाख 57 हजार 467 है, जबकि आदिवासी धर्म लिखने वालों की संख्या राज्यवार इस प्रकार है.
झारखंड- 41,680 उड़ीसा- 623, प० बंगाल- 961,बिहार-20, छत्तीसगढ़-17425
इसी प्रकार अन्य राज्यों को मिलाकर आदिवासी धर्म लिखने वालों की कुल संख्या मात्र 86 हजार 877 है.
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इससे जाहिर होता है कि पूरे देश में आदिवासी समाज में सरना धर्म लिखने वालों की संख्या सबसे अधिक है. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोगों की ओर से भ्रांति फैलाई जा रही है कि सरना पूजा स्थल के नाम पर सरना धर्म रखा गया है, जो कि गलत है. मालूम हो कि संथालियों की ओर से जाहेर थान, उरांव के चाला टोंका, 'हो' को देशाउली और मुंडा समुदाय 'जाहेर' कहते हैं. ये समुदाय सरना धर्म का पालन करते हैं और धरती को सरना मां और सूरज को धर्मेस, सिंगबोंगा और दूसरे नामों से जनजातीय समुदाय पुकारते हैं.
वैसे लोगों को जानकारी होनी चाहिए कि गौतम बुध के नाम पर बौद्ध धर्म, ईसा मसीह के नाम पर ईसाई धर्म हो सकता है, तो प्रकृति को मानने वालों के लिए सरना धर्म क्यों नहीं.
जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में सभी राजनीतिक दलों ने सरना धर्म कोड देने की घोषणा की थी. इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जा चुका है. मंत्री आलमगीर आलम ने सभी बातों को सुनने के बाद कहा कि 50 लाख सरना धर्मावलम्बियों की भावना और मांग का सम्मान होगा.