रांची: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच पेयजल व्यवस्था (Drinking Water System) को लेकर विधायक प्रदीप यादव और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Minister Mithilesh Thakur) के बीच खूब शब्दों के तीर चले. चापाकल के आंकड़ों पर सवाल जवाब के बीच विधायक प्रदीप यादव ने पूछा कि क्या जल संरक्षण (water conservation) का कोई कानून है. उन्होंने कमजोर मानसून की वजह से भूतल जलस्तर के नीचे जाने की संभावना जताते हुए इस सवाल को दागा. यहीं से दोनों माननीयों के बीच बहस शुरू हो गयी.
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Minister Mithilesh Thakur) ने कहा कि माननीय सदस्य काफी विद्वान हैं. उनके मूल प्रश्न का जवाब दे दिया गया है. मनरेगा के जरिए जल संरक्षण को लेकर कई योजनाएं चल रही हैं. स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत सोख्ता गड्ढों का निर्माण कराया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) की ओर से अमृत सरोवर योजना (Amrit Sarovar Yojana )के तहत जलाशयों का निर्माण कराया जा रहा है. ऐसे में माननीय को जवाब से संतोष कर लेना चाहिए. इसपर विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि आप उतावला न हों. हमारा मकसद आपको नीचा दिखाना नहीं है. उन्होंने सेंट्रल वाटर बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला दिया.
क्या था सवाल और क्या मिला जवाब: प्रदीप यादव ने सरकार से पूछा था कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों की 90 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी 4.22 लाख चापाकल के भरोसे अपनी प्यास बूझा रही है. विभागीय मंत्री का जवाब था कि ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों की संख्या 4,40,767 है. ग्रामीण इलाकों में अभी तक 13,44,757 एफएचटीसी का निर्माण कर 21.97 प्रतिशत ग्रामीण आबादी तक पेयजल पहुंचाया जा रहा है. शेष आबादी के पेयजल की आपूर्ति चापानल और अन्य स्त्रोत से की जा रही है. प्रदीप यादव का दूसरा सवाल था कि खराब मानसून के कारण भूगर्भ जलस्तर के नीचे जाने की संभावना है. क्या इसे ध्यान में रखकर सरकार सर्वे करा रही है. जवाब में मंत्री ने बताया कि पंचायतों में हर माह दो ट्यूबवेल से जलस्तर की मापी करायी जाती है. जून-जुलाई के जलस्तर में कोई खास गिरावट नहीं आई है. इतना होने के बावजूद जुबानी खींचतान चलती रही. इस बीच प्रदीप यादव के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम (Parliamentary Affairs Minister Alamgir Alam) को हस्तक्षेप करना पड़ा.