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लॉकडाउन में दाह संस्कार की कैसी व्यवस्था, कितना गंभीर है प्रशासन, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

कोरोना वायरस ने पूरे भारत की गति पर रोक लगा रखी है. इस दौरान कुछ ऐसी चुनौतियां सामने आ रही हैं जिसको लेकर लोगों की चिंता लाजमी है. खासकर वैसे लोगों के लिए जिनके घर के किसी सदस्य का निधन हुआ हो. ऐसी परिस्थिति में सबसे बड़ी चिंता होती है कि क्या श्मशान घाट जाने पर लकड़ी मिलेगी. शव का दाह संस्कार कैसे होगा. श्मशान घाट का संचालन करने वाली संस्थाओं की तैयारी कैसी है. पेश है खास रिपोर्ट.

Cremation arrangements during lockdown in ranchi
लॉकडाउन में दाह संस्कार की कैसी व्यवस्था
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Published : Apr 7, 2020, 8:32 PM IST

Updated : Apr 9, 2020, 2:53 PM IST

रांची: राजधानी रांची में संस्थाओं की तरफ से चार श्मशान घाट का संचालन होता है. हरमू स्थित मुक्तिधाम, नामकुम हटिया और सीठियो में. रांची में हरमू स्थित मुक्तिधाम का संचालन मारवाड़ी सहायक समिति की तरफ से होता है. जब ईटीवी भारत की टीम यहां पड़ताल करने पहुंची तो वहां दो चिंताएं जल रही थी.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-लॉकडाउन पर भारी अंधविश्वास, पेड़ पर त्रिशूल-डमरू को देखने उमड़े लोग

चिताओं को जलाने में सहयोग करने वाले विकास राम से पूछताछ करने पर पता चला कि लॉकडाउन के 1 सप्ताह पहले से यहां के सभी गोदाम में लकड़ियां भरी थी लेकिन ट्रक के नहीं आने के कारण थोड़ी चिंता बढ़ी है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी इतनी लकड़ी है कि 10 दिन तक हालात को संभाला जा सकता है.

23 मार्च से 6 अप्रैल तक कितने शव जले

हरमू स्थित मुक्तिधाम में दो श्मशान घाट हैं. एक का नाम है मुक्तिधाम और दूसरे का नाम है स्वर्ग द्वार. 23 मार्च से 6 अप्रैल तक मुक्तिधाम में 69 शव और स्वर्गद्वार में 18 शव जलाए गए हैं. मुक्तिधाम में एक शव को जलाने के लिए 2,200 रु का टोकन लेना पड़ता है जबकि स्वर्गद्वार के लिए 1,800 रु का.

लकड़ी को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं

मारवाड़ी भवन के इंचार्ज मुकेश वर्मा ने बताया कि हरमू मुक्ति धाम में कुल 87 शव जलाए गए हैं. मुक्तिधाम की व्यवस्था में 40 लोग लगे हुए हैं. सबसे अच्छी बात है कि जिला प्रशासन के पहल पर 7 मार्च को एक ट्रक लकड़ी भी आ गई है. लिहाजा अब किसी तरह की समस्या नहीं है. उन्होंने बताया कि डीटीओ के स्तर पर रोड परमिट मिलने के बाद पश्चिम बंगाल के चाकुलिया से लकड़ी मंगाई गई है और जल्द ही एक ट्रक और लकड़ी आ जाएगी. उन्होंने कहा कि इस काम में जिला प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है.

किसी के निधन पर पुलिस को देनी होती है सूचना

श्मशान घाट की पड़ताल के दौरान दाह संस्कार में शामिल होने आए कुछ लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अगर किसी का निधन होता है तो उसकी जानकारी पुलिस को देनी होती है. उसके बाद डेथ सर्टिफिकेट लेकर मारवाड़ी सहायक समिति से टोकन लेना पड़ता है. इसके बाद बिना किसी दिक्कत के मुक्तिधाम में दाह संस्कार संपन्न होता है.

बता दें कि पड़ताल के दौरान मुक्तिधाम में हिंद पीढ़ी और पिस्का मोड़ की दो बुजुर्ग महिलाओं की चिता जल रही थी. खास बात यह है कि इस दौरान काफी संख्या में लोग भी पहुंचे थे. इससे साफ है कि जिला प्रशासन की तरफ से लोगों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जा रही है.

रांची: राजधानी रांची में संस्थाओं की तरफ से चार श्मशान घाट का संचालन होता है. हरमू स्थित मुक्तिधाम, नामकुम हटिया और सीठियो में. रांची में हरमू स्थित मुक्तिधाम का संचालन मारवाड़ी सहायक समिति की तरफ से होता है. जब ईटीवी भारत की टीम यहां पड़ताल करने पहुंची तो वहां दो चिंताएं जल रही थी.

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चिताओं को जलाने में सहयोग करने वाले विकास राम से पूछताछ करने पर पता चला कि लॉकडाउन के 1 सप्ताह पहले से यहां के सभी गोदाम में लकड़ियां भरी थी लेकिन ट्रक के नहीं आने के कारण थोड़ी चिंता बढ़ी है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी इतनी लकड़ी है कि 10 दिन तक हालात को संभाला जा सकता है.

23 मार्च से 6 अप्रैल तक कितने शव जले

हरमू स्थित मुक्तिधाम में दो श्मशान घाट हैं. एक का नाम है मुक्तिधाम और दूसरे का नाम है स्वर्ग द्वार. 23 मार्च से 6 अप्रैल तक मुक्तिधाम में 69 शव और स्वर्गद्वार में 18 शव जलाए गए हैं. मुक्तिधाम में एक शव को जलाने के लिए 2,200 रु का टोकन लेना पड़ता है जबकि स्वर्गद्वार के लिए 1,800 रु का.

लकड़ी को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं

मारवाड़ी भवन के इंचार्ज मुकेश वर्मा ने बताया कि हरमू मुक्ति धाम में कुल 87 शव जलाए गए हैं. मुक्तिधाम की व्यवस्था में 40 लोग लगे हुए हैं. सबसे अच्छी बात है कि जिला प्रशासन के पहल पर 7 मार्च को एक ट्रक लकड़ी भी आ गई है. लिहाजा अब किसी तरह की समस्या नहीं है. उन्होंने बताया कि डीटीओ के स्तर पर रोड परमिट मिलने के बाद पश्चिम बंगाल के चाकुलिया से लकड़ी मंगाई गई है और जल्द ही एक ट्रक और लकड़ी आ जाएगी. उन्होंने कहा कि इस काम में जिला प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है.

किसी के निधन पर पुलिस को देनी होती है सूचना

श्मशान घाट की पड़ताल के दौरान दाह संस्कार में शामिल होने आए कुछ लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अगर किसी का निधन होता है तो उसकी जानकारी पुलिस को देनी होती है. उसके बाद डेथ सर्टिफिकेट लेकर मारवाड़ी सहायक समिति से टोकन लेना पड़ता है. इसके बाद बिना किसी दिक्कत के मुक्तिधाम में दाह संस्कार संपन्न होता है.

बता दें कि पड़ताल के दौरान मुक्तिधाम में हिंद पीढ़ी और पिस्का मोड़ की दो बुजुर्ग महिलाओं की चिता जल रही थी. खास बात यह है कि इस दौरान काफी संख्या में लोग भी पहुंचे थे. इससे साफ है कि जिला प्रशासन की तरफ से लोगों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जा रही है.

Last Updated : Apr 9, 2020, 2:53 PM IST
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