रांची: राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो चुका है और द्रौपदी मुर्मू बड़े अंतरों से जीत हासिल कर चुकी हैं लेकिन झारखंड में इस पर राजनीति जारी है. NDA समर्थित द्रौपदी मुर्मू को झारखंड में उम्मीद से काफी अधिक समर्थन मिला है. इसके बाद सवालों के घेरे में कांग्रेस के वो विधायक हैं जिन्होंने आलाकमान के फैसले को दरकिनार कर अंतरात्मा की आवाज पर यशवंत सिन्हा की जगह द्रौपदी मुर्मू को वोट किया. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ने तो इसे कांग्रेसी विधायकों का अपने दल यानि कांग्रेस के साथ गद्दारी तक कह दिया है.
ये भी पढ़ें: द्रौपदी मुर्मू हैं सादगी और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, राजनाथ सिंह ने प्रभावित होकर नहीं खाई थी फिश
राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को झारखंड में जब उम्मीद से ज्यादा वोट मिला तो सीपी सिंह ने कहा कि यशवंत सिन्हा ने भाजपा और सहयोगी दलों के विधायकों सांसदों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की थी. लगता है कि कांग्रेस के विधायकों ने तभी मन बना लिया था कि उन्हें बताना है कि अंतरात्मा जिंदा है. सीपी सिंह ने कहा कि पहले कांग्रेस ने नीलम संजीवा रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया था और बाद में कह दिया कि वीवी गिरि को वोट देना है, अंतरात्मा की आवाज की बात कह दी. उन्होंने कहा कि इतिहास अपने आपको दोहराता है और इस बार वही हुआ है.
सीपी सिंह ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को नकली गांधी बताते हुए कहा कि उनके जैसे नेताओं को खुशी तब होगी जब कांग्रेस मुक्त भारत बन जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों को दरकिनार कर कांग्रेस विधायकों ने अपने दल से गद्दारी की है.
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने इस मामले पर कहा कि कांग्रेस विधायकों की ओर से क्रॉस वोटिंग की है उनपर कांग्रेस नेतृत्व गंभीर है. राकेश सिन्हा ने कहा कि जल्द कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, वन टू वन सभी विधायकों के साथ बात करेंगे और यह जानेंगे किस परिस्थिति में विधायकों ने ऐसा फैसला लिया. कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग को कांग्रेस से ही गद्दारी वाले सीपी सिंह के बयान पर राकेश सिन्हा ने कहा कि ये आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ देने वालों की भाषा है.
कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग पर गरमाई राजनीति के बीच झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडे ने कहा कि पहली बार देश को सर्वोच्च पद पर आदिवासी समाज की महिला को बैठाने का मौका मिल रहा था. राज्य में बड़ी आबादी आदिवासी समाज की है, ऐसे में जाहिर है कि राज्य में परिस्थितियां दूसरी थी, इसका भी ख्याल रखना होगा.