रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव (Panchayat elections in Jharkhand) में हो रही देरी पर सियासत गर्म है. हालांकि सरकार ने पहले ही घोषणा कर दिया है कि इसी वित्तीय वर्ष में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होगी. इसके बाद भी देरी की वजह से विपक्षी दल लगातार सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर पंचायतों का चुनाव नहीं कराने के पीछे बड़े पैमाने पर पैसे की उगाही का आरोप लगाया है. सीपी सिंह ने कहा है कि मुखिया को एक्सटेंशन देने के नाम पर हर मुखिया से 10 से 15 हजार लिए गए हैं इस तरह से सत्ता में बैठे लोगों ने करीब 40 करोड़ की उगाही की है. इधर, सरकार पर लग रहे आरोप पर पलटवार करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि जो भी वर्तमान में मुखिया है वे भाजपा शासन में हुए चुनाव के निर्वाचित मुखिया हैं क्या भाजपा ऐसा करती रही है.
इसी वित्तीय वर्ष में होगा पंचायत चुनाव
सियासी घमासान के बीच पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसी वित्तीय वर्ष में होगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में पंचायत चुनाव (Panchayat elections in Jharkhand) भारत निर्वाचन आयोग ने 5 जनवरी को जारी होने वाले नये वोटर लिस्ट के आधार पर होगा. इससे फायदा यह होगा कि 1 जनवरी 2022 को जो 18 वर्ष पूरे कर रहे हैं उन्हें भी मतदान करने का मौका मिलेगा. राज्य निर्वाचन आयोग, भारत निर्वाचन आयोग के नये मतदाता सूची को ही आधार मानकर पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची का विखंडन करेगी. ये प्रक्रिया पूरी करने के बाद महामारी की स्थिति को देखकर राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव कराएगी.
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2020 के दिसंबर से लंबित है पंचायत चुनाव
झारखंड में पंचायत चुनाव (Panchayat elections in Jharkhand) दिसंबर 2020 में होना था. पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव नहीं हो सका फिर कोरोना के कारण चुनाव लटकता चला गया. ऐसे में सरकार ने पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चलाती रही है. राज्य में काफी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2010 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुए. इसके बाद 2015 में एक बार फिर गांव की सरकार बनी जिसमें राज्यभर में 4402 मुखिया, 545 जिला परिषद सदस्य, 5423 पंचायत समिति सदस्य, 54330 ग्राम पंचायत सदस्यों का निर्वाचन हुआ.
फिलहाल झारखंड में कुल 32660 गांव हैं जिसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है. इधर, राज्य सरकार की हरी झंडी नहीं देने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग की परेशानी बढ गई है. अगर 15 जनवरी तक राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिलती है तो भारत निर्वाचन आयोग नये वोटर लिस्ट का प्रकाशन होते ही राज्य निर्वाचन आयोग को नये वोटर लिस्ट के आधार पर मतदाता सूची का विखंडन करना होगा जिसकी प्रक्रिया पूरी करने में वक्त लगेगा.