रांची: झारखंड में कोरोना की पहली और दूसरे लहर के दौरान जल्दी और विश्वसनीय रिजल्ट देने वाला ट्र नेट मशीन झारखंड में शोभा की वस्तु बन कर रह गई है. करोड़ों की लागत से खरीदे गए ट्रूनेट मशीन टेस्टिंग कीट के मौजूद नहीं होने की वजह से धूल फांक रहा है. राज्य में एक ओर जहां सरकार ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए टेस्टिंग बढ़ाने पर जोर दे रही है वहीं ट्रूनेट मशीन की बदहाली सरकार की लापरवाही की कहानी भी कह रही है.
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करोड़ों रुपये में खरीदी गई थी मशीन
बता दें कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ज्यादा से ज्यादा और तेजी से जांच हो इसके लिए सरकार की तरफ से 150 से ज्यादा ट्रूनेट मशीन की खरीदारी की गई थी. बाजार में एक मशीन की कीमत 3 से 5 लाख रुपये होती है. इस हिसाब से 150 मशीन खरीदने में करोड़ों रुपये खर्च हुए थे जो अब बर्बाद होने के कगार पर है.
महंगी टेस्टिंग किट के कारण मशीन बर्बाद
ट्रूनेट से जांच नहीं करने के पीछे क्या कारण इसको भी जान लिजिए. खबर के मुताबिक इस मशीन से कोरोना जांच के लिए जिस किट का इस्तेमाल किया जाता है वो काफी महंगा है. इस वजह से उसकी खरीद ही नहीं की जा सकी. इसकी जगह पर कम विश्वसनीय रैपीड एंटीजन टेस्ट ( RAT) और आरटीपीसीआर टेस्ट को बढ़ाने की बात की जा रही है. फिर सवाल यह कि क्या जब ट्रूनेट मशीन की खरीद हो रही थी तब इसकी जानकारी नहीं थी कि इसका किट महंगा होता है.
ट्रूनेट की जगह रैट को प्राथमिकता देना गलत
दूसरी बात यह कि ट्रूनेट जांच ज्यादातर अस्पतालों में सर्जरी या सिजेरियन से पहले करके डॉक्टर्स यह कंफर्म करते थे कि जो मरीज अस्पताल पहुंचा है वह कोरोना संक्रमित तो नहीं है ,ट्रूनेट टेस्ट रिपोर्ट को तब विश्वसनीय बताया जाता था और रैट पर भरोसा नहीं किया जाता था फिर हाल ही में रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद रांची के सिविल सर्जन ने ही रैट की रिपोर्ट पर सवाल उठा दिए थे. ऐसे में भी ट्रूनेट की जगह रैट को प्राथमिकता देना क्या गलत नहीं है.
अब ट्रूनेट मशीन से टीबी उन्मूलन के दावे
राज्य में करीब 299 ट्रूनेट मशीन हैं. जिसमें से 134 टीबी विंग के हैं यानि 165 ट्रूनेट मशीन कोरोना जांच के लिए थे. अब जब किट के अभाव में ट्रूनेट मशीन बेकार पड़े हैं तो अब एक नया सब्जबाग विभाग की ओर से दिखाया जा रहा है और वह है 2024-25 तक राज्य को टीबी मुक्त राज्य बनाने में इसी ट्रूनेट मशीन के इस्तेमाल की बात कहना.अब कहा जा रहा है ट्रूनेट मशीन को हर सीएचसी में लगाया जाएगा ताकि समय पर पता लग जाएं कि टीबी के रोगियों का इलाज जल्द किया जा सके.