रांची: राजधानी के कडरू स्थित हज हाउस में आज (12 दिसंबर) इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स, ऑल इंडिया लॉयर्स कॉउंसिल, झारखंड अधिवक्ता मंच और झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में 72 वां संविधान दिवस मनाया गया. संविधान दिवस कार्यक्रम में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति और बड़ी संख्या में वरीय अधिवक्ताओं के साथ युवा अधिवक्ता शामिल हुए.
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न्यायिक संस्थाओं की भूमिका अहम
हज हाउस में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम सह संगोष्ठी में भारत के संविधान की प्रस्तावना और पूरे संविधान की मूल भावना को बरकरार रखने में न्यायिक संस्थाओं और अधिवक्ताओं की भूमिका पर चर्चा की गई. कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि संविधान के अनुरूप लोगों को न्याय दिलाने में आधी भागीदारी अधिवक्ताओं की होती है इसलिए युवा अधिवक्ताओं को ये जानना जरूरी है कि कैसे हमारा संविधान देश की एकता, अखंडता, भाईचारा, सहिष्णुता, सोशल, पॉलिटिकल और इकोनोमिकल जस्टिस की सीख देता है.
याद आए बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर
संगोष्ठी के दौरान वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने बताया कि हजारों साल तक अलग-अलग स्टेट्स और राजे रजवाड़े में बंटा भारत 1947 मे जब आजाद हुआ उस समय के हमारे नेताओं और संविधान निर्माताओं ने यह प्रयास किया कि कैसे भिन्नता में एकता के बावजूद पूरा भारत एक रहे. वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था हम सब पहले से लेकर अंत तक भारतीय हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक राज्य के बच्चों के लिए वहां के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए कुछ रियायत देने के सरकार के फैसले के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान अपनी भावना और फैसले से स्पष्ट कर दिया है कि भारत मे रहने वाला चाहे वह किसी प्रान्त के हो वह भारतीय हैं.
आज का संगोष्ठी बेहद उपयोगी
हज हाउस में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा अधिवक्ता भी शामिल हुए थे,उन्होंने संविधान दिवस सह संगोष्ठी कार्यक्रम को बेहद उपयोगी और वरीय अधिवक्ताओं के द्वारा दी गयी जानकारी को इस प्रोफेशन के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि भारत का संविधान सभी भारतीय को बिना किसी भेदभाव के जीने का अधिकार देता है. हज हाउस में मनाए गए संविधान दिवस पर ये संदेश देने की कोशिश की गई कि देश में सबसे ऊपर संविधान है. इसके बाद ही धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं का नंबर आता है.