रांची: झारखंड सरकार की कोर्ट फी अमेंडमेंट (Court Fee Amendment Act of Jharkhand Government) एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को जानकारी दी गई कि सरकार ने फीस बढ़ोतरी के मामले में सुधार के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है (Committee constituted for Court Fee Amendment Act). कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट के पास विचार के लिए रखा जाएगा. जिस पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय की है.
यह भी पढ़ें: विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रकिया हो तेज, राज्यपाल रमेश बैस ने दिया निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश: डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत के पूर्व आदेश के आलोक में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल किया. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि इस मामले में कमेटी का गठन कर दिया गया है. शीघ्र ही कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. अदालत ने सभी पक्षों की सहमति के उपरांत मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है.
आपको बता दें कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने हाई कोर्ट से कोर्ट फी अमेंडमेंट एक्ट को समाप्त करने का आग्रह किया है. उनकी ओर से कहा गया कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक ओल्ड कोर्ट फी के माध्यम से पेमेंट करने का अंतरिम आदेश जारी किया जाए. जिसका राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया है.
पूर्व की सुनवाई में राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट से कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार वहन करना पड़ेगा. काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज व सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है. राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.