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सीएम हेमंत सोरेन ने हूल के नायक सिदो-कान्हू को दी श्रद्धांजलि, कहा- शहीदों का बलिदान करेगा प्रेरित - हुल क्रांति दिवस

रांची के कांके रोड स्थित अपने आवास पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हूल क्रांति दिवस के मौके पर संथाल हूल के नायक सिदो-कान्हू को श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन शहीदों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता रहेगा और सदैव झारखंड के लोगों को प्रेरित करेगा.

CM Hemant Soren pays tribute to Sidhu-Kanhu in ranchi
सीएम हेमंत सोरेन
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Published : Jun 30, 2020, 1:59 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को हूल क्रांति के नाम से विख्यात संथाल विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू को श्रद्धांजलि दी. रांची के कांके रोड स्थित अपने आवास पर हेमंत सोरेन ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सिदो-कान्हू के अलावा चांद, भैरव फूलों और झानो के साथ-साथ विद्रोह में शहादत देने वाले सभी वीरों का बलिदान सदैव झारखंड के लोगों को प्रेरित करेगा.

देखें पूरी खबर

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण दिवस है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौर में कार्यक्रम आयोजित करना संभव नहीं था. व्यक्तिगत रूप में लोग इस दिवस को मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक झारखंड रहेगा इन शहीदों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता रहेगा. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी झारखंडवासी इस गौरवपूर्ण दिवस के अवसर पर शहीदों को याद करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी उनकी वीरगाथा से अवगत हो सके.

ये भी देखें- सिदो-कान्हू की हुंकार से कांप उठा था अंग्रेज और दिकुओं का कलेजा, जानिए क्यों मनाते हैं हूल दिवस

दरअसल, अंग्रेजों के खिलाफ मौजूदा संथाल परगना इलाके में क्रांति का बिगुल फूंकने वाले इन वीरों को 30 जून, 1855 को फांसी पर लटका दिया गया था. इस मौके पर प्रदेश के साहिबगंज जिले के भोगनाडीह इलाके में शहीदों की याद में वृहत कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य सरकार के आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को हूल क्रांति के नाम से विख्यात संथाल विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू को श्रद्धांजलि दी. रांची के कांके रोड स्थित अपने आवास पर हेमंत सोरेन ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सिदो-कान्हू के अलावा चांद, भैरव फूलों और झानो के साथ-साथ विद्रोह में शहादत देने वाले सभी वीरों का बलिदान सदैव झारखंड के लोगों को प्रेरित करेगा.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण दिवस है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौर में कार्यक्रम आयोजित करना संभव नहीं था. व्यक्तिगत रूप में लोग इस दिवस को मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक झारखंड रहेगा इन शहीदों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता रहेगा. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी झारखंडवासी इस गौरवपूर्ण दिवस के अवसर पर शहीदों को याद करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी उनकी वीरगाथा से अवगत हो सके.

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दरअसल, अंग्रेजों के खिलाफ मौजूदा संथाल परगना इलाके में क्रांति का बिगुल फूंकने वाले इन वीरों को 30 जून, 1855 को फांसी पर लटका दिया गया था. इस मौके पर प्रदेश के साहिबगंज जिले के भोगनाडीह इलाके में शहीदों की याद में वृहत कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य सरकार के आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है.

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