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सीएम हेमंत सोरेन खनन पट्टा मामला, सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई

CM Hemant Soren के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रही शेल कंपनी और खनन पट्टा के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर Supreme Court में बुधवार को सुनवाई होगी.

CM Hemant Soren mining lease case, hearing tomorrow in Supreme Court
CM Hemant Soren mining lease case, hearing tomorrow in Supreme Court
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Published : Aug 16, 2022, 3:54 PM IST

Updated : Aug 16, 2022, 6:58 PM IST

रांचीः सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रहे खनन पट्टा (CM Hemant Soren mining lease case) और शेल कंपनी के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी. 12 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई अगली तारीख तक ले लिए टाल दी थी. इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था.

ये भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई पूरी, चुनाव आयोग 18 अगस्त के बाद सुनाएगा फैसला

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने 12 अगस्त को सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने झारखंड सीएम हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को अदालत में दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया.

इस दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि जनहित याचिका शर्तों को पूरा नहीं करती और यह राजनीति से प्रेरित है. इसके बाद भी झारखंड उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया. उन्होंने अदालत से कहा कि ईडी ने सीलबंद लिफाफे में जो सबूत पेश किए हैं, उस पर कई आपत्ति हैं. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी आपत्ति पर गौर नहीं किया.

कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनहित याचिका में जिन मुखौटा कंपनी का जिक्र किया गया है. वे वे साठ के दशक से मौजूद हैं. यह जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या राज्य या मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से शिकायत की है. इस पर सिब्बल ने जवाब दिया नहीं. इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और मूल याचिका से संबंधित सारे दस्तावेज पेश करने के लिए कहा.

ये है पूरा मामलाः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खिलाफ खनन पट्टा और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है. प्रार्थी मस्तराम मीणा ने याचिका दायर की है. दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि शिव शंकर शर्मा की दो याचिकाएं जिसकी संख्या 4290 ऑफ 2021 और 727 ऑफ 2022 की मेंटेनेबिलिटी मामले पर 12 अगस्त को शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है.

याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार (Advocate Rajiv Kumar) को कोलकाता पुलिस ने 31 जुलाई की शाम को गिरफ्तार किया है. याचिकाकर्ता के वकील पर कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल को पीआईएल 4290 ऑफ 2021 में राहत दिलाने के नाम पर पैसे की मांग की गयी थी. इसका ऑडियो भी वायरल हुआ था. चुंकि झारखंड हाई कोर्ट में दोनों याचिकाओं पर बहस जारी है. इसलिए शीर्ष अदालत की तरफ से दोनों याचिकाओं को रद्द करने की मांग की गयी है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पर आरोप: ये दोनों याचिकाएं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी हैं. हस्तक्षेप याचिका में अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी की कॉपी और 50 लाख रुपये की नगद बरामदगी का जिक्र किया गया है. ऐसे में एडवोकेट राजीव कुमार की कोई विश्वसनीयता नहीं रह गयी है. उनके द्वारा आम लोगों को डराने-धमकाने के लिए रिट याचिकाएं दायर की जाती रही है, जिसका यह स्पष्ट प्रमाण है.

रांचीः सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रहे खनन पट्टा (CM Hemant Soren mining lease case) और शेल कंपनी के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी. 12 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई अगली तारीख तक ले लिए टाल दी थी. इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था.

ये भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई पूरी, चुनाव आयोग 18 अगस्त के बाद सुनाएगा फैसला

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने 12 अगस्त को सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने झारखंड सीएम हेमंत सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को अदालत में दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया.

इस दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि जनहित याचिका शर्तों को पूरा नहीं करती और यह राजनीति से प्रेरित है. इसके बाद भी झारखंड उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया. उन्होंने अदालत से कहा कि ईडी ने सीलबंद लिफाफे में जो सबूत पेश किए हैं, उस पर कई आपत्ति हैं. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी आपत्ति पर गौर नहीं किया.

कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनहित याचिका में जिन मुखौटा कंपनी का जिक्र किया गया है. वे वे साठ के दशक से मौजूद हैं. यह जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या राज्य या मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से शिकायत की है. इस पर सिब्बल ने जवाब दिया नहीं. इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और मूल याचिका से संबंधित सारे दस्तावेज पेश करने के लिए कहा.

ये है पूरा मामलाः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खिलाफ खनन पट्टा और शेल कंपनियों से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है. प्रार्थी मस्तराम मीणा ने याचिका दायर की है. दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि शिव शंकर शर्मा की दो याचिकाएं जिसकी संख्या 4290 ऑफ 2021 और 727 ऑफ 2022 की मेंटेनेबिलिटी मामले पर 12 अगस्त को शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है.

याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार (Advocate Rajiv Kumar) को कोलकाता पुलिस ने 31 जुलाई की शाम को गिरफ्तार किया है. याचिकाकर्ता के वकील पर कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल को पीआईएल 4290 ऑफ 2021 में राहत दिलाने के नाम पर पैसे की मांग की गयी थी. इसका ऑडियो भी वायरल हुआ था. चुंकि झारखंड हाई कोर्ट में दोनों याचिकाओं पर बहस जारी है. इसलिए शीर्ष अदालत की तरफ से दोनों याचिकाओं को रद्द करने की मांग की गयी है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पर आरोप: ये दोनों याचिकाएं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी हैं. हस्तक्षेप याचिका में अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी की कॉपी और 50 लाख रुपये की नगद बरामदगी का जिक्र किया गया है. ऐसे में एडवोकेट राजीव कुमार की कोई विश्वसनीयता नहीं रह गयी है. उनके द्वारा आम लोगों को डराने-धमकाने के लिए रिट याचिकाएं दायर की जाती रही है, जिसका यह स्पष्ट प्रमाण है.

Last Updated : Aug 16, 2022, 6:58 PM IST
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