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PM के साथ बैठक में बोले CM, केंद्र से की राहत की मांग - वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक

शनिवार को पीएम मोदी के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री सोरेन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से रेवेन्यू कलेक्शन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में राज्य में काम कर रहे केंद्र सरकार के उपक्रम के बकाए की पूर्ति के लिए पहल करनी चाहिए.

CM Hemant Soren joins video conferencing meeting with PM
सीएम हेमंत सोरेन
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Published : Apr 11, 2020, 5:28 PM IST

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई तीसरी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहली बार बोलने का मौका मिला. शनिवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री सोरेन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से रेवेन्यू कलेक्शन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में राज्य में काम कर रहे केंद्र सरकार के उपक्रम के बकाए की पूर्ति के लिए पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के सीसीएल, डीवीसी और राज्य सरकार के अन्य बकाएदार उपक्रम लैस रिलीज कर दें तो कोरोना लड़ाई में थोड़ी राहत होगी.

देखिए पूरी खबर

उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि झारखंड इकलौता ऐसा राज्य है, जहां मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी सबसे कम है. यही वजह है कि यहां से मजदूरों का पलायन दूसरे राज्यों में होता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी को 300 रुपए करने के बारे में सोचे. मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि झारखंड दोनों स्थितियों में बड़ी समस्या झेल सकता है.

लॉकडाउन हटने पर 5 लाख लोग आएंगे

सीएम ने कहा कि लॉकडाउन हटता है तो ऐसी स्थिति में दूसरे राज्यों से एक अनुमान के तौर पर 5 लाख लोग झारखंड आएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि यह वह लोग हैं जो उन राज्यों में फंसे हैं, जहां सबसे ज्यादा संक्रमण है. ऐसे में यह उस संक्रमण के कैरियर के रूप में भी स्थापित हो सकते हैं और अगर यह अपने गांव चले गए तो स्थिति गंभीर हो जाएगी. वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत दिनों तक लॉकडाउन करने की स्थिति में भी राज्य नहीं है.

40 प्रतिशत आदिवासी और दलित आबादी उन्होंने कहा कि राज्य की 40% आबादी आदिवासी और दलित बहुल है. इसकी वजह से आर्थिक दबाव हमेशा बढ़ता रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र से वांछित मद की राशि भी नहीं मिल पा रही है. केंद्र से जो जीएसटी के विषय में सभी राज्यों ने कहा है वही राशि झारखंड को भी मिले. अगर वह मिल जाए तो संक्रमण के खिलाफ जंग में थोड़ी सहायता हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: कोरोना इफेक्ट: चाईबासा मंडल कारा से 100 बंदियों को किया गया शिफ्ट, भेजा गया रांची होटवार जेल

कर्ज पर लगने वाले ब्याज की माफी की रखी मांग

वहीं, सोरेन ने एफआरबीएम को लेकर के सभी राज्यों के साथ अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि इसके तहत 20% की राहत जो राज्यों को दी गई है उसमें बढ़ोतरी हो जाए तो आने वाले समय में आर्थिक रूप से खड़े होने में सहयोग मिलेगा. इसके अलावा सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न स्रोतों और उस पर लगने वाले ब्याज भुगतान पर भी एक साल मेरिटोरियम लागू किया जाए. इसके साथ ही वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कर्ज पर लगने वाले ब्याज को भी माफ करने का भी सोरेन ने पीएम से आग्रह किया. रिलीफ फंड के जीआर ग्रांट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रिलीफ कोड में प्रति व्यक्ति 60 प्रतिदिन जीआर ग्रांट का प्रावधान है. इसकी स्वीकृति से बेरोजगार मजदूरों को काफी लाभ होगा.

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई तीसरी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहली बार बोलने का मौका मिला. शनिवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री सोरेन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से रेवेन्यू कलेक्शन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में राज्य में काम कर रहे केंद्र सरकार के उपक्रम के बकाए की पूर्ति के लिए पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के सीसीएल, डीवीसी और राज्य सरकार के अन्य बकाएदार उपक्रम लैस रिलीज कर दें तो कोरोना लड़ाई में थोड़ी राहत होगी.

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उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि झारखंड इकलौता ऐसा राज्य है, जहां मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी सबसे कम है. यही वजह है कि यहां से मजदूरों का पलायन दूसरे राज्यों में होता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी को 300 रुपए करने के बारे में सोचे. मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि झारखंड दोनों स्थितियों में बड़ी समस्या झेल सकता है.

लॉकडाउन हटने पर 5 लाख लोग आएंगे

सीएम ने कहा कि लॉकडाउन हटता है तो ऐसी स्थिति में दूसरे राज्यों से एक अनुमान के तौर पर 5 लाख लोग झारखंड आएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि यह वह लोग हैं जो उन राज्यों में फंसे हैं, जहां सबसे ज्यादा संक्रमण है. ऐसे में यह उस संक्रमण के कैरियर के रूप में भी स्थापित हो सकते हैं और अगर यह अपने गांव चले गए तो स्थिति गंभीर हो जाएगी. वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत दिनों तक लॉकडाउन करने की स्थिति में भी राज्य नहीं है.

40 प्रतिशत आदिवासी और दलित आबादी उन्होंने कहा कि राज्य की 40% आबादी आदिवासी और दलित बहुल है. इसकी वजह से आर्थिक दबाव हमेशा बढ़ता रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र से वांछित मद की राशि भी नहीं मिल पा रही है. केंद्र से जो जीएसटी के विषय में सभी राज्यों ने कहा है वही राशि झारखंड को भी मिले. अगर वह मिल जाए तो संक्रमण के खिलाफ जंग में थोड़ी सहायता हो जाएगी.

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कर्ज पर लगने वाले ब्याज की माफी की रखी मांग

वहीं, सोरेन ने एफआरबीएम को लेकर के सभी राज्यों के साथ अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि इसके तहत 20% की राहत जो राज्यों को दी गई है उसमें बढ़ोतरी हो जाए तो आने वाले समय में आर्थिक रूप से खड़े होने में सहयोग मिलेगा. इसके अलावा सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न स्रोतों और उस पर लगने वाले ब्याज भुगतान पर भी एक साल मेरिटोरियम लागू किया जाए. इसके साथ ही वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कर्ज पर लगने वाले ब्याज को भी माफ करने का भी सोरेन ने पीएम से आग्रह किया. रिलीफ फंड के जीआर ग्रांट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रिलीफ कोड में प्रति व्यक्ति 60 प्रतिदिन जीआर ग्रांट का प्रावधान है. इसकी स्वीकृति से बेरोजगार मजदूरों को काफी लाभ होगा.

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