रांची: राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस(National Fish Farmer's Day) पर पहली बार ऐसा हुआ कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(cm hemant soren) खुद कार्यक्रम में शरीक हुए. सीएम ने रांची के धुर्वा में 3 करोड़ 26 लाख रुपए की लागत से फिशरीज ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भवन का ऑनलाइन शुभारंभ किया. वहीं, दुमका में मॉडल फिशरीज मार्केट का भी मुख्यमंत्री ने लोकार्पण ऑनलाइन किया. सीएम हेमंत सोरेन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य भर के 50 मत्स्य पालकों से बातचीत भी की.
ये भी पढ़ें: मछुआरों को भी बैंक से कम ब्याज पर मिलेगा ऋण, मत्स्य पालन मंत्रालय ने जारी किए निर्देश
राज्य बनने के समय महज 14 हजार मीट्रिक टन होता था मछली का उत्पादन
2000 में झारखंड राज्य बनने के समय राज्य में महज 14000 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था. अब ये बढ़कर 2 लाख 38 हजार मीट्रिक टन हो गया है. सरकार ने इस वर्ष के लिए 2.38 लाख मीट्रिक टन और अगले वर्ष तक 03 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2024 तक राज्य में 3.5 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य विभाग को दिया है. ताकि झारखंड राज्य की पहचान न सिर्फ लोहा कोयला के लिए देश दुनिया में हो बल्कि मछली पालन में भी राज्य अग्रणी हो.
राज्य में 1 लाख 50 हजार से अधिक हैं बड़े तालाब 5900 केज हैं
झारखंड में मछली पालन(fish farming in jharkhand) की काफी संभावना है और यह रोजगार का एक बेहतर साधन हो सकता है. राज्य में जहां 1.5 लाख बड़े तालाब हैं. वहीं, 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र हैं जहां मछली पालन किया जा सकता है. राज्य में इंटीग्रेटेड फिश फार्मिंग को बढ़ावा देखकर मछली पालकों को केसीसी से आच्छादित करना और हर जिले में मॉडल मार्केट खोलकर ग्रामीण सशक्तिकरण में फिशरी की भूमिका को अहम बनाना है.
ये भी पढ़ें: कोरोना की दूसरी लहर ने मछली उत्पादन की बढ़त पर लगाई ब्रेक, सरायकेला में छह साल बाद आई गिरावट
मुख्यमंत्री ने क्या कहा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य भर के मछली पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस मनाना ही काफी नहीं होगा. बल्कि इसके मायने तब सार्थक होंगे जब हम एक-एक जलाशयों में मछली पालन कर ना सिर्फ स्वाबलंबी होंगे बल्कि रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य मछली पालन में तेजी से आगे बढ़ा है. वह राज्य के बाहर भी मछली बाजार की जानकारी ले रहे हैं ताकि मछली उत्पादन के बाद मत्स्य पालकों को बाजार की कमी ना हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी इच्छा है कि राज्य की पहचान कोयला लोहा के अलावा पशु पालकों और मछली पालकों से भी हो. ताकि राज्य पलायन के दंश से मुक्त हो सके.