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मुख्यमंत्री ने की डॉक्टरों के साथ बैठक, कहा- लॉकडाउन ब्रेक करने के बाद बढ़ सकती है दिक्कत

सूबेके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के डॉक्टरों से विस्तार से चर्चा की. इस दौरान लॉकडाउन ब्रेक करने पर भी विचार किया गया. सीएम ने कहा कि कि सभी लोग इस महामारी से बेचैन है और डॉक्टरों में अब इसको लेकर भय है. उन्होंने कहा कि हम लोग अपने आत्मबल से मजबूत हैं इसलिए इससे बखूबी लड़ना होगा.

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री
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Published : Apr 8, 2020, 8:13 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को कहा कि लॉकडाउन को लेकर पशोपेश की स्थिति 13 अप्रैल को साफ हो जाने की पूरी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में आई कोरोना आपदा कोई भी रूप ले सकती है. उन्होंने कहा कि झारखंड के संबंध में आपदा का जो कैरेक्टर है उसको लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन को लेकर कोई बात कही गई तो वैसे लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा जो बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इन सब चीजों पर समय आने पर निर्णय लेंगे.

देखें पूरी खबर
माइक्रो लेवल पर हो रही है मॉनिटरिंग
सीएम ने स्पष्ट किया कि सरकार माइक्रो लेवल पर सभी चीजों को मानिटरिंग कर रही है. दरअसल, मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट बिल्डिंग में रिम्स के डायरेक्टर समेत रांची के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ कोविड-19 को लेकर उनकी राय ले रहे थे. बैठक में कोविड-19 के दोनों पक्ष इलाज और बचाव को लेकर डॉक्टरों से चर्चा हुई. डॉक्टरों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि कि सभी लोग इस महामारी से बेचैन है और डॉक्टरों में अब इसको लेकर भय है. उन्होंने कहा कि हम लोग अपने आत्मबल से मजबूत हैं इसलिए इससे बखूबी लड़ना होगा.
लॉकडाउन ब्रेक करने के बाद होगी बड़ी चुनौती
बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि चिकित्सकों की राय पर सरकार पूरा ध्यान देगी. उन्होंने कहा कि अभी तो लॉकडाउन को लेकर समस्याएं हैं, जैसे ही यह खुलेगा उस समय झारखंड के सामने बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए पहाड़ जैसी चुनौती होगी. क्योंकि बड़ी मात्रा में यहां से लोग दूसरे राज्यों में काम करने बाहर गए हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर तीसरे या चौथे स्टेज में राज्य चला गया तब हाथ खड़ा करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन सभी चीजों पर नजर रख रही है, जो राज्य हित में होगा वह किया जाएगा.
सरकार के कॉल सेंटर आ रहे हैं फोन, वापस लौटने को उत्सुक हैं लोग
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कॉल सेंटर में लोग और पहले अनाज और पैसे की मदद मांग रहे थे. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन समाप्ति की तारीख नजदीक आ रही है लोग वहां से अपने घरों की ओर लौटना चाहते हैं. कॉल सेंटर में आने वाले फोन में सबसे ज्यादा सवाल इसी से जुड़ा हुआ है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस महामारी से लड़ने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार को आज भी पत्र भेजा है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि बैठक में 15-16 डॉक्टर ने जो सुझाव दिए हैं उनपर सरकार निश्चित रूप से विचार करेगी.

ये भी पढ़ें- झारखंड में मेडिकल ऑफिसर पदों के लिए बंपर वेकेंसी, 9 अप्रैल से आवेदन की प्रक्रिया शुरू



डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन बढ़ाने का किया आग्रह
वहीं, मौजूद डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन को ब्रेक नहीं करने की सलाह दी. बैठक में शामिल डॉक्टरों ने साफ कहा कि लॉकडाउन को अगले कुछ और हफ्तों तक बढ़ाना होगा. उन्होंने साफ कहा कि अगर लॉकडाउन ब्रेक किया गया तो दिक्कत होगी. हर हाल में इसे बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग और और लॉकडाउन से ही जीत हासिल की जा सकती है. ऐसे में लॉक डाउन को बढ़ाना जरूरी हो जाता है, कर इतना ही नहीं डॉक्टर ने साफ तौर पर कहा कि जिन इलाकों में फुट फॉल ज्यादा है वहां अभी स्टेरलाइजेशन होना चाहिए. उनमें से कुछ डॉक्टरों ने कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से भी स्टेरलाइजेशन वैसे इलाकों का कराया जाना चाहिए.

आईएमए ने डॉक्टर की सुरक्षा और एन्टी बॉडी टेस्ट की रखी मांग

बैठक में शामिल डॉक्टरों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्टेट कोऑर्डिनेटर अजय कुमार सिंह ने कहा कि डॉक्टर इस लड़ाई में सीधा सामने हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. वही आईएमए के सेक्रेटरी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि सरकार अकेले नहीं लड़ सकती है, संसाधन और मैन पावर की कमी है इसलिए सभी लोगों को एकजुट होकर लड़ाई में शामिल होना होगा. उन्होंने कहा कि यह भी स्वागत योग्य कदम है कि जेपीएससी ने 280 डॉक्टरों की बहाली के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके साथ ही पारा मेडिकल स्टाफ की बहाली होनी जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि एंटी बॉडी टेस्ट की भी व्यवस्था होनी. वहीं डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा कि हॉस्पिटल मौजूदा दौर में एक बड़ा हॉटस्पॉट है और वहां काम कर रहे डॉक्टरों को कम से कम 5 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर देना चाहिए. वहीं कुछ डॉक्टरों ने डायलिसिस की समस्या का मामला भी उठाया.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को कहा कि लॉकडाउन को लेकर पशोपेश की स्थिति 13 अप्रैल को साफ हो जाने की पूरी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में आई कोरोना आपदा कोई भी रूप ले सकती है. उन्होंने कहा कि झारखंड के संबंध में आपदा का जो कैरेक्टर है उसको लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन को लेकर कोई बात कही गई तो वैसे लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा जो बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इन सब चीजों पर समय आने पर निर्णय लेंगे.

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माइक्रो लेवल पर हो रही है मॉनिटरिंग
सीएम ने स्पष्ट किया कि सरकार माइक्रो लेवल पर सभी चीजों को मानिटरिंग कर रही है. दरअसल, मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट बिल्डिंग में रिम्स के डायरेक्टर समेत रांची के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ कोविड-19 को लेकर उनकी राय ले रहे थे. बैठक में कोविड-19 के दोनों पक्ष इलाज और बचाव को लेकर डॉक्टरों से चर्चा हुई. डॉक्टरों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि कि सभी लोग इस महामारी से बेचैन है और डॉक्टरों में अब इसको लेकर भय है. उन्होंने कहा कि हम लोग अपने आत्मबल से मजबूत हैं इसलिए इससे बखूबी लड़ना होगा.
लॉकडाउन ब्रेक करने के बाद होगी बड़ी चुनौती
बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि चिकित्सकों की राय पर सरकार पूरा ध्यान देगी. उन्होंने कहा कि अभी तो लॉकडाउन को लेकर समस्याएं हैं, जैसे ही यह खुलेगा उस समय झारखंड के सामने बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए पहाड़ जैसी चुनौती होगी. क्योंकि बड़ी मात्रा में यहां से लोग दूसरे राज्यों में काम करने बाहर गए हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर तीसरे या चौथे स्टेज में राज्य चला गया तब हाथ खड़ा करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन सभी चीजों पर नजर रख रही है, जो राज्य हित में होगा वह किया जाएगा.
सरकार के कॉल सेंटर आ रहे हैं फोन, वापस लौटने को उत्सुक हैं लोग
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कॉल सेंटर में लोग और पहले अनाज और पैसे की मदद मांग रहे थे. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन समाप्ति की तारीख नजदीक आ रही है लोग वहां से अपने घरों की ओर लौटना चाहते हैं. कॉल सेंटर में आने वाले फोन में सबसे ज्यादा सवाल इसी से जुड़ा हुआ है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस महामारी से लड़ने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार को आज भी पत्र भेजा है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि बैठक में 15-16 डॉक्टर ने जो सुझाव दिए हैं उनपर सरकार निश्चित रूप से विचार करेगी.

ये भी पढ़ें- झारखंड में मेडिकल ऑफिसर पदों के लिए बंपर वेकेंसी, 9 अप्रैल से आवेदन की प्रक्रिया शुरू



डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन बढ़ाने का किया आग्रह
वहीं, मौजूद डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन को ब्रेक नहीं करने की सलाह दी. बैठक में शामिल डॉक्टरों ने साफ कहा कि लॉकडाउन को अगले कुछ और हफ्तों तक बढ़ाना होगा. उन्होंने साफ कहा कि अगर लॉकडाउन ब्रेक किया गया तो दिक्कत होगी. हर हाल में इसे बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग और और लॉकडाउन से ही जीत हासिल की जा सकती है. ऐसे में लॉक डाउन को बढ़ाना जरूरी हो जाता है, कर इतना ही नहीं डॉक्टर ने साफ तौर पर कहा कि जिन इलाकों में फुट फॉल ज्यादा है वहां अभी स्टेरलाइजेशन होना चाहिए. उनमें से कुछ डॉक्टरों ने कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से भी स्टेरलाइजेशन वैसे इलाकों का कराया जाना चाहिए.

आईएमए ने डॉक्टर की सुरक्षा और एन्टी बॉडी टेस्ट की रखी मांग

बैठक में शामिल डॉक्टरों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्टेट कोऑर्डिनेटर अजय कुमार सिंह ने कहा कि डॉक्टर इस लड़ाई में सीधा सामने हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. वही आईएमए के सेक्रेटरी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि सरकार अकेले नहीं लड़ सकती है, संसाधन और मैन पावर की कमी है इसलिए सभी लोगों को एकजुट होकर लड़ाई में शामिल होना होगा. उन्होंने कहा कि यह भी स्वागत योग्य कदम है कि जेपीएससी ने 280 डॉक्टरों की बहाली के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके साथ ही पारा मेडिकल स्टाफ की बहाली होनी जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि एंटी बॉडी टेस्ट की भी व्यवस्था होनी. वहीं डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा कि हॉस्पिटल मौजूदा दौर में एक बड़ा हॉटस्पॉट है और वहां काम कर रहे डॉक्टरों को कम से कम 5 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर देना चाहिए. वहीं कुछ डॉक्टरों ने डायलिसिस की समस्या का मामला भी उठाया.

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