हजारीबाग: झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण को लेकर प्रचार प्रसार का दौरा खूब चल रहा है. मांडू विधानसभा में कांग्रेस और आजसू आमने-सामने हैं. कांग्रेस ने जयप्रकाश भाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है तो आजसू ने तिवारी महतो को. सुदूरवर्ती अति घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाले चुरचू प्रखंड के डूमर गांव की महिलाएं क्या सोचती हैं? चुनाव को लेकर किन मुद्दों पर मतदान करेंगी. इसे लेकर यहां की महिलाओं ने ईटीवी भारत से बात की है.
चूरचू प्रखंड जो कभी अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. डूमर गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र से अछूता नहीं था. अब नक्सल समस्या धीरे-धीरे समाप्त हो रही है और क्षेत्र में विकास हो रहा है. यहां की महिलाएं विधानसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान करने के लिए तैयार हैं. यहां की महिलाएं भी अब जागरूक हो रही हैं. महिलाओं का कहना है कि वैसा उम्मीदवार जो रोजगार पर बात करेगा, उन्हें मत मिलेगा. साथ ही क्षेत्र के विकास, महिला सुरक्षा और सरकार की आधारभूत योजना धरातल पर उतारने वाले उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंचेंगे.
महिलाओं का कहना है कि सुदूरवर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां योजना नहीं पहुंच पाती है और न ही कोई सरकारी नुमाइंदा जानकारी लेने के लिए पहुंचता है. गरीब होने के बावजूद दर्जनों महिलाओं का नाम राशन कार्ड से काट दिया गया है. जिस कारण योजना का लाभ उन तक नहीं पहुंच रहा है. महिलाओं का यह भी कहना है कि वर्तमान विधायक चुनाव जीतने के बाद एक बार भी नहीं पहुंचे हैं और न ही गांव के लोगों की सुध ली. गांव में एक मिडिल स्कूल है, उच्च शिक्षा पाने के लिए चुरचू प्रखंड जाना पड़ता है. इतना ही नहीं एक भी उपस्वास्थ्य केंद्र गांव में नहीं है. रोजगार के लिए ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. महानगरों में जाने के बाद उन्हें वहां भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. झारखंडी कहकर उन्हें काम भी नहीं दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि नेता सिर्फ लोक लुभावन वादा करने के लिए गांव में पहुंचते हैं. इन सारी समस्याओं को देखते हुए वोट दिया जाएगा. महिलाओं का यह भी कहना है कि इस बार इस गांव का हर एक व्यक्ति मतदान करेगा, लेकिन मतदान पार्टी विशेष नहीं बल्कि मुद्दा विशेष रहेगा. इसे लेकर गांव के लोग बैठक भी करेंगे. बता दें कि यह एक ऐसा गांव है, जहां की महिलाएं अशिक्षित हैं. अब अपने अधिकार को लेकर जागरूक हो रही हैं. आने वाली पीढ़ी को कैसे योजना का लाभ मिले, इसे लेकर आवाज भी बुलंद कर रही हैं. इसे स्वस्थ लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर कहा जा सकता है.
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