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टेरर फंडिंग में NIA के रडार पर रहे कारोबारी को गलत तरीके से मिला था बॉडीगार्ड, सीआइडी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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Published : Jun 28, 2020, 10:41 AM IST

सीआइडी ने टेरर फंडिंग के आरोपी सोनू अग्रवाल को गलत तरीके से बॉडीगार्ड दिए जाने के मामले का खुलासा किया है. जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी गई है.

CID revealed the case of giving bodyguards to accused Sonu Aggarwal in ranchi
सीआईडी

रांची: टेरर फंडिंग को लेकर एनआइए के रडार पर रहे कोयला कारोबारी अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल को गलत तरीके से बॉडीगार्ड दिए गए थे. सीआइडी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. पुलिस मुख्यालय ने सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता नाम के व्यक्ति को बॉडीगार्ड दिए जाने के मामले में सीआइडी मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी थी.

जांच पूरी

सीआइडी ने पूरे मामले में जांच कर अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी है. रिपोर्ट में पाया गया कि सोनू अग्रवाल को रांची पुलिस और हजारीबाग जिले से भी एक बॉडीगार्ड मिला हुआ था. जांच में यह भी बात सामने आई है कि बिना किसी अनुमति के ही सोनू अग्रवाल का बॉडीगार्ड पश्चिम बंगाल तक जाया करता था. उसके बॉडीगार्ड ने कई जगह मारपीट की वारदात को भी अंजाम दिया था. इस संबंध में एक महिला ने झारखंड पुलिस मुख्यालय में शिकायत भी की थी. सीआइडी से मिली जानकारी के अनुसार सोनू अग्रवाल का एक बॉडीगार्ड प्रिंस सिंह बिहार में शराब तस्करी के केस में पकड़ा गया था, तब बिहार पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था. हालांकि बाद में वहां जमानत पर छूट भी गया था.

क्या है पूरा मामला

सीआइडी एसपी अंजनी कुमार झा ने पूरे मामले में झारखंड के सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा. पत्र के जरिए बताया कि डीजीपी के निर्देशानुसार सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है, तो इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराएं. सीआइडी ने जिले के एसपी से यह भी पूछा था कि जिन लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है उनका नाम, पता और व्यवसाय क्या है यह भी बताया जाए. इसके साथ ही सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता के पास बॉडीगार्ड कब से कब तक प्रतिनियुक्त रहे, किसके आदेश से दोनों को बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाया गया था. अगर जिले के एसपी या जिला सुरक्षा समिति का ज्ञापांक हो तो इसकी भी जानकारी मांगी गई थी. सीआइडी ने यह भी सवाल किया था कि जो बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाए गए थे उनके पास कौन से हथियार थे. साथ ही क्या कभी बॉडीगार्ड को प्रतिनियुक्ति के दौरान झारखंड से बाहर जाने की भी अनुमति दी गई थी.

ये भी देखें- बाबा रामदेव को कोरोना दवा बेचने से पहले सरकार की अनुमति जरूरी, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की दो टूक

कौन है सोनू अग्रवाल

बता दें कि सोनू अग्रवाल टेरर फंडिंग मामले में आरोपी है. एनआईए ने मगध अम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग के मामले में सोनू अग्रवाल पर चार्जशीट किया है. सोनू की गिरफ्तारी पर फिलहाल रांची हाई कोर्ट ने रोक लगाई हुई है. सोनू अग्रवाल की गिनती बड़े कॉल ट्रांसपोर्टरों में होती है. सोनू को पूर्व में रांची, हजारीबाग समेत कई जिलों से बॉडीगार्ड दिया गया था. हालांकि एनआईए की चार्जशीट में नाम आने के बाद रांची समेत दूसरे जिलों के बॉडीगार्ड वापस ले लिए गए थे.

रांची: टेरर फंडिंग को लेकर एनआइए के रडार पर रहे कोयला कारोबारी अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल को गलत तरीके से बॉडीगार्ड दिए गए थे. सीआइडी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. पुलिस मुख्यालय ने सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता नाम के व्यक्ति को बॉडीगार्ड दिए जाने के मामले में सीआइडी मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी थी.

जांच पूरी

सीआइडी ने पूरे मामले में जांच कर अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी है. रिपोर्ट में पाया गया कि सोनू अग्रवाल को रांची पुलिस और हजारीबाग जिले से भी एक बॉडीगार्ड मिला हुआ था. जांच में यह भी बात सामने आई है कि बिना किसी अनुमति के ही सोनू अग्रवाल का बॉडीगार्ड पश्चिम बंगाल तक जाया करता था. उसके बॉडीगार्ड ने कई जगह मारपीट की वारदात को भी अंजाम दिया था. इस संबंध में एक महिला ने झारखंड पुलिस मुख्यालय में शिकायत भी की थी. सीआइडी से मिली जानकारी के अनुसार सोनू अग्रवाल का एक बॉडीगार्ड प्रिंस सिंह बिहार में शराब तस्करी के केस में पकड़ा गया था, तब बिहार पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था. हालांकि बाद में वहां जमानत पर छूट भी गया था.

क्या है पूरा मामला

सीआइडी एसपी अंजनी कुमार झा ने पूरे मामले में झारखंड के सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा. पत्र के जरिए बताया कि डीजीपी के निर्देशानुसार सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है, तो इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराएं. सीआइडी ने जिले के एसपी से यह भी पूछा था कि जिन लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराया गया है उनका नाम, पता और व्यवसाय क्या है यह भी बताया जाए. इसके साथ ही सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता के पास बॉडीगार्ड कब से कब तक प्रतिनियुक्त रहे, किसके आदेश से दोनों को बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाया गया था. अगर जिले के एसपी या जिला सुरक्षा समिति का ज्ञापांक हो तो इसकी भी जानकारी मांगी गई थी. सीआइडी ने यह भी सवाल किया था कि जो बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाए गए थे उनके पास कौन से हथियार थे. साथ ही क्या कभी बॉडीगार्ड को प्रतिनियुक्ति के दौरान झारखंड से बाहर जाने की भी अनुमति दी गई थी.

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कौन है सोनू अग्रवाल

बता दें कि सोनू अग्रवाल टेरर फंडिंग मामले में आरोपी है. एनआईए ने मगध अम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग के मामले में सोनू अग्रवाल पर चार्जशीट किया है. सोनू की गिरफ्तारी पर फिलहाल रांची हाई कोर्ट ने रोक लगाई हुई है. सोनू अग्रवाल की गिनती बड़े कॉल ट्रांसपोर्टरों में होती है. सोनू को पूर्व में रांची, हजारीबाग समेत कई जिलों से बॉडीगार्ड दिया गया था. हालांकि एनआईए की चार्जशीट में नाम आने के बाद रांची समेत दूसरे जिलों के बॉडीगार्ड वापस ले लिए गए थे.

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