रांची: झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक में 38 करोड़ रुपए के लोन घोटाले मामले में सीआईडी की टीम ने अपनी जांच की गति तेज कर दी है. सीआईडी के कोल्हान प्रमंडल के डीएसपी के नेतृत्व में एक टीम ने रांची के अपर बाजार स्थित को-ऑपरेटिव बैंक के मुख्य शाखा में आई थी. तकरीबन चार घंटे तक सीआईडी की टीम को-ऑपरेटिव बैंक के मेन ब्रांच में रही और मामले जांच की. सीआईडी एडीजी अनिल पालटा खुद मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सीआईडी के कोल्हान टीम के प्रभारी अनिमेष गुप्ता को पूरे मामले के जांच की जिम्मेवारी दी गई है.
सीआईडी को घोटाले से संबंधित कागजात नहीं मिले
जांच के दौरान बैंक में अधिकारियों ने 38 करोड़ के घोटाले से संबंधित कागजात सीआईडी को नहीं दिया. सीआईडी को बैंक की ओर से बताया गया कि लोन संबंधित सारे कागजात रजिस्ट्रार निबंधन समितियों ने सील कर दिए हैं. ऐसे में यह कागजात फिलहाल नहीं दिए जा सकते. सीआईडी ने बैंक को पत्र लिखकर बैंक के लोन से जुड़े सारे कागजात की मांग नोटिस देकर की है.
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क्या है मामला
को-ऑपरेटिव बैंक में साल 2011 से लेकर 2016 तक बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से 38 करोड़ का लोन घोटाला हुआ है. विभागीय जांच के बाद इस मामले में अगस्त 2019 में सरायकेला के संजय डालमिया समेत अन्य बैंककर्मियों को आरोपी बनाया गया था. पहली प्राथमिकी 33 करोड़ से अधिक के घोटाले की थी, जबकि दूसरी प्राथमिकी 5 करोड़ के लोन घोटाले से जुड़ी हुई थी.
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पूरे मामले में 12 से अधिक बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
जानकारी के अनुसार, संजय कुमार डालमिया ने बीमा और जमीन के कागजात के आधार पर यह लोन लिया था. बैंक की ओर से मॉर्गेज रखे गए कागजातों से अधिक की लोन राशि स्वीकृत कर दी गई थी. बाद में लोन एनपीए हो गया था. पूरे मामले में 12 से अधिक बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है.
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जांच की अनुशंसा करने वाले सीईओ हटाए गए
वहीं, बैंक घोटाले की पूरे मामले में एसीबी से जांच कराने की अनुशंसा करने वाले सीईओ विजय कुमार चौधरी को बर्खास्त कर दिया गया है. पूरे मामले के उद्भेदन में वह अहम कड़ी रहे थे.