रांची: झारखंड में नक्सल ऑपरेशन के दौरान कई बार ग्रामीणों पर ज्यादती के आरोप सुरक्षाबलों पर लगते रहे हैं. साल 2011 में झारखंड में सुरक्षाबलों पर मंगल होनहागा की हत्या का आरोप लगा था. कई सालों से केस सीआइडी के ठंडे बस्ते में पड़ा रहा, लेकिन अब इस मामले में सीआइडी तेज हो गई है.
नई जांच टीम बनी
सीआइडी एडीजी अनिल पाल्टा ने इस मामले में हत्याकांड के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित की है. मंगल होनहागा की हत्या का मामला काफी विवादित रहा था. तब तत्कालीन जोनल आइजी रेजी डुंगडुंग ने मामले में सीआरपीएफ और पुलिस की भूमिका संदिग्ध पाई थी. इसके बाद सीआइडी जांच के आदेश दिए गए.
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क्या है मामला
चाईबासा के घोर नक्सल प्रभाव वाले सारंडा के बलिबा गांव में ग्रामीण मंगल होनहागा की हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड के बाद ग्रामीण सीआरपीएफ पर हत्या का आरोप लगाते रहे, जबकि हत्याकांड के बाद 30 जून 2011 को सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास ने छोटानागरा थाने में एक एफआइआर दर्ज कराई. एफआइआर में मंगल होनहागा की हत्या का आरोप 100 अज्ञात माओवादियों पर लगाया गया था.
परिजनों के क्या कहा था
मंगल होनहागा की पत्नी मंगरी होनहागा ने अपने दिए गए एक बयान में बताया था कि 28 जून 2011 को उसके पति खेत से काम करके लौटे थे. इस दौरान सीआरपीएफ और पुलिस के जवान बलिबा गांव में आए. ग्रामीणों में 20-22 लोगों के हाथ पीछे बांध दिए गए थे. पूरी रात खुले आसमान के नीचे सभी को रखा गया. 29 जून को सुरक्षाबल के लोग सभी को पैदल जंगल के रास्ते ले गए. 1 जुलाई को बाहदा जंगल में मंगल होनहागा को गोली मार दी गई, जिससे उसकी मौत हो गई.