रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन का खामियाजा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को झेलना पड़ रहा है. एक तरफ जहां रोजगार का संकट हो गया है, वहीं दूसरी तरफ पेट की आग बुझाने के लिए उन्हें हर दिन सोचना पड़ रहा है. हालांकि आपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार ने उन लोगों के लिए कच्चा और पका दोनों अनाज सुलभ कराने की कोशिश की है.
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग खा रहे हैं खाना
राजधानी रांची से लगभग 25 किलोमीटर दूर होसिर पंचायत के एक दीदी किचन का मुआयना ईटीवी भारत ने किया. वहां न केवल छोटे बच्चे बल्कि किशोर और यहां तक कि महिलाएं भी सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करते हुए भोजन करती नजर आई. होसिर स्थित इस दीदी किचन से जुड़ी सखी मंडल की महिलाओं ने बताया कि हर दिन लगभग 60 लोग इस किचन में बने भोजन का लाभ लेते हैं. कई बार वह अपने घर के अन्य सदस्यों के लिए भी खाना ले जाते हैं.
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मेन्यू के हिसाब से दाल चावल अचार और यहां तक कि दाल में हरी सब्जी मिलाकर खाना परोसा जाता है. सखी मंडल की सदस्य सुषमा के अनुसार आस-पास के गांव में भी दीदी किचन सुचारू रूप से चल रहा है. सखी मंडल की ज्योति के अनुसार 4 अप्रैल से चल रहे इस दीदी किचन के लिए पहले इंस्टॉलमेंट में लगभग एक क्विंटल अनाज का उठाव स्थानीय डीलर से किया गया था. अब वह अनाज भी समाप्त होने जा रहा है. उन्हें अब नए सिरे से अनाज का उठाव करना पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि किचन में बाकायदा एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है. जिसमें लोगों का नाम लिखा जाता है और हर दिन जेएसएलपीएस के क्लस्टर हेड तक इनफॉर्म किया जाता है.
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क्या हैं आंकड़े
एक आंकड़े के अनुसार अब तक दीदी किचन से 79 लाख से अधिक लोगों ने भोजन प्राप्त किया है. राज्य में हर दिन 5 लाख से ज्यादा लोग इससे भोजन हासिल कर रहे हैं. राज्य में कुल मुख्यमंत्री दीदी किचन की संख्या 6,751 है. सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य के 6,700 सखी मंडल इस काम में लगी हैं. लगभग 33,000 से अधिक महिलाएं मुख्यमंत्री दीदी किचन चला रही हैं. मुख्यमंत्री दीदी किचन से जुड़ी महिलाएं न तो कोई मानदेय ले रही हैं न किसी तरह का पारिश्रमिक. सबसे अधिक मुख्यमंत्री दीदी किचन गिरिडीह जिले में है. बता दें कि गिरिडीह वह इलाका है, जहां सबसे ज्यादा लोग मजदूरी करने दूसरे राज्यों में जाते हैं.