रांची/खूंटीः झारखंड की राजधानी रांची से महज 40 किलोमीटर दूर एक जिला है खूंटी. शहर की चमक-धमक से उलट इस धुर नक्सल प्रभावित इलाके में आज भी सड़क, पानी और बिजली की समस्या आम है. ईटीवी भारत की टीम ऐसे ही एक गांव में पहुंची. खूंटी के मुरहू प्रखंड के इस गांव का नाम कुजरांग है.
कुजरांग के ग्रामीण फगुआ पहान ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां घाटी के जैसा था. कोई भी यहां आकर पैदल चलने की हिम्मत नहीं कर पाता था. ये गांव अब भी पिछड़ा हुआ है. वहीं दूसरे ग्रामीण चाड़ा बुंडू ने बताया कि इस गांव में पानी की सबसे ज्यादा परेशानी है.
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पानी के लिए जद्दोजहद
कुंजरांग के ग्रामीण ये परेशानी पीढ़ी दर पीढ़ी झेलते आए हैं लेकिन खेती-किसानी करने वाले चाड़ा पहान को ये मंजूर न था. चाड़ा की पत्नी एमोन पहान अक्सर बीमार रहती थी और उसे पानी के लिए पहाड़ों पर दूर तक जाना पड़ता था. बस यही बात चाड़ा को नागवार थी.
किसान से माउंटेन मैन का सफर
एक दिन चाड़ा पहाड़ पर लकड़ी लाने गए तो उन्होंने चट्टानों के बीच से पानी रिसता देखा. उन्होंने सोचा क्यों न पहाड़ पर एक कुआं बना दें, जिसमें पानी जमा होगा और पाइप से सीधे गांव तक पहुंचेगा. फिर क्या था चल दिए छेनी-हथौड़ा लेकर, पहाड़ का सामना करने.
“पत्नी को बहुत दूर से पानी लाना पड़ता था. पानी के लिए करीब दो किलोमीटर चलना पड़ता था. मैंने सब्बल और हथौड़े से थोड़ा-थोड़ा कर पूरे पत्थर निकाल दिए. पहाड़ में करीब 10-12 फीट गहरा गड्ढा खोदा है. इसमें अभी पानी है.” -चाड़ा पहान, माउंटेन मैन
चाड़ा के घर से पहाड़ की दूरी करीब पांच सौ मीटर है. चाड़ा को 250 फीट ऊंचे इस पहाड़ पर कुआं खोदने में करीब एक साल लग गए. उन्हें इस काम में न तो परिवार के लोगों ने सहयोग किया और न ही गांव के लोगों की मदद मिली. चाड़ा के बेटे सोमा पहान ने बतया कि इस काम में करीब एक-डेढ़ साल लग गए. उसके पिता ने अकेले छेनी-हथौड़े से पहाड़ को काट दिया.
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गांव में चौबीस घंटे पानी
चाड़ा की बदौलत कुंजरांग के ग्रामीणों को अब चौबीस घंटे पानी मिलता है, वो भी बिना बिजली और पंप के. हालांकि चिंता इस बात की है कि गर्मियों में पानी सूखने पर फिर किल्लत होने लगती है. चाड़ा पहान ने कहा कि बरसात के दिनों में पहाड़ का पानी पाइप के जरिए घर तक जाता है, जिससे सहुलियत होती है. गर्मी में थोड़ी परेशानी होती है क्योंकि पानी सूखने लगता है.
सरकार से आस
कुंजरांग के ग्रामीणों की ये परेशानी खत्म हो सकती है लेकिन इसके लिए हर शख्स को माउंटेन मैन बनना पड़ेगा जो आसान नहीं है. हां, सरकार चाहे तो जरूर कुछ हो सकता है. फगुआ पहान कहते हैं कि ऊपर पहाड़ों पर पानी है. वहां से पाइपलाइन के जरिए पूरे गांव में पानी की सुविधा दी जा सकती है. बहरहाल, एक आम आदिवासी चाड़ा पाहन ने जो कर दिखाया वो किसी करिश्मे से कम नहीं.