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कोयला उद्योग का निजीकरण कर सकती है केंद्र सरकार, सीएम हेमंत करें इसका विरोध: डॉ अजय कुमार

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Published : Oct 20, 2021, 8:38 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 8:49 PM IST

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने कोयले की कमी पर केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है बल्कि कोयला संकट दिखा कर कोयला उद्योग का निजीकरण करने की तैयारी की जा रही है.

Central government may privatize coal industry
Central government may privatize coal industry

नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ अजय कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कोयला उद्योग का निजीकरण कर सकती है. इसलिए उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर आगाह किया है. झारखंड में सबसे ज्यादा कोयला का रिजर्व है.


डॉ अजय कुमार ने कहा कि देश में कोयला संकट नहीं है. यह संकट केंद्र सरकार की ओर से बनाया गया है ताकि कोयले का निजीकरण किया जा सके. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार कोयला उद्योग के निजीकरण का निर्णय ले सकती है. संसद के मानसून सत्र में इस पर ऑर्डिनेंस भी लाया जा सकता है या कानून भी लाया जा सकता है. इसका झारखंड पर प्रतिकूल असर होगा क्योंकि झारखंड कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग का निजीकरण होगा तो झारखंड में जंगलों की कटाई होगी तो प्रदूषण बढ़ेगा, गरीब, आदिवासियों का शोषण होगा. कोयला की कीमतें भी बढ़ जाएंगी.

डॉ अजय से बात करते संवाददाता शशांक

ये भी पढ़ें: NCL के निरीक्षण के बाद बोले प्रहलाद जोशी, 'कोल इंडिया के पास 4 दिन का स्टॉक, लेकिन नहीं होने देंगे कमी'

कांग्रेस नेता ने कहा कि कोल इंडिया दुनिया की बड़ी कंपनी है. लॉकडाउन से पहले कोयला सप्लाई कर रही थी. लॉकडाउन से पहले कोयले की कोई कमी नहीं थी फिर अचानक कहां से कोयले की कमी की बात सामने आने लगी. उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार कहेगी कि कोल इंडिया प्रोडक्शन नहीं कर पा रही है और इसका निजीकरण कर दिया जाए. कोल इंडिया की बड़ी समस्या यह है कि सरकारी बिजली कंपनियां पैसा नहीं दे रही है. कोल इंडिया के पास पैसा नहीं है. अजय कुमार ने कहा कि कोल इंडिया से काफी लोगों को नौकरी मिलती है. जैसे ही निजीकरण होगा तो कर्मचारियों को हटा दिया जाएगा और उनके सामने भुखमरी की स्थिति हो जाएगी. झारखंड कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. झारखंड का धनबाद, हजारीबाग, चाईबासा सहित कई जिले खाली हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि वे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहना चाहते हैं कि निजीकरण का विरोध करें.

नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ अजय कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कोयला उद्योग का निजीकरण कर सकती है. इसलिए उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर आगाह किया है. झारखंड में सबसे ज्यादा कोयला का रिजर्व है.


डॉ अजय कुमार ने कहा कि देश में कोयला संकट नहीं है. यह संकट केंद्र सरकार की ओर से बनाया गया है ताकि कोयले का निजीकरण किया जा सके. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार कोयला उद्योग के निजीकरण का निर्णय ले सकती है. संसद के मानसून सत्र में इस पर ऑर्डिनेंस भी लाया जा सकता है या कानून भी लाया जा सकता है. इसका झारखंड पर प्रतिकूल असर होगा क्योंकि झारखंड कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग का निजीकरण होगा तो झारखंड में जंगलों की कटाई होगी तो प्रदूषण बढ़ेगा, गरीब, आदिवासियों का शोषण होगा. कोयला की कीमतें भी बढ़ जाएंगी.

डॉ अजय से बात करते संवाददाता शशांक

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कांग्रेस नेता ने कहा कि कोल इंडिया दुनिया की बड़ी कंपनी है. लॉकडाउन से पहले कोयला सप्लाई कर रही थी. लॉकडाउन से पहले कोयले की कोई कमी नहीं थी फिर अचानक कहां से कोयले की कमी की बात सामने आने लगी. उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार कहेगी कि कोल इंडिया प्रोडक्शन नहीं कर पा रही है और इसका निजीकरण कर दिया जाए. कोल इंडिया की बड़ी समस्या यह है कि सरकारी बिजली कंपनियां पैसा नहीं दे रही है. कोल इंडिया के पास पैसा नहीं है. अजय कुमार ने कहा कि कोल इंडिया से काफी लोगों को नौकरी मिलती है. जैसे ही निजीकरण होगा तो कर्मचारियों को हटा दिया जाएगा और उनके सामने भुखमरी की स्थिति हो जाएगी. झारखंड कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. झारखंड का धनबाद, हजारीबाग, चाईबासा सहित कई जिले खाली हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि वे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहना चाहते हैं कि निजीकरण का विरोध करें.

Last Updated : Oct 20, 2021, 8:49 PM IST
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