रांची: इन दिनों टुसू पर्व की धूम पूरे राज्य भर में देखी जा रही है. टुसू पर्व झारखंड के कुर्मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को फसल काटने के बाद पूस के महीना में मनाया जाता है. इस त्योहार के उपलक्ष्य में राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में एक विशेष टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
कुर्मी और आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व
टुसू को लेकर राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. इस पर्व को ठंड के मौसम में फसल काटने के बाद मनाया जाता है. कई अलग-अलग परंपराओं से लबरेज इस पर्व को लेकर आदिवासी और कुर्मी समुदाय में खासा उत्साह रहता है. झारखंड के दक्षिण पूर्व रांची, खूंटी, सरायकेला, खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो और धनबाद क्षेत्र का इसे प्रमुख पर्व माना जाता है.
टुसू पर्व 15 दिसंबर यानी अगहन संक्रांति से शुरू होती है और यह मकर सक्रांति तक जारी रहती है. कुंवारी कन्या टुसू की स्थापना करती हैं. टुसू माता लक्ष्मी, सरस्वती की प्रतीक मानी जाती है. रांची के मोरहाबादी मैदान में टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें आदिवासी और कुर्मी समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.
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टुसू पर्व में झारखंडी व्यंजन पीठा का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस दौरान अलग-अलग किस्म का पीठा बनाया जाता है और लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है. इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किए जाने की परंपरा है.