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झारखंडी परंपराओं से लबरेज है टुसू पर्व, राज्य भर में उत्साह का माहौल

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Published : Jan 13, 2020, 5:43 PM IST

टुसू को लेकर राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. इस पर्व को ठंड के मौसम में फसल काटने के बाद मनाया जाता है. कई अलग-अलग परंपराओं से लबरेज इस पर्व को लेकर आदिवासी और कुर्मी समुदाय में खासा उत्साह रहता है.

celebrated tusu festival in ranchi
टुसू पर्व

रांची: इन दिनों टुसू पर्व की धूम पूरे राज्य भर में देखी जा रही है. टुसू पर्व झारखंड के कुर्मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को फसल काटने के बाद पूस के महीना में मनाया जाता है. इस त्योहार के उपलक्ष्य में राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में एक विशेष टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

देखिए पूरी खबर

कुर्मी और आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व
टुसू को लेकर राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. इस पर्व को ठंड के मौसम में फसल काटने के बाद मनाया जाता है. कई अलग-अलग परंपराओं से लबरेज इस पर्व को लेकर आदिवासी और कुर्मी समुदाय में खासा उत्साह रहता है. झारखंड के दक्षिण पूर्व रांची, खूंटी, सरायकेला, खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो और धनबाद क्षेत्र का इसे प्रमुख पर्व माना जाता है.

टुसू पर्व 15 दिसंबर यानी अगहन संक्रांति से शुरू होती है और यह मकर सक्रांति तक जारी रहती है. कुंवारी कन्या टुसू की स्थापना करती हैं. टुसू माता लक्ष्मी, सरस्वती की प्रतीक मानी जाती है. रांची के मोरहाबादी मैदान में टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें आदिवासी और कुर्मी समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

ये भी पढ़ें: धनबाद में महिला की बेरहमी से हत्या, तफ्तीश में जुटी पुलिस
टुसू पर्व में झारखंडी व्यंजन पीठा का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस दौरान अलग-अलग किस्म का पीठा बनाया जाता है और लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है. इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किए जाने की परंपरा है.

रांची: इन दिनों टुसू पर्व की धूम पूरे राज्य भर में देखी जा रही है. टुसू पर्व झारखंड के कुर्मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को फसल काटने के बाद पूस के महीना में मनाया जाता है. इस त्योहार के उपलक्ष्य में राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में एक विशेष टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

देखिए पूरी खबर

कुर्मी और आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व
टुसू को लेकर राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. इस पर्व को ठंड के मौसम में फसल काटने के बाद मनाया जाता है. कई अलग-अलग परंपराओं से लबरेज इस पर्व को लेकर आदिवासी और कुर्मी समुदाय में खासा उत्साह रहता है. झारखंड के दक्षिण पूर्व रांची, खूंटी, सरायकेला, खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो और धनबाद क्षेत्र का इसे प्रमुख पर्व माना जाता है.

टुसू पर्व 15 दिसंबर यानी अगहन संक्रांति से शुरू होती है और यह मकर सक्रांति तक जारी रहती है. कुंवारी कन्या टुसू की स्थापना करती हैं. टुसू माता लक्ष्मी, सरस्वती की प्रतीक मानी जाती है. रांची के मोरहाबादी मैदान में टुसू महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें आदिवासी और कुर्मी समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

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टुसू पर्व में झारखंडी व्यंजन पीठा का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस दौरान अलग-अलग किस्म का पीठा बनाया जाता है और लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है. इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किए जाने की परंपरा है.

Intro:रांची

झारखंड परंपराओं से जुड़ा राज्य माना जाता है, यहां परंपरा से जुड़े पर्वो को बड़ी धूमधाम से मनाने की पुरानी परंपरा है और इन दिनों टुसू पर्व की धूम पूरे राज्य भर में देखा जा रहा है .टुसू पर्व झारखंड के कुर्मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. फसल काटने के बाद पौष के महीना में मनाया जाता है और इस पर्व के उपलक्ष में राजधानी रांची के मोराबादी मैदान में एक विशेष टुसु महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया.


Body:कुड़मी और आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व.

झारखंड के कुड़मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व टुसु को लेकर राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. गौरतलब है कि ठंड के मौसम में फसल काटने के बाद मनाया जाता है .इस पर्व के इतिहास कुछ खास है. कई अलग-अलग परंपराओं से लबरेज इस पर्व को लेकर आदिवासी और कुर्मी समुदाय में खासा उत्साह रहता है. यह पर्व खासकर झारखंड के दक्षिण पूर्व रांची, खूंटी, सरायकेला, खरसावां, पूर्वी सिंहभूम ,पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़ बोकारो, धनबाद और पंच परगाना क्षेत्र की प्रमुख पर्व माना जाता है .टुसू पर्व की त्यौहार 15 दिसंबर यानी अघन संक्रांति से शुरू होती है और यह मकर सक्रांति तक जारी रहता है. कुंवारी कन्याओं द्वारा टुसु की स्थापना की जाती है.

झारखंड का लोकप्रिय पर्व

टुसु ,माता लक्ष्मी सरस्वती के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है और इस पर्व को लेकर राजधानी रांची में भी धूम देखी जा रही है .रांची के मोराबादी मैदान में टुसु महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर विशेष रूप से मनाया गया. जहां आदिवासी और कुड़मी समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया .ढोल नगाड़ों की थाप पर लोग जमकर थिरके यह पर्व झारखंड में काफी लोकप्रिय है.


Conclusion:टुसु पर्व में झारखंडी व्यंजन पीठा का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है. अलग-अलग किस्म के पीठा बनाया जाता है और लोगों के बीच वितरित भी किया जाता है .इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किए जाने की परंपरा है और इस पर्व को लेकर झारखंड में हर्षोल्लास का माहौल देखा जा रहा है.

बाइट-राजा राम महतो,आयोजक,टुसु महोत्सव।
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