रांची: सूबे में पहली बहुमत सरकार का नेतृत्व करने वाली सत्त्तारूढ़ बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में अपने 65 प्लस को हासिल करने के लिये बाहरी 'प्रोफेशनल्स' की मदद ले रही है. एक तरफ जहां पार्टी के नेता और कैडर प्रदेश के 81 विधानसभा क्षेत्रों के अलग-अलग कोने-कोने में अपना पसीना बहा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी सोशल मीडिया और नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी मौजूदगी दर्शाने के लिए उन 'प्रोफेशनल सिपहसालारों' की मदद ले रही है.
राजधानी में तीन अलग अलग वॉर रूम
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजधानी में बीजेपी के 3 वॉर रूम हैं. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो पार्टी स्टेट हेड क्वार्टर के लगभग एक किलोमीटर की परिधि में दो अघोषित और एक घोषित वॉर रूम काम कर रहा है. पार्टी स्टेट हेडक्वार्टर सटे इमारत में बीजेपी का आईटी सेल एक्टिव है. जो सोशल मीडिया समेत अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी बनाए रखने की जद्दोजहद में लगा है.
वहीं, बीजेपी स्टेट हेडक्वार्टर से महज कुछ मीटर दूर एक कमर्शियल कंपलेक्स के चौथे तल्ले पर पार्टी का एक अघोषित वॉर रूम एक्टिव है, जिसमें 12 घंटे तक युवक और युवतियां एक्टिव रह रहे हैं. इस कॉल सेंटर से 2 तरह के काम किए जा रहे हैं.
लाभुकों से संपर्क करने की हो रही कोशिश
जानकारी के अनुसार, राज्य के अलग-अलग इलाकों में सरकारी योजनाओं के लाभुकों से संपर्क साध कर उनके बीच बीजेपी सरकार की उपलब्धियां रखी जा रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ उन लाभुकों को आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ मोड़ने का काम किया जा रहा है. सूत्रों की माने तो अरगोड़ा चौक से कडरू ओवर ब्रिज की तरफ जाने वाली सड़क में एक रिहायशी इमारत में सोशल मीडिया की टीम एक्टिव है. जो प्रदेश बीजेपी के आईटी सेल के अधीन काम कर रही है. यह टीम झारखंड और झारखंड के बाहर के प्रोफेशनल से लैस है. जिनका काम विपक्षी दलों के ट्वीट फेसबुक पेज और अन्य माध्यम पर नजर रखना है. इसके साथ ही कथित तौर पर बीजेपी के नेताओं और पार्टी की गतिविधियों को भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर मजबूती से प्रेजेंट करना है.
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जानकारी के अनुसार, बीजेपी की आई टी सेल में कुछ प्रोफेशनल अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दे रहे हैं. हालांकि, इसको लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. दरअसल, पार्टी का मानना है कि अब चुनावों में वोटर से 'आई कांटेक्ट' के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कनेक्शन बनाना जरूरी है. पार्टी के कैडर और नेता जहां प्रत्यक्ष रूप से लोगों से कांटेक्ट बना रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क साध रहे हैं. इन सभी की मॉनिटरिंग प्रदेश और यहां तक कि शीर्ष नेतृत्व के नेता भी कथित तौर पर व्यक्तिगत रूप से कर रहे हैं.