रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वॉरियर्स की संज्ञा दी गई है. इसी श्रृंखला में बैंककर्मी भी आते हैं जो संक्रमण काल के शुरुआत से ही लगातार सक्रिय हैं. हालांकि संक्रमण के शुरुआती दौर में बैंकों के काम करने के घंटे थोड़े कम कर दिए गए, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से पूरा बैंकिंग सेक्टर इस कोरोना पीरियड में लोगों के लिए एक्टिव है. दरअसल प्रदेश में राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों की लगभग 3000 से भी अधिक छोटी बड़ी शाखाएं हैं, जहां बैंकिंग सर्विसेज ऑपरेशनल हैं. जबकि बैंकों की इस श्रृंखला में ग्रामीण बैंक शामिल नहीं हैं.
बदला बैंकों के काम करने का तरीका
मार्च, 2020 के आखिरी हफ्ते में शुरू हुए लॉकडाउन के दौर में भी बैंकों की शाखाएं खुली रहीं. हालांकि उनके कामकाज करने का तरीका पूरी तरह से बदल गया. शुरुआती दौर में सीमित संख्या में कर्मचारी बुलाए गए. दूसरी तरफ ग्राहकों को बैंकों के कैंपस से बाहर डील किया गया. फिर बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग के बाद ग्राहकों की एंट्री शुरू की गई. बैंक कैंपस में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए मास्क भी जरूरी कर दिया गया. इतना ही नहीं बैंक की शाखा के दरवाजे पर गार्ड के एक हाथ में सेनेटाइजर की बोतल और दूसरे हाथ में थर्मल स्कैनर पकड़ा दिया गया, ताकि बैंक के अंदर प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के तापमान की जांच हो सके. बैंक कर्मी मास्क फेस शिल्ड और ग्लव्स लगाकर अपना काम करने लगे.
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डिजिटल बैंकिंग को दिया जा रहा है बढ़ावा
कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर बैंककर्मी अब अपने ग्राहकों को उनकी डिजिटल सेवा उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं. इस बाबत एक्सिस बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोगों से न केवल ऐप डाउनलोड कर उसका इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है, बल्कि उनसे इंटरनेट और डिजिटल बैंकिंग पर फोकस करने की गुजारिश भी की जा रही है. राष्ट्रीयकृत बैंकों की श्रृंखला में एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक समेत अन्य बैंकों में भी डिजिटल बैंकिंग ऑपरेशन पर फोकस किया जा रहा है.
बढ़ी हैं बैंकों की भूमिका
बैंकों में महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों का दावा है कि पिछले 5 महीने में बैंकिंग सेक्टर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है. उनकी माने तो मौजूदा अर्थव्यवस्था के दौर में बैंकों में नकद की आवक कम हो गई है, जबकि बड़ी मात्रा में पैसे निकाले जा रहे हैं. एक तरफ जहां व्यापार की हालत खस्ता है वहीं दूसरी तरफ लोग इन बैंकों में जमा संचित धन निकाल कर अपना काम चला रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि बैंकों की सावधि जमा समेत अन्य स्कीम की ब्याज दरें घटी हैं. दूसरी तरफ ऋण की ब्याज दरों को भी घटाया गया है, ताकि बैंक इस आर्थिक संकट से भी उबर सके.
संक्रमित भी हुए बैंककर्मी
कोरोना संक्रमण के शिकार बैंककर्मी भी हुए. उनमें से निजी बैंकों के लगभग 12 लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हुए. जबकि धनबाद में एक निजी बैंक के कर्मी की मौत भी हुई. राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण कर्मियों के बीच फैला. बावजूद इसके उनमें से कई स्वस्थ होकर अपने काम पर लौट गए हैं.
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ये हैं सरकारी आंकड़े
स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी झारखंड के जनरल मैनेजर रविंद्र कुमार दास के अनुसार, झारखंड में 3000 से अधिक बैंक की शाखाएं हैं. वहीं लगभग 4000 से अधिक एटीएम बैंकिंग सेवा का लाभ लोगों को पहुंचा रहे हैं. सामान्य बैंक खातों सहित राज्य में केवल 1.48 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं. जिनमें से 86% अभी भी एक्टिव हैं. उन खातों में लगभग 1.3 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं.