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बंधु तिर्की ने बताए झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 के विरोध के कारण, कहा- पदाधिकारी के पारित आदेश होंगे नुकसानदेह

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Published : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST

रांची में विधायक बंधु तिर्की ने झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 के विरोध का कारण बताया है. उन्होंने बिल के तीन प्रावधान पर ध्यान आकर्षित कराया है. उन्होंने कहा कि राजस्व पदाधिकारी न्यायिक प्रक्रिया में प्रशिक्षित हैं और उन्हें न्यायिक स्तर के काम करने की क्षमता है. ऐसी स्थिति में ऐसे पदाधिकारी की ओर से पारित आदेश काफी नुकसानदेह होगा.

Jharkhand Land Mutations Bill 2020
बंधु तिर्की

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 के विरोध के कारण की विस्तृत जानकारी दी है. उन्होंने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि उनका विरोध इन प्रावधानों को लेकर है. उन्होंने कहा है कि क्योंकि राजस्व पदाधिकारी न्यायिक प्रक्रिया में प्रशिक्षित हैं और उन्हें न्यायिक स्तर के काम करने की क्षमता उपलब्ध है. ऐसी स्थिति में ऐसे पदाधिकारी की ओर से पारित आदेश काफी नुकसानदेह होगा. ये रैयतों के हितों को क्षति पहुंचाएगा.

ये भी पढ़ें-पढ़ाई को लेकर सीरियस हैं शिक्षा मंत्री, रोजाना घंटों किताबों के साथ बिताते हैं समय

इस बिल में तीन महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं-

1. चैप्टर-7 में सेक्शन- 9 जमाबंदी खारिज करने के संबंध में -"यह शक्ति अपर समाहर्ता (AC) को दी गई है. जो स्वत: किसी की शिकायत पर किसी जमाबंदी के संबंध में जांच कर सकता है और उस जमाबंदी को खारिज कर सकता है."

Comment (A)-Any जमाबंदी शब्द का प्रयोग किया गया है, जो AC को असीम शक्ति यानी अनलिमिटेड पावर देता है. इसके दुरुपयोग की प्रबल संभावना हैं, क्योंकि राजस्व पदाधिकारी के संबंध में पूर्व से ही आम राय यह है कि यह भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं.

2. Section-(22) यह सेक्शन राजस्व पदाधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करता है. अगर यह प्रावधान लागू हो जाता है, तो राजस्व पदाधिकारी बिल्कुल निर्भय और निडर हो जाएंगे और रैयतों के काम काज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. अपने ऊंचे पदाधिकारी या जनप्रतिनिधियों का बात सुनने को तैयार नहीं होंगे क्योंकि इस प्रावधान में उनके किए गए कृत्य या उपकृत के संबंध में किसी भी दीवानी और फौजदारी न्यायालय में मामला नहीं लाया जा सकेगा।

3. आपत्ति-section-(15) के अंतर्गत डीसी,कमिश्नर एडिशनल कलेक्टर,एलआरडीसी,सीओ को व्यवहार न्यायालय की शक्ति प्रदत की जा रही है जो अपने जांच के दौरान C.P.C (सिविल प्रोसीडयोर कोर्ट) 1960 के तहत काम कर पाएंगे और उनके द्वारा पारित आदेश और न्यायिक प्रक्रिया का आदेश बन जाएगा. जबकि अब तक उनके आदेश अर्धन्यायिक आदेश के रूप में मान्यता दी जाती है.

झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल

झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल-2020 के मुताबिक जमीन की खरीद फरोख्त में शामिल राजस्व अधिकारियों के खिलाफ सरकार से मंजूरी के बिना कोई क्रिमिनल और सिविल मुकदमा नहीं किया जा सकता. ये बिल अधिकारियों को मौजूदा और पहले की गई खरीद बिक्री के मामलों से भी प्रोटेक्शन देता है.

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 के विरोध के कारण की विस्तृत जानकारी दी है. उन्होंने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि उनका विरोध इन प्रावधानों को लेकर है. उन्होंने कहा है कि क्योंकि राजस्व पदाधिकारी न्यायिक प्रक्रिया में प्रशिक्षित हैं और उन्हें न्यायिक स्तर के काम करने की क्षमता उपलब्ध है. ऐसी स्थिति में ऐसे पदाधिकारी की ओर से पारित आदेश काफी नुकसानदेह होगा. ये रैयतों के हितों को क्षति पहुंचाएगा.

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इस बिल में तीन महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं-

1. चैप्टर-7 में सेक्शन- 9 जमाबंदी खारिज करने के संबंध में -"यह शक्ति अपर समाहर्ता (AC) को दी गई है. जो स्वत: किसी की शिकायत पर किसी जमाबंदी के संबंध में जांच कर सकता है और उस जमाबंदी को खारिज कर सकता है."

Comment (A)-Any जमाबंदी शब्द का प्रयोग किया गया है, जो AC को असीम शक्ति यानी अनलिमिटेड पावर देता है. इसके दुरुपयोग की प्रबल संभावना हैं, क्योंकि राजस्व पदाधिकारी के संबंध में पूर्व से ही आम राय यह है कि यह भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं.

2. Section-(22) यह सेक्शन राजस्व पदाधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करता है. अगर यह प्रावधान लागू हो जाता है, तो राजस्व पदाधिकारी बिल्कुल निर्भय और निडर हो जाएंगे और रैयतों के काम काज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. अपने ऊंचे पदाधिकारी या जनप्रतिनिधियों का बात सुनने को तैयार नहीं होंगे क्योंकि इस प्रावधान में उनके किए गए कृत्य या उपकृत के संबंध में किसी भी दीवानी और फौजदारी न्यायालय में मामला नहीं लाया जा सकेगा।

3. आपत्ति-section-(15) के अंतर्गत डीसी,कमिश्नर एडिशनल कलेक्टर,एलआरडीसी,सीओ को व्यवहार न्यायालय की शक्ति प्रदत की जा रही है जो अपने जांच के दौरान C.P.C (सिविल प्रोसीडयोर कोर्ट) 1960 के तहत काम कर पाएंगे और उनके द्वारा पारित आदेश और न्यायिक प्रक्रिया का आदेश बन जाएगा. जबकि अब तक उनके आदेश अर्धन्यायिक आदेश के रूप में मान्यता दी जाती है.

झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल

झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल-2020 के मुताबिक जमीन की खरीद फरोख्त में शामिल राजस्व अधिकारियों के खिलाफ सरकार से मंजूरी के बिना कोई क्रिमिनल और सिविल मुकदमा नहीं किया जा सकता. ये बिल अधिकारियों को मौजूदा और पहले की गई खरीद बिक्री के मामलों से भी प्रोटेक्शन देता है.

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