रांची: एचईसी प्रबंधन के मुताबिक यहां काम करने वाले कर्मचारी प्लांट के भीतर स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. प्रबंधन की दलील है कि प्लांट में स्मार्टफोन ले जाने से कर्मचारियों का ध्यान भटकने लगता है. इससे काम प्रभावित होता है. लेकिन यह व्यवस्था निदेशक, सीवीओ, जनरल मैनेजर और शॉप्स डिपार्टमेंट के इंचार्ज पर नहीं लागू होगी. यह आदेश प्रशासनिक सह कार्मिक डिवीजन के मैनेजर प्रशांत कुमार के हवाले से जारी हुआ है. इस व्यवस्था को 30 सितंबर से लागू कर दिया जाएगा.
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इस फैसले का विरोध न हो इसे ध्यान में रखते हुए प्रबंधन में अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारी बिना कैमरा वाले की-पैड फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं. 30 सितंबर से इस आदेश का उल्लंघन करते पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. खास बात है कि यह व्यवस्था स्थायी कर्मी, कॉंट्रेक्ट और ट्रेनी के साथ-साथ विजिटर्स पर भी लागू होगी.
ईटीवी भारत की टीम ने HEC के पीआरओ अभयकांत कंठ से इस फैसले का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि यह प्रबंधन का आंतरिक आदेश है और इसपर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती. आपको बता दें कि पिछले दिनों प्लांट से पीतल से बनी एक मशीन की चोरी हुई थी, जिसकी कीमत करीब 42 लाख से ज्यादा थी. सूत्रों के मुताबिक मैनेजमेंट को शक है कि कर्मचारी की मिलीभगत से चोरी हुई होगी.
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मांगों से ध्यान भटकाने की कोशिश
एचईसी मजदूर संघ के महामंत्री रमाशंकर प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि कामगारों की मांगों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी जी डिजीटल इंडिया की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ इस संस्थान के अधिकारी स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पीतल से बने मशीन के एक हिस्से की चोरी हुई थी. लेकिन उसका वजन इतना ज्यादा था कि उसे हाथ से नहीं उठाया जा सकता था. रमाशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि इस प्लांट से कई चीजें चोरी हुई हैं. कामगार इन बातों को दिल्ली तक पहुंचाते रहे हैं. जो यहां के प्रबंधन को नागवार गुजरता है.
एचईसी की स्थापना साल 1958 में हुई थी. इस प्लांट से 1964 में उत्पादन शुरू हुआ था. वक्त के साथ घाटे की वजह से एचईसी की चमक फीकी पड़ती चली गई लेकिन आज भी इस संस्थान में ऐसी चीजे बनती हैं जो अन्य किसी प्लांट में नहीं बन सकती हैं. इस्पात, खनन, रेलवे, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और सामरिक क्षेत्रों के लिए भारत में पूंजीगत उपकरणों के लिए यह संस्थान अग्रणी आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.