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लॉकडाउन के कारण किसानों को नहीं मिले तरबूज के खरीददार, बेमौसम बारिश ने बर्बाद किया फसल - रांची में बेमौसम बारिश ने बर्बाद हुई तरबूज की फसल

कोरोना वायरस के कारण रांची के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, उनका कहना है कि बाजार नहीं मिल पाने और बेमौसम बारिश के कारण खेतों में ही उनकी उपज खराब हो गई. इसके लिए उन्होंंने सरकार के सिस्टम पर भी सवाल उठाया है.

bad condition of watermelon farmers
खेत में मौजूद किसान
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Published : Jun 2, 2020, 4:09 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में पहले कई चरणों मे लॉकडाउन किया गया. इसके बाद अनलॉक 1.0 प्लान के साथ सरकार आगे बढ़ रही है. इस दौरान उद्योग धंधे प्रभावित हुए और किसानों को भारी नुकासान उठाना पड़ा. इस दौरान रांची के किसानों को बाजार नहीं मिल पाया और बेमौसम बारिश के कारण खेतों में ही उनकी उपज खराब हो गई.

देखें पूरी खबर

5 एकड़ में की थी खेती

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान किसानों को उनके फसलों को बाजार नहीं मिल पाया. दूसरी तरफ बेमौसम बारिश के कारण खेतों में ही उपज खराब हो गई. जिसके कारण किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी. राजधानी के एक किसान ने लगभग 5 एकड़ में सिर्फ तरबूज और खरबूज की खेती की थी. फसल तैयार होने के बाद से ही देश में लॉकडाउन लागू हो गया जिस कारण न तो राज्य के बाहर उसके फसल भेजे जा सके और न ही अपने राज्य में ही उसे बाजार मिल पाया. इसके बाद रही सही कसर बीच-बीच में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने पूरी कर दी.

ये भी पढ़ें- लोहरदगा: आत्मनिर्भरता की ओर किसान, गन्ने से गुड़ को मिल रही मिठास

भारी नुकसान के साथ बेचना पड़ा माल

किसान अभिषेक कुमार के अनुसार 5 एकड़ में सिर्फ तरबूज और खरबूज की खेती की गई थी. 1 एकड़ में 20 टन तरबूज की खेती होती और वहीं खरबूज 7 से 8 टन होता है. अगर मार्केट सही होता और लॉकडाउन नहीं होता तो 12 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम थोक के भाव तरबूज की बिक्री होती और खरबूज 25 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम थोक के भाव बेचे जा सकते थे लेकिन मजबूरन उन्हें 4 से 5 रुपये में बेचना पड़ रहा है.

लोन और उधार लेकर की थी खेती

किसान ने आगे कहा कि उन्होंने बैंक और लोगों से लोन लेकर बेहतर मुनाफे की उम्मीद के साथ तरबूज और खरबूज की खेती की थी. लेकिन बाजार न मिलने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा और इसके लिए उन्होंने सरकार के सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सरकार उन्हें बाजार उपलब्ध करवाती तो उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता.

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में पहले कई चरणों मे लॉकडाउन किया गया. इसके बाद अनलॉक 1.0 प्लान के साथ सरकार आगे बढ़ रही है. इस दौरान उद्योग धंधे प्रभावित हुए और किसानों को भारी नुकासान उठाना पड़ा. इस दौरान रांची के किसानों को बाजार नहीं मिल पाया और बेमौसम बारिश के कारण खेतों में ही उनकी उपज खराब हो गई.

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5 एकड़ में की थी खेती

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान किसानों को उनके फसलों को बाजार नहीं मिल पाया. दूसरी तरफ बेमौसम बारिश के कारण खेतों में ही उपज खराब हो गई. जिसके कारण किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी. राजधानी के एक किसान ने लगभग 5 एकड़ में सिर्फ तरबूज और खरबूज की खेती की थी. फसल तैयार होने के बाद से ही देश में लॉकडाउन लागू हो गया जिस कारण न तो राज्य के बाहर उसके फसल भेजे जा सके और न ही अपने राज्य में ही उसे बाजार मिल पाया. इसके बाद रही सही कसर बीच-बीच में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने पूरी कर दी.

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भारी नुकसान के साथ बेचना पड़ा माल

किसान अभिषेक कुमार के अनुसार 5 एकड़ में सिर्फ तरबूज और खरबूज की खेती की गई थी. 1 एकड़ में 20 टन तरबूज की खेती होती और वहीं खरबूज 7 से 8 टन होता है. अगर मार्केट सही होता और लॉकडाउन नहीं होता तो 12 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम थोक के भाव तरबूज की बिक्री होती और खरबूज 25 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम थोक के भाव बेचे जा सकते थे लेकिन मजबूरन उन्हें 4 से 5 रुपये में बेचना पड़ रहा है.

लोन और उधार लेकर की थी खेती

किसान ने आगे कहा कि उन्होंने बैंक और लोगों से लोन लेकर बेहतर मुनाफे की उम्मीद के साथ तरबूज और खरबूज की खेती की थी. लेकिन बाजार न मिलने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा और इसके लिए उन्होंने सरकार के सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सरकार उन्हें बाजार उपलब्ध करवाती तो उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता.

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