रांची: ओलंपिक में गोल्ड (Gold in Olympics) जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है और इस सपने को साकार करने के लिए एक खिलाड़ी को वह हर सुविधा मिलनी चाहिए जिसकी उन्हें जरूरत है. झारखंड की राजधानी रांची (Ranchi) में खिलाड़ियों के लिए हर सुविधा मौजूद है. लेकिन खराब रखरखाव और सरकारी उदासीनता के कारण बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर (better infrastructure) होने के बावजूद प्रतिभावान खिलाड़ियों को आए दिन परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है.
ये भी पढ़ें: निक्की प्रधान और सलीमा टेटे को झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने सम्मानित किया
दरअसल, खराब बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी की वजह से खिलाड़ी ओलंपिक (Olympics) जैसे आयोजन में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. खेलों के स्टेडियम की स्थिति खराब होने के कारण समुचित प्रैक्टिस नहीं हो पाती है. अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए स्टेडियम (stadium) और सुविधाओं की स्थिति भी झारखंड में सही नहीं है. राज्य स्तर पर खिलाड़ियों को वह सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं जिसकी उन्हें जरूरत है. हालांकि, इस दिशा में अब राज्य सरकार की ओर से कई कदम बढ़ाए जा रहे हैं. लेकिन अभी भी मूलभूत सुविधाओं से खिलाड़ी इस राज्य में जूझ रहे हैं. प्रशिक्षण के लिए खरीदे गए उपकरण रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो रहे हैं. स्टेडियम और प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बावजूद परिणाम सुखद नहीं है. ऐसे ही कई सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने देश के नामचीन और राज्य के सबसे बड़े स्पोर्ट्स कंपलेक्स रांची के खेल गांव स्टेडियम की पड़ताल की है.
एक छत के नीचे कई खेलों के स्टेडियम मौजूद
खेल गांव में कई बेहतरीन स्टेडियम हैं इनकी खूबियां इतनी हैं कि गिनती खत्म ना हो. यहां खेल से संबंधित सभी सुविधाओं का लाभ खिलाड़ी उठा सकते हैं. बॉक्सिंग, तैराकी, एथलेटिक, टेबल टेनिस, टेनिस, साइकिलिंग, तीरंदाजी, शूटिंग रेंज के अलावा कई अन्य खेलों से जुड़े इनडोर और आउटडोर स्टेडियम यहां मौजूद हैं. इस खेल परिसर में 8 लेन अभ्यास ट्रैक के साथ 35 हजार क्षमता वाला स्टेडियम भी शामिल है. 8 हजार क्षमता वाले इंडोर स्टेडियम 2000 छमता वाला टेनिस केंद्र, दो हजार लोगों की बैठने की क्षमता वाला स्विमिंग सेंटर, खो खो, कबड्डी मैदान और अत्याधुनिक शूटिंग रेंज भी शामिल है. लेकिन नेशनल गेम के बाद इस स्टेडियम की और कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया गया. मेंटेनेंस को लेकर सालाना, 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की बजटीय प्रावधान है. बावजूद इस स्टेडियम की बदहाली जगजाहिर है.
ये भी पढ़ें: गोल्डन ब्वॉय की प्रशंसा करते हुए एक क्रिकेटर ने कहा- व्यवस्था सुधारें, प्रतिभा से समझौता न करें
खेल को लेकर मुख्यमंत्री हैं गंभीर
पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर सीसीएल की मदद से एक बार फिर मेंटेनेंस का काम शुरू हुआ है. लेकिन इसके बावजूद खिलाड़ी खुद से इस मेगा स्पोर्ट्स कंपलेक्स के शूटिंग रेंज जैसे सेंटर पर मेंटेनेंस का काम करते दिखे. ईटीवी भारत की टीम ने जब इन खिलाड़ियों से बातचीत की तो पता चला कि मेंटेनेंस का काम चल रहा है लेकिन समय पर ना तो इंजीनियर पहुंचते हैं और ना ही मेंटेनेंस की देखरेख करने वाले पदाधिकारी. खुद से ही कोच की मदद से यह खिलाड़ी मेंटेनेंस का काम कर रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से हो रहा है मेंटेनेंस का काम
पिछले कुछ महीनों से खेल गांव की ओर राज्य सरकार और मेंटेनेंस अधीन संस्थाओं ने ध्यान दिया है. शूटिंग के टारगेट बोर्ड को दीमक चाट गया था. उसे हटा लिया गया है और मेंटेनेंस का काम किया जा रहा है. अगर देश और राज्य को बड़े खेल आयोजनों में मेडल चाहिए तो खेल की दिशा में हर क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है. चाहे उपकरण के रखरखाव, खिलाड़ियों की परेशानी या फिर स्टेडियम का मेंटेनेंस का काम ही हो. इस राज्य में खेल के क्षेत्र में असीम संभावनाएं है. राज्य सरकार को इस और विशेष ध्यान देने की जरूरत है.