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USA में बच्ची के साथ हुए अनैतिक कार्य मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए स्वीकृत, अदालत ने लोअर कोर्ट से मांगी रिपोर्ट

रांची के 2 वर्ष की बच्ची के साथ यूएसए में अनैतिक कार्य करने से संबंधित दायर याचिका को सुनवाई के लिए झारखंड हाई कोर्ट ने स्वीकृत कर लिया है. अदालत ने सुनवाई करते हुए निचली अदालत से मामले की सुनवाई की पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीं बुधवार को अदालत में कई कर्मियों के बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर भी सुनवाई हुई.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 27, 2021, 10:20 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने रांची के 2 वर्ष की बच्ची के साथ यूएसए में अनैतिक कार्य करने से संबंधित दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. पोस्को से जुड़े यह मामला रांची के एक दंपती ने दायर की है. इस अपराधिक रिवीजन याचिका पर अदालत ने सुनवाई करते हुए निचली अदालत से मामले की सुनवाई की पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. लोअर कोर्ट की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश किए जाने के बाद आगे सुनवाई की जाएगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 2 वर्षीय बच्ची के साथ अनैतिक कार्य हुए हैं. उन्होंने बताया कि अपने बच्चे के साथ उस समय वे यूएसए में थे. वहां उनके बच्ची के साथ यह हुआ. उन्होंने रांची सिविल कोर्ट में आरोपी के खिलाफ कंप्लेन केस दायर की थी. लेकिन निचली अदालत ने उसे खारिज कर दिया. इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने अदालत को यह भी जानकारी दी कि आरोपी यूएसए में ही था. उस वक्त उसने इस तरह के कार्य किए. उसके बाद वो भारत आ गया.

बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई

वहीं झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में कई कर्मियों के बकाए वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को वेतन भुगतान का आदेश दिया है. अगस्त से ही प्रार्थियों के वेतन पर रोक लगा दी गई थी. अदालत ने राज्य सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता सत्यनारायण राम सहित कई अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रार्थियों की नियुक्ति ग्रामीण कार्य विभाग में कार्य भारित स्थापना (वर्क चार्ज स्थापना) में वर्ष 1987 से 1994 के बीच हुई थी. वर्ष 2005 में हाई कोर्ट की वृहद पीठ के आदेश के बाद इनकी नियुक्ति को संपरिवर्तित (नियमित) कर दिया गया.

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आठ सप्ताह बाद होगी मामले की सुनवाई


16 जुलाई 2021 को वित्त विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग ने एक पत्र जारी कर प्रार्थियों को नई पेंशन योजना के तहत मानते हुए उनका सीपीएफ नंबर आवंटित करने का निर्देश दिया. ऐसा नहीं करने पर वेतन रोकने की बात कही गई. कहा गया कि प्रार्थियों को नियमित स्थापना में संपरिवर्तित किया गया है. ऐसे में उनकी सेवा अवधि उनकी नियुक्ति तिथि से मानी जाएगी और विभाग ने भी उसी नियुक्ति तिथि को मानते हुए प्रार्थियों को वित्तीय उन्नयन (एसीपी-एमएसीपी) का लाभ दिया है. लेकिन पेंशन के संदर्भ में विभाग नियमितीकरण की तिथि को नियुक्ति की तिथि मान रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है. इसके बाद अदालत ने इस मामले में प्रार्थियों को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने रांची के 2 वर्ष की बच्ची के साथ यूएसए में अनैतिक कार्य करने से संबंधित दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. पोस्को से जुड़े यह मामला रांची के एक दंपती ने दायर की है. इस अपराधिक रिवीजन याचिका पर अदालत ने सुनवाई करते हुए निचली अदालत से मामले की सुनवाई की पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. लोअर कोर्ट की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश किए जाने के बाद आगे सुनवाई की जाएगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 2 वर्षीय बच्ची के साथ अनैतिक कार्य हुए हैं. उन्होंने बताया कि अपने बच्चे के साथ उस समय वे यूएसए में थे. वहां उनके बच्ची के साथ यह हुआ. उन्होंने रांची सिविल कोर्ट में आरोपी के खिलाफ कंप्लेन केस दायर की थी. लेकिन निचली अदालत ने उसे खारिज कर दिया. इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने अदालत को यह भी जानकारी दी कि आरोपी यूएसए में ही था. उस वक्त उसने इस तरह के कार्य किए. उसके बाद वो भारत आ गया.

बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई

वहीं झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में कई कर्मियों के बकाए वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को वेतन भुगतान का आदेश दिया है. अगस्त से ही प्रार्थियों के वेतन पर रोक लगा दी गई थी. अदालत ने राज्य सरकार से आठ सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता सत्यनारायण राम सहित कई अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रार्थियों की नियुक्ति ग्रामीण कार्य विभाग में कार्य भारित स्थापना (वर्क चार्ज स्थापना) में वर्ष 1987 से 1994 के बीच हुई थी. वर्ष 2005 में हाई कोर्ट की वृहद पीठ के आदेश के बाद इनकी नियुक्ति को संपरिवर्तित (नियमित) कर दिया गया.

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आठ सप्ताह बाद होगी मामले की सुनवाई


16 जुलाई 2021 को वित्त विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग ने एक पत्र जारी कर प्रार्थियों को नई पेंशन योजना के तहत मानते हुए उनका सीपीएफ नंबर आवंटित करने का निर्देश दिया. ऐसा नहीं करने पर वेतन रोकने की बात कही गई. कहा गया कि प्रार्थियों को नियमित स्थापना में संपरिवर्तित किया गया है. ऐसे में उनकी सेवा अवधि उनकी नियुक्ति तिथि से मानी जाएगी और विभाग ने भी उसी नियुक्ति तिथि को मानते हुए प्रार्थियों को वित्तीय उन्नयन (एसीपी-एमएसीपी) का लाभ दिया है. लेकिन पेंशन के संदर्भ में विभाग नियमितीकरण की तिथि को नियुक्ति की तिथि मान रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है. इसके बाद अदालत ने इस मामले में प्रार्थियों को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी.

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