रांचीः पिछले दिनों हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान संगीत शिक्षकों का एक मामला सामने आया था. ऐसा कहा जा रहा था कि प्रयाग संगीत समिति के डिग्री धारकों को नौकरी से हटाया जाएगा और उनकी नियुक्ति रद्द की जाएगी. प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ की डिग्रियों के संबंध में भी विभाग की ओर से ऐसे ही अनुशंसा की गई थी, लेकिन विभाग से जब इस मामले को लेकर एक बार फिर पूछताछ की गई तो उनका कहना है कि फिलहाल प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ की डिग्रियों की मान्यता रहेगी.
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जानकारी मिल रही है कि राज्य सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले को विधानसभा की समिति ने रद्द कर दिया है. मामले को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जानकारी दी गई है कि फिलहाल इस मामले को स्टे किया गया है. गौरतलब है कि राज्य भर में ऐसे 4000 से अधिक शिक्षक हैं जो प्रयाग संगीत समिति के डिग्री धारक हैं और राज्य के विभिन्न स्कूलों में संगीत शिक्षक की नौकरी भी कर रहे हैं.
वहीं, राज्य सरकार के फैसले से अचानक उन्हें स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से नियुक्ति रद्द करने का फरमान सुनाया गया था, फिलहाल उस अनुशंसा को रद्द किया गया है. प्रयाग संगीत समिति और प्राचीन कला केंद्र की डिग्री वैद्य मानी गई है और इसे अवैध करार देना गलत बताया गया है. समिति की ओर से कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट के फैसले में दोनों संस्थानों की डिग्री को मान्यता दी गई है और उसी के आधार पर यह शिक्षक विभिन्न स्कूलों में पठन-पाठन भी संचालित कर रहे हैं.
बता दें कि झारखंड सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे हजारों शिक्षक नियुक्त हैं और उन्हें अचानक से हटा देना उनकी डिग्रियों को अवैध करार दे देना गलत है. मामले की पूरी जानकारी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मिली है.
जानकारी के अनुसार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के फरमान के बाद राज्यभर में कार्यरत इन विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त संगीत शिक्षकों ने आंदोलन की बात भी कही थी. इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी विभाग की इस मंशा पर सवाल खड़ा किया था. हालांकि, अब उनके पक्ष में यह मामला है, ऐसे में उनके लिए यह राहत की बात है.