रांची: झारखंड के प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं है. मध्य विद्यालयों में भी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं. इसके बाद भी शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल रही है. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया है.
ये भी पढ़ें-आईसीयू में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति पर बिफरा शिक्षक संघ, मुख्य सचिव को लिखा पत्र
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र के माध्यम से कहा है कि शिक्षक और कर्मचारियों की प्रोन्नति पर लगी रोक को निरस्त कर शिक्षकों को प्रोन्नति दी जाए, नहीं तो शिक्षा का स्तर और नीचे गिर जाएगा. प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं है, मध्य विद्यालयों में भी प्रशिक्षित शिक्षकों की भारी कमी है. इसके बाद भी शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं दी जा रही है. बिना प्रोन्नति के ही शिक्षक रिटायर हो रहे हैं. कार्मिक विभाग की ओर से प्रोन्नति पर रोक लगाए जाने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.
विश्वविद्यालयों में निपटाए जा रहे कामकाज
रांची विश्वविद्यालय के कोविड-19 सेल ने रिजल्ट को लेकर कई निर्णय लिया है. पीजी सेमेस्टर-3 के वोकेशनल कोर्स का रिजल्ट 24 जून तक जारी करने का फैसला लिया गया है. सभी कॉलेजों के प्राचार्य को भी निर्देश दिया गया है कि ग्रेजुएशन सेमेस्टर चार और दो के कोर पेपर एसइसी जनरल इलेक्टिव और प्रैक्टिकल क्रमांक 3 जून तक जमा करा दें, ताकि समय पर रिजल्ट जारी करा सके.
पीजी सेमेस्टर-3 के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरा जाएगा, जिसकी तिथि 25 जून तक जारी कर दी जाएगी. 10 जून से विश्वविद्यालय में 50 फीसदी कर्मियों की उपस्थिति हो रही है और इसी के मद्देनजर विश्वविद्यालय एक बार फिर रेस है.
आरयू ने अवैध निर्माण को लेकर दर्ज कराया FIR
रांची विश्वविद्यालय ने अवैध निर्माण को लेकर एफआईआर दर्ज कराया है. मोरहाबादी कैंपस स्थित पीजी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग के पास दुकान के लिए अवैध निर्माण को लेकर केस दर्ज कराया गया है. गुरुवार को रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीन लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है.
इन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज
नामजद लोगों में देवी दयाल मुंडा, शंकर प्रसाद और संतोष प्रसाद शामिल हैं. पुलिस को रांची विवि ने दोनों पत्र सौंपा, जो विवि के दो पूर्व अधिकारियों की ओर से पीसीओ और गुमटी के लिए जारी किया गया था. आरयू प्रशासन ने अवैध निर्माण हटाने के लिए लीगल ओपिनियन लेने का फैसला लिया है.