रांची: खूंटी जिला परिषद के मनरेगा योजना से 18 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जीवाड़े के आरोपी बर्खास्त इंजीनियर राम विनोद सिन्हा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. राम विनोद सिन्हा से जुड़े सभी 17 मामलों को विजिलेंस कोर्ट से ईडी कोर्ट में ट्रांसफर किया गया है. अब उस पर लगे सभी आरोपों की सुनवाई ईडी कोर्ट में होगी. राम विनोद सिन्हा से जुड़े आय से अधिक संपत्ति का मामला पहले विजिलेंस कोर्ट में चल रहा था जिसकी जांच एसीबी कर रही थी. अब इसे ईडी ने टेकओवर कर लिया है.
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कोलकाता से गिरफ्तार हुआ था राम विनोद सिन्हा
बता दें कि ईडी ने मनी लॉउंड्रिंग मामले में आरोपी बर्खास्त इंजीनियर राम विनोद प्रसाद सिन्हा को 18 जून 2020 को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था. वह दो साल से फरार चल रहा था. ईडी ने 12 दिसंबर 2018 को 2.79 करोड़ की मनी लॉउंड्रिंग के आरोप में सिन्हा पर चार्जशीट दाखिल किया था. मालूम हो कि राम विनोद सिन्हा ने खूंटी जिला परिषद में पदस्थापित रहते हुए करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित की थी.
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क्या है आरोप
बर्खास्त इंजीनियर राम विनोद सिन्हा पर खूंटी जिला परिषद के मनरेगा योजना से जुड़े 18 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है. एसीबी की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई थी. फर्जीवाड़ा का यह मामला वर्ष 2006 से 2010 के बीच का है. ईडी की टीम मनी लॉउंड्रिंग मामले में बर्खास्त इंजीनियर राम विनोद सिन्हा की अब तक 4.25 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है. आरोप है कि राम विनोद सिन्हा ने मेसर्स अरुणाचल प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट एंड ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाकर राशि डिपोजिट की है.